कहानी:जीवन की राजनीति-आरती पांड्या
जीवन की राजनीति चाय पीते पीते अपर्णा की नज़र टी वी पर चल…
जीवन की राजनीति चाय पीते पीते अपर्णा की नज़र टी वी पर चल…
बटवारा चूल्हे पर रोटियाँ सेकते सेकते फौजिया सामने फर्श पर बैठे अपने पोते पोतियों…
सम्मान मैं एक लंबी अंधेरी गुफा में दौड़ी जा रही हूँ l सांस फूल रही…
साँझ की वो उजास घर की छत पर जाड़े की धूप सेंकते हुए विनय…
ग़ज़ल संग्रह ‘अपनी तलाश में’ अपनी तलाश में (ग़ज़ल संग्रह ) लेखक : नरेश शांडिल्य…
करवट बदलती सदी : आमची मुंबई “न जाने क्या कशिश है बम्बई तेरे शबिस्तां में…
खुशी के ताप से संताप भगाएं थोड़ा मुस्कुराएं ओह आंसू से आंसू मिलाए जा रहे…
कबाड़ ‘बाबा जी, आपको कौन सा रंग अच्छा लगता है?‘ नन्हें मुदित ने अचानक केदारनाथ…
सुखमनी ‘गुलशन के दार जी! दो दिन हो गये अपनी सुखमनी नहीं दिखायी दी’ सरदारनी…
कोरोना और यमलोक इन दिनों यमराज के कार्यालय के बड़े बाबू चित्र गुप्त का सिर…