कहानी : कोरोना और यमलोक-आरती पांड्या
कोरोना और यमलोक
इन दिनों यमराज के कार्यालय के बड़े बाबू चित्र गुप्त का सिर चकराया हुआ है l कार्यालय में ऐसी गड़बड़ हुई है कि यमराज ने अपने दरबार में बुला कर चित्र गुप्त को सभी दरबारियों के सामने डांटते हुए यहाँ तक कह दिया कि यदि चित्र गुप्त ने शीघ्र ही अपनी त्रुटि सुधार कर कार्यालय के आत्मा स्टोर को यथावत नहीं किया तो उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी l करोड़ों साल की नौकरी में पहली बार ऐसा हुआ है कि चित्र गुप्त को सार्वजनिक रूप से अपमानित होना पड़ा है l
जब से धरती पर मानव अवतरित हुआ तभी से परमात्मा के कार्यालय में काम बढ़ गया था क्योंकि पृथ्वी पर जन्म लेने वाले सभी प्राणियों का मरण निश्चित किया गया था और आत्माओं को रिसायकिल किया जाना तय हुआ था अतः सभी आत्माओं का हिसाब रखने के लिए जीवन मरण विभाग की स्थापना करनी पड़ी थी और उसका कार्यभार यमराज को सौंपा गया l हजारों सालों तक यमराज ने अपने सहकर्मी चित्र गुप्त के साथ मिल कर इस विभाग को सुचारु रूप से चलाया लेकिन धीरे धीरे ईश्वर का बनाया हुआ संसार द्वीपों , देशों और नगरों में बंटने लगा और साथ ही विभिन्न स्थानों के लोग भिन्न भिन्न भाषाएं बोलने लगे तब चित्र गुप्त को स्टोर में जमा होने वाली आत्माओं से बात करने में परेशानी होने लगी यह देख कर यमराज ने परमात्मा जी से सलाह कर के अपने विभाग की शाखाएं सारे द्वीपों में खोल कर उन शाखाओं का कार्य भार उन्हीं द्वीपों के धर्म गुरुओं को सौंप कर स्वयं जंबू द्वीप के अपने पुरातन साम्राज्य की आत्माओं को सम्हालने की ओर अपना ध्यान लगा दिया l हालांकि यहाँ भी चीनी , जापानी जैसी भाषाएं बोलने वाले प्राणियों की अधिकता होने से थोड़ी दिक्कत बढ़ने लगी थी जिसे देखते हुए चित्र गुप्त ने अपने बॉस यमराज को सलाह दी कि किसी प्रकार का सूचना प्रसार किये बिना चुपचाप इन सभी देशों से आई हुई आत्माओं में से एक एक प्रतिनिधि को कार्यालय में नौकरी दे देनी चाहिए l बात यमराज को समझ में आगई और कार्यालय का कामधाम सुचारु रूप से चलने लगा l
सब कुछ ठीक ही चल रहा था लेकिन विगत कुछ वर्षों से भारत देश से आने वाली आत्माएं अपना मानव स्वभाव साथ लेकर आने लगी हैं l कहने का तात्पर्य यह है कि नेता यमलोक में आकर अपनी पार्टियां बनाने लगे हैं और अभिनेता फिल्में बनाने के सपने देखते हुए इंद्रलोक की अप्सराओं को हीरोइन बनाने का लालच देकर बर्गालाने लगे हैं l इन समस्याओं को तो किसी तरह चित्रगुप्त ने कुछ हद तक सम्हाल लिया किन्तु गत दो वर्षों से कोरोना नामक एक जीवाणु द्वारा फैली बीमारी के कारण पूरे संसार में जो त्राहि त्राहि मची उससे यमलोक भी नहीं बच पाया है l
हुआ यूं कि कोरोना से मृत्यु को प्राप्त होकर जीवात्माओं का यमलोक में आगमन सहसा इतना बढ़ गया कि उनको यमलोक के आत्मा वृक्षों पर बैठाने की जगह ही नहीं बची l लिहाजा चित्रगुप्त को जिस भी पेड़ पर थोड़ी बहुत जगह मिली उन संकर्मित आत्माओं को वहाँ फिट कर दिया l कुछ दिनों तक तो कोई समस्या नहीं हुई लेकिन एक दिन अचानक नेताओं वाले वृक्ष पर चल रही जंबू द्वीप के समस्त नेताओं की एक सभा में एक चीनी नेता की आत्मा जोर जोर से खाँसने लगी l सदियाँ बीत गईं थीं पर कभी भी कोई आत्मा यमलोक में आकर खांसी नहीं थी और वह भी एक नेता की आत्मा के खाँसने से सभी नेताओं की आत्माएं विचलित होने लगीं l तभी एक विद्वान जापानी नेता की आत्मा ने कहा कि यह चीनी अवश्य अपने देश से यह रोग लेकर आया है l सबने उस आत्मा को अपने वृक्ष से हटाए जाने की माँग शुरू कर दी तब खाँसने वाली आत्मा ने बताया कि वह कोई नेता नहीं हैं वह तो कोरोना संक्रमण से मरने के बाद यमलोक में आया था और चित्रगुप्त ने उसे इस पेड़ पर बैठने को कहा था l इतना सुनते ही सारी नेता आत्माएं क्रोधित होकर वृक्ष से उतरीं और जाकर चित्रगुप्त के महल के सामने धरना देने लगीं और बड़े बाबू से क्षमायाचना की माँग करने लगीं l
नेताओं के वृक्ष पर कोरोना संक्रमित आत्मा के होने का समाचार जब से यमलोक में फैला है तब से सभी आत्माओं ने अपने अपने वृक्षों से उतर कर पूरे यमलोक में हंगामा मचा कर कोरोना वाली आत्माओं के लिए अलग वृक्ष का प्रबंध करने के लिए आंदोलन शुरू कर दिया है l कुछ चीनी आत्माओं ने तो अपने देश के किसी योग्य अधिकारी को धरती से मँगवा कर उसे चित्रगुप्त का कार्य भार देने तक की माँग कर डाली है और उनके स्वर में स्वर मिलाते हुए पाकिस्तानी रूहों ने अपने इस्लामी मौलवी को यमलोक का सद्र बनाने की फरमाइश करते हुए अपने अल्लाहताला से गुज़ारिश करनी शुरू कर दी है कि इस हिन्दू यमलोक में उनके मुल्क की आत्माओं को खतरा है l हो सकता है कि उनलोगों की पाक रूहों को हिंदुस्तान के हिंदुओं के खानदानों में पैदा होने के लिए भेज दिया जाए और उनके मजहब की तौहीन करी जाए इस वजह से इस्लामी मुल्कों की रूहों के लिए अलग रुहिस्तान होना चाहिए l
यमलोक के इस हंगामे का समाचार सभी देवी देवताओं तक पँहुच चुका था और वे सभी लोग यमराज पर दबाव डाल रहे थे कि आत्माओं के साथ असावधानी बरतने के लिए चित्रगुप्त को कड़ा दंड दिया जाना चाहिए l चित्रगुप्त अपने महल के बाहर हो रहे आत्माओं के धरने से वैसे ही परेशान थे ऊपर से यमराज के बुलावे ने उनको और अधिक चिंतित कर दिया l लेकिन जाना तो पड़ेगा ही इसलिए महल के पीछे के द्वार से निकल कर छिपते छिपाते किसी तरह यम के महल तक पँहुचे लेकिन वहाँ पँहुचते ही भीषण विस्फोटक ध्वनि उनके कानों में पड़ी l चौंक कर चारों ओर दृष्टि दौड़ाई तो देखा कि यमराज का बैल जोर जोर से छींक रहा था l ‘हे ईश्वर ! यह सब क्या हो रहा है ? पृथ्वी के तौर तरीके यमलोक में क्यों प्रारंभ हो गए हैं l दया करिए प्रभु l ‘
मन ही मन डरे हुए बड़े बाबू जब यमराज के दरबार में पँहुचे तो यम ने क्रोध से लाल आँखों से घूरते हुए पूछा , “ चित्रगुप्त , आज तक जो नहीं हुआ वह यमलोक में कैसे हो रहा है ? तुमने संक्रमित आत्माओं को क्यों अन्य आत्माओं के साथ रखने का निर्णय लिया ?”
चित्रगुप्त ने प्रणाम करते हुए उत्तर दिया “ प्रभु ! मुझसे तो त्रुटि हुई है और मैं उसे सुधारने का प्रयास भी आरंभ कर दूंगा किन्तु आपके वृषभ को जुकाम हुआ है यह बात जानते हुए भी आपने उसे अपने महल के मुख्य द्वार पर क्यों बांध रखा है ? उसकी छींकों से उधर से आने जाने वालों को भी जुकाम हो सकता है और कहीं यह भी संक्रमण की छींकें हुईं फिर तो समस्या गंभीर हो जाएगी l “
बड़े बाबू की बात सुनकर यमराज के कान खड़े हो गए l उनके बैल की छींकें तो उनका सिन्हासन भी हिला सकती हैं l यह सोच कर यम ने तुरंत चित्रगुप्त को अलग कक्ष में ले जाकर कहा , “ चीनी आत्माओं से ज्ञात हुआ है कि इस संक्रमण से बचने के लिए कोई तरल पदार्थ छिड़का जाता है और उस से हस्त प्रक्षालन भी किया जाता है तो तुम किसी चीनी वैज्ञानिक की आत्मा से वो रसायन बनवा कर तुरंत पूरे यमलोक में उसका छिड़काव करवा दो और हमारे बैल को भी उसी तरल से स्नान करवा दो l
चित्रगुप्त ने सिर झुका कर अपने स्वामी की आज्ञा को शिरोधार्य किया और आगे के गतिविधि को क्रियात्मक रूप देने में जुट गए l फिलहाल यमलोक का माहौल आजकल धरती जैसा है ही हो गया है क्योंकि आत्माएं भी छह फुट की दूरी बना कर अपने अपने पेड़ों पर रहती हैं और संक्रमित आत्माओं को तो सेनीटाइज़र से भरे एक तालाब में डाल दिया गया है l
- आरती पांड्या
Gajab ki soch h bhai.kamaal ka likha h
Wah Wah Vandan , Abhinandan
Corona vishanu se utpann huyi uthal puthal ka itna sateek aur mazedar Katha Chitran kadapi anutha hai
Ved Kabeera 🇮🇳