कहानी : संपन्नता का दंभ-आरती पांड्या
संपन्नता का दंभ
विपिन झिंगरन के घर में आज जैसे खुशियों की बौछार हो रही थी l सुबह सुबह बेटे संजय के मेडिकल की फाइनल परिक्षा उत्तीर्ण करने का शुभ समाचार मिला तो परिवार को बधाई देने वालों का तांता लग गया और पति पत्नी दिनभर मेहमानों का मुंह मीठा कराने और बधाइयां स्वीकार करने में ही व्यस्त रहे l इसी बीच शाम को एक फोन कॉल ने तो पूरे परिवार को हैरानी और प्रसन्नता के मिले जुले भाव से भर दिया l बात ही कुछ ऐसी थी कि झिंगरन दंपत्ति अपनी ख़ुशी को समेट ही नहीं पारहे थे l उनकी बड़ी बेटी रीना के लिए शहर के सबसे बड़े बिल्डर सेठ मोतीलाल रोहतगी के बेटे का रिश्ता आया था l मोतीलाल जी के प्रस्ताव को सुनकर झिंगरन जी के मुंह से तो शब्द ही नहीं निकल रहे थे और जब सेठ जी ने पूछा कि विपिन को यह रिश्ता मंज़ूर है या नहीं तब कांपती आवाज़ में उसने जवाब दिया “ सेठ जी , हम तो आपके पाँव के नाखून बराबर भी नहीं हैं , भला आपका और हमारा क्या जोड़ ?” तब मोतीलाल ने हंस कर जवाब दिया था ‘कि कमल पाने के लिए कीचड में उतरना पड़ता है विपिन जी और आपकी बेटी ऐसा ही अनमोल कमल है , जिसको अपने घर लाकर हम अपने परिवार की शोभा बढ़ाना चाहते हैं ll विवाह के खर्चे की चिंता आप मत करिएगा l हम सब सम्हाल लेंगे ll बस आप इस रिश्ते के लिए हाँ कह दीजिये l l’उनका कहना था कि उनका बेटा प्रतीक अपने आयात निर्यात के व्यापार के कारण अधिकतर देश से बाहर रहता है और सेठ जी की पत्नी को चिंता रहती है कि प्रतीक किसी विदेशी लड़की को उनकी बहू बना कर ना ले आये ll मोतीलाल ने बताया कि उनकी श्रीमती जी ने पिछले महीने रविन्द्र भवन में रीना का नृत्य कार्यक्रम देखा था और तभी से वो उनके मन में बस गई थी इसीलिए उन्होंने सेठ जी से इस रिश्ते के लिये बात करने का आग्रह किया था ll
सारी बात विनय झिंगरन के सामने शीशे की तरह साफ़ हो गई थी इसलिए उन्होंने परिवार में किसी से भी इस बारे में सलाह लेने की आवश्यकता नहीं समझी और तुरंत सेठ मोतीलाल को इस रिश्ते के लिए अपनी स्वीकृति दे दी जिस पर मोतीलाल ने झिंगरन जी को सपरिवार अपने घर आने का निमंत्रण देते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि आज शाम को ही छोटी सी रस्म में प्रतीक और रीना की सगाई कर दी जाएगी l सेठ जी से बात होने के बाद विनय ने पूजा घर में जाकर भगवान् के सामने साष्टांग दंडवत किया और फिर पत्नी को यह सूचना दी तो श्रींमती सुषमा झिंगरनने तो मारे ख़ुशी के रीना की बलाएँ लेडालीं और झट से एक काला धागा ढूंढ कर उसकी कलाई में बांध दिया ताकि किसी की बुरी नज़र उनकी सुन्दर बिटिया को छू भी ना सके l
शाम को नियत समय पर झिंगरन परिवार सजी संवरी रीना को लेकर मोतीलाल के महलनुमा निवास पर पंहुच गया l घर के अन्दर की कीमती सजावट और फर्नीचर देख कर मध्यमवर्गीय झिंगरन परिवार की तो आंखें ही फटी जा रही थीं l मोतीलाल और उनकी पत्नी प्रमिला लड़की और उसके परिवार की ऐसी खातिर कर रहे थे जैसे उनके घर स्वयं भगवान् पधारे हों और झिंगरन दम्पति इतने रईस लोगों की सज्जनता देख कर नतमस्तक हुए जा रहे थे l मोतीलाल के बेटी और दामाद भी रीना और उसके परिवार वालों की आवभगत में लगे हुए थे l लेकिन उनका बेटा कहीं नजर नहीं आरहा था l झिगरन दम्पत्ति के मन में अपने होने वाले दामाद से मिलने की इच्छा तो उछालें मार रही थी लेकिन सेठ जी के वैभव के आगे उनकी जुबान खुल नहीं पा रही थी l परंतु विनय के बेटे संजय को यह दिखावा और यह बेमेल रिश्ता बिल्कुल समझ में नहीं आ रहा था l उसने धीरे से अपने पिता से कहा कि सगाई की रस्म से पहले प्रतीक की मर्ज़ी भी जान ली जाए तो उचित होगा , मगर विनय झिंगरन तो इस समय पूरी तरह से सेठ जी की सम्पन्नता के जादू से बंधे हुए थे इसलिए बेटे को चुप रहने का इशारा किया और अपने भावी समधी जी की गतिविधियों को पूरी तन्मयता से देखते रहे l l
सगाई की तैयारी हो गई तो श्रीमती प्रमिला मोतीलाल ने अपनी बेटी से प्रतीक को बुलाकर लाने को कहा llतो कुछ देर के बाद प्रतीक आया और सबकी तरफ देखते हुए एक बार हाथ जोड़ कर रीना की तरफ एक सरसरी नज़र डालकर दूर सोफे पर अपने बहनोई अनुज गर्ग के पास जाकर निर्विकार भाव से बैठ गया lऔर जब उसकी माँ ने पास जाकर उसे रीना से बात करने को कहा तो उसने दबी ज़बान में माँ से कुछ कहा जिसे सुनकर प्रमिला के चेहरे पर गुस्से का भाव आगया लेकिन अगले ही पल खुद को सम्हालते हुए वो रीना की माँ के पास आकर बोली , “क्या बताऊँ सुषमा जी , हमारा प्रतीक आज के ज़माने का होकर भी कह रहा है कि जब आप लोगों ने पसंद कर ही लिया है तो मैं क्या बात करूँ l देखिए तो अपनी होने वाली दुल्हन से बात करने में भी झिझक रहा है l”l” फिर वो रीना के पास आई और उससे बोली ““रीना बेटी तुम ही प्रतीक के पास जाकर उससे थोड़ी बात करलो तो शायद उसकी झिझक दूर हो जाए” l”लेकिन रीना ने यह सुन कर अपना सिर नीचे झुका कर इनकार में गर्दन हिला दी तब कुछ निराशा का भाव दिखाते हुए प्रमिला ने कहा “ जब लड़का और लड़की आपस में बात करना ही नहीं चाहते हैं तो हम लोगों को बिना देर किये सगाई की रस्म शुरू कर देनी चाहिए l l सबने हाँ में हाँ मिलाई तो प्रतीक की बहन ने रीना को लेजाकर फूलों से सजी हुई कुर्सी पर बैठाया और उसके पति अनुज ने अपने साले साहब को हाथ पकड़ कर उठाया और लाकर रीना की बगल में बैठा दिया l l प्रतीक सपाट चेहरा लिए कुर्सी पर आकर बैठ गया l फिर प्रमिला ने बेटे को और प्रतीक की बहन ने रीना को एक एक हीरे की अंगूठी पकड़ा कर एक दूसरे को पहनाने का आग्रह किया l l
जब प्रतीक की उंगली में अंगूठी पहनाते हुए रीना ने उसकी तरफ देखा तब प्रतीक की निगाह रीना के खूबसूरत चेहरे पर टिक कर रह गई और उसको अपनी तरफ ताकते हुए देख रीना ने शरमा कर सिर झुका लिया l l बेटे को होनेवाली बहु पर मुग्ध होते देख प्रमिला के चेहरे पर इत्मीनान की मुस्कराहट चमकने लगी और उसने बेटे को टहोका मारते हुए रीना की उंगली में अंगूठी पहनाने का इशारा किया जिसपर प्रतीक थोड़ा अनमना सा हो गया लेकिन उसकी माँ ने ज़बरदस्ती उसका हाथ पकड़ कर रीना के हाथ की तरफ बढ़ाया और सगाई की रस्म पूरी करवाने के बाद अपनी समधन से बोली “ मैं तो अपने बेटे की इस झिझकने की आदत से परेशान हूँ बहन जी , l अब रीना ही आकर इसको सुधारेगी l l”
इस रिश्ते से बाकी सब लोग चाहे जितने खुश हो रहे हों लेकिन संजय को प्रतीक का व्यवहार सहज नहीं लग रहा था l इसलिए उसने रीना और प्रतीक के पास जाकर हँसते हुए कहा “ “तुम दोनों ज़िन्दगी भर के लिए शादी के रिश्ते में बंधने वाले हो उसके पहले आपस में बात कर के एकदूसरे के बारे में थोड़ी जानकारी तो ले लो l” l” संजय की बात सुनकर प्रतीक पल भर को तो कुछ अनमना सा हो गया लेकिन फिर उसने रीना से बात करनी शुरू करी तो उसके माता पिता लपक कर उसके पास आये और श्रीमती मोतीलाल ने रीना को हाथ पकड़ कर उठाते हुए कहा,“तुमलोगों की बातें तो ज़िंदगी भर होती रहेंगी , रीना बेटी ! पहले तुम मेरे साथ जरा अन्दर चलो , तुम्हें शादी के जेवर दिखाने हैं l” और वो रीना का हाथ पकड़ कर उसको लेकर अंदर चली गईं, फिर मोतीलाल ने प्रतीक से धीरे से कुछ कहा और उसे अपने साथ लेकर एक कोने में चले गए ll
रीना के माता पिता तो यह देख कर परम प्रसन्न थे कि उनकी बेटी को कितनी स्नेह करने वाली सास मिली है जो अभी से ही अपनी बहु पर इतना प्रेम उंडेल रही है ll लेकिन इस सारे घटना क्रम से नाखुश संजयl ने मोतीलाल के दामाद अनुज से कहा कि वे लोग अब घर जाना चाहते हैं इसलिए अन्दर से रीना को बुलवा दिया जाये ll कुछ देर के इंतज़ार के बाद रीना बाहर आई तो उसके हाथ में दो-तीन मखमली डिब्बे देख कर उसकी माँ ने कुछ पूछना चाहा तो रीना के कुछ बोलने से पहले ही प्रतीक की बहन ने कहा “ “आंटी जी मेरी मम्मी ने अपनी लाडली बहु को कुछ जेवर उपहार में दिए हैं ,l घर जाकर आराम से देख लीजिएगा l “l”
आखिर कुछ देर के बाद झिंगरन परिवार ने सेठ मोतीलाल से विदा मांगी तो सेठ जी ने फ़ौरन अपनी मर्सिडीज़ गाडी में फल मिठाई और उपहार रखवाए और अपने समधी के परिवार को उसमें बैठा कर विदा करने के बाद अपनी सेठानी जी से बातें करते हुए जब घर के अन्दर आये तो देखा कि प्रतीक हॉल में बेचैनी से चक्कर लगाते हुए कुछ बडबडा रहा है l l माता पिता को अन्दर आते हुए देखा तो चिल्ला कर बोला “ मम्मी पापा ! “आप लोग जो कर रहे हैं वह गलत है और मैं यह होने नहीं दूंगा l “l” बेटे के गुस्से को देख कर मोतीलाल एक कुटिल हंसी हँसते हुए बोले ““बेटा हम सिर्फ रिश्ते में ही तुम्हारे बाप नहीं हैं बल्कि अपनी शतरंज की चालें चलने में भी तुम्हारे बाप हैंl l हमने यह रिश्ता तय कर दिया है तो अब शादी तो तुम्हारी इसी लड़की से होगी l “ l”
बेटे को धमकी देकर सेठ जी दनदनाते हुए अन्दर चले गए तो प्रतीक भी कुछ सोच कर अपने कमरे में चला गया और दरवाज़ा अन्दर से बंद करके उसने धीमी आवाज़ में किसी से फोन पर बात करी और उसके बाद इत्मीनान की सांस ली l l
झिंगरन परिवार अपने घर पंहुचा तो रीना की माँ ने सबसे पहले जेवर के डिब्बे खोल कर देखे और भारी जडाऊ सेट देखकर अपनी बेटी की बलाएँ लेती हुई बोली “” बिटिया तुम्हारी तकदीर तो संवर गई समझो ,l मगर अब ससुराल पंहुच कर अपनी छोटी बहन के लिए भी अपने जैसा ही मालदार घर और वर ढूँढना “ l” रीना ने अपनी माँ को ऐसा ही करने का आश्वासन दिया और अपने वैभवपूर्ण भविष्य के सपनों में खो गई l l
सगाई के अगले दिन से ही श्रीमती सुषमा झिंगरन ने बेटी की शादी में होने वाले खर्चों का हिसाब लगाना शुरू कर दिया और पतिदेव से रुपयों का बंदोबस्त करने को कहने लगीं l तब विनय झिंगरन ने पत्नी की चिंता को हवा में उड़ाते हुए बताया कि शादी का सारा खर्च सेठ मोतीलाल ने उठाने का वचन दिया है इसलिए सुषमा को कोई चिंता करने की ज़रुरत नहीं है l l घर में पक रही इस खिचड़ी से बेखबर संजय को इस रिश्ते के प्रति प्रतीक की अनिच्छा साफ दिखाई दे रही थी और इसी लिए वह अपने माँ बाप को समझाने की कोशिश कर रहा था कि शादी से पहले प्रतीक के बारे में किसी से पूरी जानकारी लेने की कोशिश करें l लेकिन विनय और सुषमा पर तो सेठ जी के धन और वैभव का ऐसा नशा चढ़ा हुआ था कि कोई और बात उन दोनों को समझ में ही नहीं आरही थी l l अपनी बहन के भविष्य को लेकर चिंतित संजय ने जब रीना को एक बार प्रतीक से बात करने के लिए समझाना चाहा तो रीना ने जवाब दिया कि मम्मी और पापा की मर्जी के बिना वो प्रतीक से कैसे बात कर सकती है ? बहन के उत्तर की सच्चाई को समझते हुए संजय ने प्रतीक से स्वयं बात करने के इरादे से उसके घर पर फोन किया तो श्रीमती मोतीलाल ने कह दिया कि प्रतीक अपने किसी विदेशी क्लाएन्ट से फोन पर जरूरी बात कर रहा है इसलिए अभी उससे बात नहीं हो सकती है l निराश मन से संजय ने फोन रखा ही था कि उसके एक सीनियर डॉक्टर अभिनव का फोन आगया , “ संजय मैंने सुना है तुम्हारी बहन की शादी प्रतीक मित्तल के साथ तय हो गई है ?” अभिनव की बात से चौंक कर संजय ने पूछा कि उसे इस बात की जानकारी कैसे मिली ? जिसपर अभिनव ने बताया कि प्रतीक और अभिनव बचपन के दोस्त हैं और अभिनव के पिता प्रतीक के व्यापार में साझेदार भी हैं l स्वयं प्रतीक ने कुछ देर पहले उसे इस रिश्ते की जानकारी दी है l
संजय ने तुरंत प्रतीक के सगाई के प्रति बुझे हुए बर्ताव को लेकर अपने मन की आशंका उसको बताई तो अभिनव बोला “ तुम्हें प्रतीक के बारे सारी जानकारी मिल जाएगी लेकिन उसके लिए तुमको आज शाम को होटल ‘स्काईलाइन’ में आना पड़ेगा l” शाम को ठीक समय पर जब संजय होटल पँहुचा तो वहाँ अभिनव के साथ प्रतीक को भी देख कर वह चौंक गया l अभिनव ने संजय की तारीफ़ें करते हुए उसका परिचय प्रतीक से करवाया तो प्रतीक बोला “ इनको अपनी सगाई के दिन देख कर ही मैं समझ गया था कि ये एक समझदार व्यक्ति हैं इसीलिए मैंने तुझे इनको यहाँ बुलाने के लिये कहा था l”
संजय के दिमाग में बहुत से सवाल घूम रहे थे जिनके जवाब उसे चाहिए थे इसलिए वह प्रतीक के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया और प्रतीक की आँखों में झाँकते हुए उसने अपना सवाल दाग दिया “ क्या आप मेरी बहन से शादी अपने माता पिता की जिद से कर रहे हैं ? क्या आपकी ज़िंदगी में कोई और लड़की है ? प्रतीक मेहरबानी करके मुझे सच बता दीजिए क्योंकि मैं अपनी बहन की ज़िंदगी धन वैभव और संपन्नता के नाम पर बर्बाद होते नहीं देख सकता हूँ l”
प्रतीक ने उसके चेहरे पर निगाहें गड़ा कर कहा “ “संजय उस दिन सगाई का जो भी ड्रामा हुआ था उसमें मेरी मर्जी शामिल नहीं थी l मेरे माता पिता ने मेरी इच्छा के विरुद्ध सब किया था l मेरी तो लड़कियों में कोई दिलचस्पी है ही नहीं ll मैं तो एक लड़के से प्यार करता हूँ और उसी के साथ शादी करके लंदन में बसना चाहता हूँ , लेकिन मेरे माँ बाप ज़बरदस्ती मेरी शादी किसी लड़की के साथ इसलिए करवाना चाहते हैं क्योंकि उनका मानना है कि मेरे होमो सेक्शुअल होने की बात समाज में फैलने से मेरे इज्ज़तदार माँ बाप किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे l l इसलिए उन्होंने अपनी इज्ज़त पर बलि चढाने के लिए एक साधारण परिवार की खूबसूरत लड़की को चुना ताकि अपनी दौलत से लड़की और उसके परिवार का मुंह बंद रख कर वो दुनिया को यही दिखाएंगे कि उनका बेटा तो सामान्य जीवन जी रहा है l l मैं कल देख रहा था कि तुम सगाई के नाटक से खुश नहीं थे और शायद मेरी अनिच्छा को भी पहचान रहे थे l तुमने मुझे रीना से बात करने के लिए कहा भी था लेकिन तभी मेरे माँ बाप ने आकर मुझे बोलने से रोक दिया था l इसीलिए मुझे लगा कि मुझे तुमसे बात करके अपनी सच्चाई बता देनी चाहिए l लेकिन तुमसे कैसे संपर्क करूँ यह समझ में नहीं आरहा था l मैं रीना जैसी खूबसूरत और सरल लड़की की ज़िंदगी बर्बाद नहीं होने देना चाहता था इसी लिए जब मैंने अपनी सगाई के ड्रामे के बारे में अभिनव को बताया तो इसने तुरंत तुम्हारा जिक्र किया और मैंने अभिनव से तुम्हें यहाँ बुलाने को कहा ll अभिनव मेरे भाई जैसा है और मेरी समस्या को जानता और समझता है l l” इतना कह कर प्रतीक चुप हो गया और संजय के चेहरे को पढ़ने की कोशिश करने लगा l l
संजय को तो पूरी बात सुन कर जैसे सांप ही सूंघ गया था ll वह फटी फटी आँखों से प्रतीक को देखते हुए बोला “ “जो बात आप आज मुझे बता रहे हैं वह सगाई के दिन अगर सबके सामने कह देते तो मेरी बहन की ज़िन्दगी तो बर्बाद ना होती “l” प्रतीक ने गहरी सांस लेकर जवाब दिया “” उस दिन मेरे माँ बाप ने मुझे कुछ बोलने ही कहाँ दिया था इसीलिए बिना देर किये मैंने तुम्हें आज यहाँ बुलवाया l l वैसे भी अभी कुछ नहीं बिगड़ा है , सिर्फ सगाई हुई है l अगर मेरे माँ बाप ने शादी करवाने में भी जल्दबाजी कर दी तो दिक्कत बढ़ जाएगी l इसलिए lअब तुम अपने माता पिता को और अपनी बहन को मेरी सच्चाई बता कर यह रिश्ता तुडवा दो l “l”
संजय ने जवाब दिया , ““मेरे माँ बाप के ऊपर तो आपलोगों की दौलत का नशा चढ़ा हुआ है वो मेरी बात पर यकीन ही नहीं करेंगे l l अगर आप वाकई मेरी बहन की ज़िन्दगी बर्बाद होने से बचाना चाहते हैं तो मेरे साथ मेरे घर चलकर अपना यह सच अपने मुंह से उन लोगों के सामने क़ुबूल करिए l “l”
संजय की बात सुन कर पल भर को तो प्रतीक उत्तेजित सा हो गया और इनकार में अपना सिर हिलाते हुए उठ खड़ा हुआ लेकिन जब अभिनव ने उसे संजय की बात मानने के लिए समझाया तो कुछ कदम जाकर वह वापिस लौटा और यह कह कर संजय के साथ चलने को तैयार हो गया कि अभिनव भी उसके साथ चलेगा l l
संजय ने अपने घर पंहुच कर दरवाज़ा खटखटाया तो दरवाज़ा उसके पिता ने खोला और बेटे के साथ अपने होनेवाले रईसजादे दामाद को देख कर पहले तो उसे समझ में ही नहीं आया कि वह क्या करे l उसके मुंह से शब्द ही नहीं निकल रहे थे l वह सिर्फ हाथ से प्रतीक को अन्दर आने का इशारा करते हुए उसके सामने बिछा जा रहा था l यह देख कर संजय ने अपने पिता से कहा “ “पापा आप मम्मी और रीना को बैठक में बुला लीजिये क्योंकि प्रतीक जी आप सबको कुछ बताना चाहते हैं l” l”
रीना और उसकी मम्मी प्रतीक के आने की खबर सुनकर और यह जानकर कि वह कुछ बताने के लिए वहां आया है, बड़े ही प्रसन्न मन से बैठक में पंहुच गईं l प्रतीक ने सबकी तरफ देखा और फिर एक गहरी सांस लेने के बाद सधी हुई आवाज में कहा “ रीना, सबसे पहले मैं तुमसे माफी मांगना चाहता हूँ कि मेरे माता पिता के झूठे दंभ के कारण तुमको तकलीफ हुई l साथ ही तुम्हारे माता पिता से भी हाथ जोड़ कर क्षमा माँगता हूँ लेकिन अगर आज मैंने अपनी सच्चाई आप लोगों को नहीं बताई तो कई ज़िंदगियाँ बर्बाद हो जाएंगी l “ कुछ पल रुक कर हिचकते हुए जब प्रतीक ने अपनी बात झिंगरन परिवार के सामने रखी तो रीना तो रोती हुई अंदर चली गई लेकिन विनय झिंगरन ने उठ कर प्रतीक को कंधों से पकड़ कर झकझोरते हुए कहा “ मेरी बेटी की ज़िंदगी बर्बाद करने के बाद अब अपनी सच्चाई बता रहे हो l एक बार इतने बड़े परिवार में सगाई होकर टूटने के बाद कौन मेरी रीना से शादी करेगा l लोग तो मेरी बेटी के अंदर ही कमियाँ ढूँढेंगे क्योंकि किसी रईस के बेटे में तो कमी हो ही नहीं सकती है l “
संजय और अभिनव ने किसी तरह प्रतीक को विनय के हाथों से छुड़वाया फिर अभिनव ने विनय के पास बैठ कर शांति से उसे समझाते हुए कहा “ झिंगरन साहब , मैं प्रतीक के साथ यहाँ इसीलिए आया था कि आप लोगों को यह वचन दे दूँ कि मैं आपकी बेटी से विवाह करूंगा l इतना जरूर है कि मैं प्रतीक की तरह बहुत अमीर परिवार से नहीं हूँ , लेकिन मैं एक डॉक्टर हूँ और एक बड़े अस्पताल में नौकरी करता हूँ lसाथ ही मेरे पिताजी भी शहर के जाने माने व्यवसायी हैं इसलिए आपकी बेटी को कभी भी कोई आर्थिक तकलीफ नहीं होगी और मैं उसे आजीवन अपनी पत्नी होने का पूरा सम्मान और प्यार दूंगा l ” कुछ पल रुक कर अभिनव ने अपनी बात की प्रतिक्रिया जानने के लिए झिंगरन दम्पत्ति के चेहरों पर नजर डाली और फिर अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोला कि यदि उन लोगों को उसका प्रस्ताव स्वीकार हो तो वह एक बार रीना से बात करके उसकी मर्जी जानना चाहेगा l
रीना शायद उसकी बात अंदर से सुन रही थी क्योंकि अगले ही पल वो हाथों में प्रतीक की माँ के दिए हुए जेवर के डिब्बे लेकर तेजी से बाहर आई और अभिनव से बोली “मुझे आपका प्रस्ताव स्वीकार नहीं है क्योंकि मैं आजीवन किसी के अहसान का बोझ अपने सिर पर ले कर नहीं जीना चाहती हूँ l” वहाँ उपस्थित सभी लोग हैरानी से रीना की तरफ देखने लगे , तब रीना ने जेवर के डिब्बे प्रतीक के हाथों में देते हुए कहा “ अपनी माँ को यह जेवर दे दीजिएगा और बता दीजिएगा कि हमने इसमें से कोई भी जेवर अपने पास नहीं रखा है l” फिर अपनी उंगली से सगाई की अंगूठी भी उतार कर उसने प्रतीक के हाथ में रख दी l अभिनव ने रीना के पास जाकर कहा ,” रीना जी , विवाह का यह प्रस्ताव रख कर मैं आपके ऊपर कोई अहसान नहीं कर रहा हूँ बल्कि आप जैसी खूबसूरत और गुणी पत्नी पाकर मैं खुद को भाग्यवान समझूँगा l”
अभिनव की बात सुनने के बाद रीना कुछ पल चुप रह कर बोली , “ आपके प्रस्ताव के लिए धन्यवाद लेकिन मैंने तय किया है कि मैं अब अपने पैरों पर खड़ी होऊँगी l किसी की पत्नी के रूप में नहीं बल्कि अपने दम पर अपनी एक पहचान बनाऊँगी l” अपनी बात कह कर रीना वहाँ से चली गई l
- आरती पांड्या