मई का महीना चल रहा था। उस रात चर्चगेट स्टेशन पर जब लखनऊ से आने वाली गाड़ी पहुंची तो, समीर का दिल कहने लगा कि उसे वापिस लौट जाना चाहिए। गाड़ी से उतरकर भी वो काफी देर स्टेशन पर टहलता रहा, पर उसे याद आने लगा कि उसके पास सिर्फ़ बीकॉम की डिग्री है। घर में माँ-बाप और एक छोटे भाई के साथ अभाव भरी ज़िन्दगी है और वो कुछ बनने का सपना लेकर इस शहर में आया है।
समीर को याद आ गए वो दिन, जब रिज़ल्ट निकलते ही उसके पिता ने जान-पहचान वालों के पास उसे नौकरी के लिए भेजने की शुरुआत कर दी थी। समीर दस से पांच की नौकरी में नहीं बंधना चाहता था। वो एक कलाकार था, जिसने लखनऊ में कई अच्छे नाटक किये थे। वो इस शहर में अपनी किस्मत आजमाने आया था।
उसने जेब में अपने दोस्त के चचेरे भाई का पता टटोला और अपना मन पक्का कर लिया। वो स्टेशन से बाहर निकाल आया, पर बांद्रा के उस फ्लैट में कदम रखते हुए समीर को फिर आशंकाए होने लगीं। ’ये अनंत उसके दोस्त का चचेरा भाई, जिससे उसकी सिर्फ़ दुआ सलाम थी। अगर उसने उसे ना रखा तो?’ पर समीर की सारी शंकाए मिट गई। अनंत ने उसका स्वागत गर्मजोशी से तो नहीं किया, पर उसे रहने की जगह ज़रूर मिल गई।
समीर ने अगले ही दिन से स्टूडियो के चक्कर लगाने शुरू किये। अनंत एक जूनियर आर्टिस्ट था। उसने भी उसे कुछ पते दिए।
अनंत के घर अक्सर उससे मिलने वाले आते, जिनमें रोज़ी भी थी। रोज़ी अनंत की तरह ही जूनियर आर्टिस्ट थी। वो लगभग रोज़ अनत के घर आती। उसके बैग में कुछ खाने का सामान रहता, जिस पर अनंत और दूसरे लोग टूट पड़ते।
रोज़ी अनंत की हर ज़रूरत का ख्याल रखती। कई बार तो उसके कपडे़ भी धो देती। अनंत समीर से रूखा व्यवहार करता, पर रोज़ी समीर से बहुत नरमी से पेश आती। अनंत और रोज़ी अक्सर साथ-साथ बैठते, हँसते। रोज़ी समीर को भी जोक सुनकर हंसाने की कोशिश करती। समीर को निराश देख रोज़ी उसे समझाती। उसका हौसला बढ़ाती। उसे नए पते बताती। रोज़ी की कोशिशो से ही आखि़र समीर को एक फ़िल्म प्रोड्यूसर के यहाँ ऑफिस में अकाउंट चेक करने का काम मिल गया।
समीर मुंबई के जीवन में घुलने-मिलने लगा। अब उसके कई दोस्त बन चुके थे, पर समीर को रोज़ी बहुत अच्छी लगती थी। उसकी मीठी आवाज़ और बड़ी-बड़ी आँखे समीर को अक्सर अपनी ओर खींचती, तो वो खुद को समझा लेता कि वो अनंत की है और उसे रोज़ी के बारे में इस तरह नहीं सोचना चाहिए।
समीर देखता; कई बार अनंत को काम नहीं मिलता, तो रोज़ी उसे पैसे भी देती, पर वो ये भी देखता कि अनंत रोज़ी की परवाह नहीं करता था। कभी-कभी तो वो उससे बेहद क्रूरता से पेश आता। कई बार उसने देखा था, कि अनंत की बातों से रोज़ी की आँखों में आंसू छलक आए हैं। समीर को बहुत बुरा लगता। वो बीच-बचाव करने की कोशिश करता, तो अनंत उस पर चिल्लाने लगता। लेकिन रोज़ी जब भी रोती, समीर उसे चुप कराने की कोशिश ज़रूर करता। रोज़ी जब जाने लगती, तब वो उसके साथ-साथ नीचे उतरता।
एक दिन तो वो उसे घर तक छोड़ने गया। उस दिन रोज़ी के साथ काफी बातें हुई। उसे पता लगा कि अनाथ रोज़ी अपनी मासी के साथ रहती है। पेट पालने के लिए छोटे-मोटे रोल करती है। और अब उसकी मासी उसकी शादी अपनी बिरादरी में करना चाहती हैं। ये बात वो अनंत से बता भी चुकी है, पर वो शादी की बात सुनते ही भड़क जाता है।
उस दिन समीर जब घर लौटा तो अनंत गुस्से से आगबबूला हो गया था। उसने समीर को काफी भला बुरा कहा। रोज़ी को गालियाँ दीं और नशे में धुत होकर सो गया।
अगला हफ़्ता समीर की ज़िन्दगी में कई बदलाव लेकर आया। अनंत ने उसे रहने के लिए दूसरी जगह देखने का अल्टीमेटम दिया। वो अपनी शादी के लिए घर चला गया। समीर को एक फ़िल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर का काम मिल गया। अनंत के जाने से रोज़ी बिलकुल टूट गई और अब समीर रोज़ी से मिलने अक्सर उसके घर जाने लगा। उसे लगता अब अच्छा समय आने वाला है।
वाकई समीर की गाड़ी चल निकली थी। अब उसे और काम भी मिलने लगे थे। इस बीच वो लगातार रोज़ी से मिलता रहा। उसकी सहयता करता रहा। जब रोज़ी मना करती तो समीर कहता उसके बुरे व़क्त में रोज़ी ने भी तो उसकी कितनी मदद की थी।
धीरे-धीरे रोज़ी संभलने लगी। उसकी वो खनकती हुई हंसी दोबारा लौट आई थी। वो अक्सर समीर से मिलने उसके सेट पर आ जाती। उनकी शामें साथ गुज़रतीं।
एक दिन समीर ने रोज़ी से कहा कि वो उससे शादी करना चाहता है। इस पर रोज़ी ने कहा कि ’दरअसल वो उसे प्यार नहीं करता, बल्कि अपना एहसान उतारना चाहता है।’ समीर ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की, पर रोज़ी अपने इरादे पर अटल रही।
समीर के ज़िद करने पर उसने कहा कि ’जब भी समीर रोज़ी से अपनी पहली मुलाक़ात याद करेगा, उसके साथ अनंत याद आ जाएगा, तब ये प्यार नफ़रत में बदलने लगेगा।’ रोज़ी ने कहा कि ’वो अनंत का धोखा झेल गई, पर समीर की नफ़रत नहीं झेल पाएगी। उनका रिश्ता शादी की मंजिल तक पंहुचा, तो टूट जाएगा। पर रोज़ी एक अच्छा दोस्त नहीं खोना चाहती, वो उस लड़के से शादी कर लेगी, जिसे उसकी मासी ने पसंद किया है।’
रोज़ी की शादी हो गई। समीर के समझाने के बावजूद वो कभी स्वीकार नहीं कर पाई कि समीर पहली मुलाक़ात से ही उसे चाहने लगा था।