आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (30)

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जगदलपुर बस्तर से आमंत्रण था। कादम्बरी संस्था की मोहनी ठाकुर और उर्मिला आचार्य ने मेरे लिए एक सम्मेलन आयोजित किया था ।सम्मेलन में  मेहरून्निसा परवेज के पति रऊफ परवेज़ से मुलाकात हुई ।वह होटल में मिलने भी आए और अपनी गजलों की किताब मुझे भेंट की। अभी कुछ ही समय हुआ उनका देहांत हो गया।

 जगदलपुर में राजेंद्र गायकवाड से मुलाकात हुई। वे स्वयं अच्छे शायर और जगदलपुर जेल में जेलर थे। हमें महिला वार्ड देखना था। जेल देखकर कलेजा काँप गया। किले जैसी ऊंची ऊंची दीवारें। हर महिला कैदी की आँखों में सवाल कि हमें किस जुर्म में गिरफ्तार किया गया ।कुछ पर तो जुर्म साबित करना शेष था और वे विचाराधीन कैदी थीं।

मैंने अपनी स्त्री विमर्श की पुस्तक “मुझे जन्म दो माँ “में विचाराधीन महिला कैदियों पर पूरा एक अध्याय लिखा है “खामोश चीखों का जंगल।”

वहाँ कैदियों के हाथों से तैयार दरियां, चादरें,कालीन आदि का शोरूम था। मैं चादर खरीद कर लाई हूँ पर उसे आज तक नहीं ओढ़  पाई। मुझे लगता है चादर बुनते हुए कैदी की मन:स्थिति भी इसमें बुन गई होगी जो मुझे हॉन्ट करेगी।

2012 की मई में सृजन गाथा डॉट कॉम से फिर बुलावा था ।वियतनाम कंबोडिया में आयोजित सातवें अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य सम्मेलन का। वहां मुझे सृजनगाथा साहित्य सम्मान दिया जाना था।

वियतनाम कंबोडिया घूमना बहुत निराशाजनक और दुखदाई रहा। हमने सोचा कि क्यों न हम अपनी एक अलग संस्था स्थापित करें पर्यटन और साहित्य के उद्देश्यों को लेकर। लिहाजा मुंबई में “विश्व मैत्री मंच “की स्थापना  (अधिकृत हेमंत फाउंडेशन )  8 मार्च 2014 महिला दिवस के अवसर पर हुई। उद्घाटन समारोह किया ।उद्देश्यों में चित्रकला, नाट्यकला,

पर्यटन और साहित्य को जोड़ा तथा मुख्य उद्देश्य में कला से संबंधित छुपी हुई योग्य प्रतिभाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंच प्रदान करना यानी एक तरह से टैलेंट हंटिंग। साथ ही साझा काव्य संकलन ,कहानी संकलन, लघुकथा संकलन प्रकाशित कर उन्हें प्रोत्साहित करना। इस संस्था से भारत भर से लोग जुड़े और इसकी शाखाएं छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश ,मध्य प्रदेश ,बिहार और दिल्ली में खुल चुकी हैं ।रूस ,भूटान, मिस्र, उज्बेकिस्तान, दुबई में अंतरराष्ट्रीय तथा डलहौजी, धर्मशाला, अहमदाबाद, भंडारदरा ,खजुराहो, बांधवगढ़, केरल, भोपाल ,आगरा, रायपुर में राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं।

चिंगारी, बाबुल हम तोरे अंगना की चिड़िया साझा काव्य संकलन तथा सीप में समुद्र साझा लघुकथा संकलन प्रकाशित हो चुके हैं।

इस संस्था में मेरा मन खूब रमता है। मुझे जैसे जीने का बहाना मिल गया। मैं अकेली ही राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों की तैयारियों में जुटी रहती हूँ।

विश्व मैत्री मंच की ख्याति से प्रेरित हो लाफ्टर क्लब के अध्यक्ष शाहिद खान मेरे घर यह प्रस्ताव लेकर आए कि दोनों संस्थाएं एकजुट होकर काम करें। उन्होंने हमेशा के लिए नेहरू सेंटर का हॉल बुक कर लिया है। उनके श्रोता अमीर खानदान के, खाए पिए, अघाए लोग हैं जिन्हें साहित्य से कुछ लेना-देना नहीं ।मंच पर चुटकुलों की प्रस्तुति और प्लेट में स्वादिष्ट पकवान हो ताकि उनकी शाम अच्छी गुजरे। निश्चय ही हमारी “न” थी हालांकि उन्होंने मेरे जन्मदिन पर नेहरू सेंटर में अच्छी-खासी पार्टी अरेंज की थी और मेरा एकल कविता पाठ भी रखा था।

हेमंत फाउंडेशन प्रतिवर्ष केवल हेमंत स्मृति कविता सम्मान तथा विजय वर्मा कथा सम्मान ही देता है लेकिन इस बार फैज अहमद फैज की जन्म शताब्दी मनाने का कार्यक्रम भी बना। उर्दू विभाग के प्रमुख साहिब अली के सहयोग से मुंबई विश्वविद्यालय कालीना में एक शाम देश के नाम संगोष्ठी आयोजित की गई जिसमें महानगर के प्रमुख शायरों ,रचनाकारों ने भाग लिया।

मुंबई विश्वविद्यालय के परिसर में हिन्दी भवन का नाम कविवर डॉ राम मनोहर त्रिपाठी हिन्दी भवन रख दिया गया है। डॉ राम मनोहर त्रिपाठी ने ही मेरे प्रथम कहानी संग्रह ” बहके बसन्त तुम” का लोकार्पण किया था जिस पर मुझे महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादमी का मुंशी प्रेमचंद पुरस्कार मिला था ।उनके नाम से महाराष्ट्र साहित्य अकादमी अखिल भारतीय हिंदी सेवा पुरस्कार देती है ।इसी तरह उर्दू घर का नाम डॉक्टर जाकिर हुसैन उर्दू घर रखा गया।

एक शाम फ़ैज़ के नाम संगोष्ठी की बधाई देते हुए महेंद्र भटनागर का ग्वालियर से फोन आया “अच्छा काम कर रही हो संतोष, मेरा पुत्र कुमार आदित्य तुमसे मिलने आएगा ।ग्वालियर से कुछ मंगवाना हो तो बताना।” उन्होंने अमित के हाथ अपनी कुछ पुस्तकें भेजीँ और एक पत्र भी जिसका आशय था कि कुमार आदित्य फिल्मों में प्लेबैक सिंगर बनना चाहता है और इस सिलसिले में मेरी मदद भी अपेक्षित है। पर मैं तो फिल्मों से कोसों दूर हूँ और किसी को जानती नहीं थी।  रमेश होते तो यह काम हो सकता था । कुमार आदित्य बहुत अपनत्व से मिले। हेमंत की किताब “मेरे रहते” ले गए और एक महीने के अंदर उसकी दो कविताएं “तुम हंसी “और “मैं अकेला खड़ा रह गया “कंपोज करके अपनी आवाज में स्वरबद्ध कर सीडी मुझे दी। मैं उन गीतों के तरन्नुम में खो गई । कुमार आदित्य ने हेमंत की नई प्रतिभा से मेरा परिचय करवाया।

क्रमशः

लेखिका संतोष श्रीवास्तव

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