कहानी:जीवन की राजनीति-आरती पांड्या
जीवन की राजनीति चाय पीते पीते अपर्णा की नज़र टी वी पर चल…
जीवन की राजनीति चाय पीते पीते अपर्णा की नज़र टी वी पर चल…
बटवारा चूल्हे पर रोटियाँ सेकते सेकते फौजिया सामने फर्श पर बैठे अपने पोते पोतियों…
सम्मान मैं एक लंबी अंधेरी गुफा में दौड़ी जा रही हूँ l सांस फूल रही…
साँझ की वो उजास घर की छत पर जाड़े की धूप सेंकते हुए विनय…
कोरोना और यमलोक इन दिनों यमराज के कार्यालय के बड़े बाबू चित्र गुप्त का सिर…
संपन्नता का दंभ विपिन झिंगरन के घर में आज जैसे खुशियों की बौछार हो…