कहानी:माँ अब चला नहीं जाता – डॉ0 चम्पा श्रीवास्तव

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माँ अब चला नहीं जाता


डॉ0 चम्पा श्रीवास्तव, डी0लिट0्,
प्रोफेसर- हिन्दी विभाग
फीरोज़ गांधी पी0जी0कॉलेज,
रायबरेली (उ0प्र0)

        इस चिलचिलाती धूप में कंकरीली-पथरीली सड़क पर दो नन्हें बच्चों को लिए कहाँ जा रही हो शीला? मीना ने पूंछा। दाहिने हाथ में सात माह का दुधमुहा बच्चा तथा बायें हाथ में चार वर्षीय पुत्री का हाथ पकड़े और मुँह में मास्क पहने शीला ने उत्तर दिया। लॉक डाउन होने के कारण वाहन के अभाव में पाँच कि0मी0 की दूरी तय करके उसे मुंबई के रेलवे स्टेशन पहुँचना था। शीला तेज रफ्तार में चली जा रही थी। गोद का बच्चा तो सो गया किंतु चार वर्षीय पुत्री धूप और गर्मी से तिलमिलाकर जोर-जोर से रोने लगी। चप्पल के अभाव में सड़क के कंकड़ गड़ने के कारण पुत्री के कोमल तलवे से रक्त बहने लगा था। पुत्री निगाह ऊपर करती और कहती- माँ! मैं चल नहीं पा रही हूँ। मेरे पैर में बहुत दर्द हो रहा है माँ! मुझे गोद ले लो माँ! अपनी पुत्री के इन दर्द भरे शब्दों से माँ का अन्तस्तल घायल हुआ जा रहा था, उसका अन्तर्मन कराह रहा था किंतु वह मजबूर थी। दर्द से कराहती हुयी अपनी बच्ची को तो वह गोद भी नहीं ले सकती थी क्योंकि उसकी गोद में तो दुधमुहा बच्चा सो रहा था, इसलिए शीला अपनी नन्हीं मुन्नी को ज़बरदस्ती घसीट कर चलाये जा रहा थी। इस दर्दनाक दृश्य को देखकर किसी राहगीर ने कहा- लॉक डाउन में क्यों जा रही हो? तुम्हारी बच्ची चल नहीं पा रही है और तुम इसे घसीटते हुए कहाँ जा रही हो? राहगीर की बात सुनते ही शीला की आँखों से आँसुओं की बरसात होने लगी। सिसकियाँ भरती हुयी राहगीर से बोली- भैय्या! मेरे सास ससुर कर्जे की मार से फांसी लगाकर दुनिया से विदा हो गये। भाई-भाई की लड़ाई में मेरे पति का खून हो गया। बची मैं और मेरे दोनों मासूम बच्चे। रूंघे हुए गले से शीला ने बताया कि- भैय्या मुझे असहाय समझकर दरिंदों ने गिद्ध दृष्टि से देखना शुरू कर दिया। कोरोना महामारी ने घर में ही रहने को जब मजबूर कर दिया तो वे दरिंदे खाना देने के बहाने मेरे जिस्म से खिलवाड़ करने लगे। यहाँ रहती तो जिंदा न रह पाती। मैं लखनऊ के मर्दन खेड़ा जा रही हूँ, जहाँ अपने स्वर्गीय पिता के द्वारा बनायी गयी कोठरी में बूढ़ी माँ के साथ रहकर कुछ काम करके अपने बच्चों को बड़ा करूंगी। वह स्टेशन की ओर हांफती हुयी बढ़ती चली जा रही थी। माँ मुझे गोद ले लो, अब मैं नहीं चल पाऊंगी। मुझे बहुत दर्द हो रहा है। यह कहते- कहते तथा दर्द से कराहते- कराहते पुत्री कब मौन हो गयी, शीला को पता ही नहीं चला। स्टेशन के फाटक पर पहुँचते ही थकान के कारण लड़खड़ाते हुए शब्दों से शीला बोली, जल्दी से खड़ी हो जा मेरी बिटिया। अब तुझे चलना नहीं पड़ेगा, अब गाड़ी में बैठना है। किंतु हाय! बिटिया तो घसिट कर चलते-चलते कब की मृत्यु की गोद में सो चुकी थी। अपने कलेजे के टुकड़े की बड़ी-बड़ी खुली आँखें देख माँ चीत्कार करने लगी। बच्ची के पैर के तलवे से निकला हुआ खून भी अब सूख चुका था। शीला अपने दुधमुँहे बच्चे को अपने आँचल में छिपाये तथा अपनी मृत बेटी को सीने से लगाये बेहोश हो गयी। ट्रेन आई और चली भी गयी किंतु शीला बेहोश वहीं पड़ी रही।

  • डॉ0 चम्पा श्रीवास्तव, डी0लिट्0 (कवयित्री एवं साहित्यकार)
    पूर्व प्राचार्य- फीरोज़ गांधी पी0जी0 कॉलेज, रायबरेली
    डीन फैकल्टी ऑफ आर्ट्स (अधिष्ठाता- कला संकाय)
    सी0एस0जे0एम0 विश्वविद्यालय, कानपुर
  • 20 शोधार्थियों को पी-एच0डी0 डिग्री प्राप्त
  • मौलिक पुस्तकों का सृजन – 7
  • सम्पादकीय पुस्तकें – 8
  • पत्रिका सम्पादन – 2
  • राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में अध्यक्षता/रिसोर्स पर्सन
    • अन्तर्राष्ट्रीय मानस सम्मेलन – मॉरिशस
    • अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी उत्सव – जकार्ता (इंडोनेशिया)
    • हिन्दी सम्मेलन – वियतनाम
    • अन्तर्राष्ट्रीय मानस सम्मेलन – कानपुर, दिल्ली, बी0एच0यू0, लखनऊ आदि।
  • पुरस्कार, सम्मान एवं प्रशस्ति पत्र – 37
    (रेणु स्मृति सम्मान, सरस्वती सम्मान, सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान तथा भक्त शिरोमणि तथा
    मीरा सम्मान आदि)
  • सामाजिक कार्यों में अहम भूमिका
  • सम्प्रति- प्रोफेसर – हिन्दी विभाग
    फीरोज़ गांधी पी0जी0कॉलेज, रायबरेली (उ0प्र0)
    मो0- 7007782382, 9336004691
    E-mail : dr.champa1@gmail.com

बी- 64, आनंद नगर,
रायबरेली (उ0प्र0)
मो0- 7007782382

3 thoughts on “कहानी:माँ अब चला नहीं जाता – डॉ0 चम्पा श्रीवास्तव

  1. Maa ab chalaa nahii jaataa, a story describing the Covid – 19 ill effects on women of Indian society. Dirty face of anti social elements is portrayed by noted author show’s that socially we have nothing achieved as for as poverty facing woman are concerned. The death of daughter has touched the heart.

  2. Maa ab chalaa nahii jaataa, is one of the most popular Short stories written during Covid – 19 period. Dr Champa Srivastava portrayed the sketch of a poor woman fighting against the difficulties of her life. She tried hardly to safe the future of her kids but unfortunately defeated by social evils prevalent in India.

  3. This heart shaking story depicts the traumatic times faced by poor during lockdown caused due toe COVID19.
    Writer has touched upon humanitarian side of a poor mother who is fighting all out against all odds to save her family.
    Writer has successfully poured her emotions through this narrative.
    Thanks.

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