ऑफ़िस के गलियारों में कानाफूसी हो रही थी। एकाउंट सेक्शन का रवि अनाथ है। बड़े बाबू ने जब उसकी नौकरी से सम्बंधित कागज़ात मंगवाए, तब ये सच सब पर उजागर हुआ। उसने अपने माता-पिता का नाम तक नहीं लिखा था। उसके कागज़ों से सिर्फ़ इतना पता लगता कि वो अनाथालय में रहता था और दान के पैसों पर पलकर बड़ा हुआ था। ये खबर आम होते ही लोगों को मौका मिल गया। इसके माँ-बाप का ठिकाना नहीं, इसीलिए चुप्पा बना बैठा रहता है।
ऑफ़िस में रवि किसी से बात नहीं करता, सिवाय मैसी के। मैसी भी एकाउंट्स में काम करती थी। वो रवि से सीनियर थी। रवि को कभी कुछ पूछना होता, तो वो मैसी से ही बात करता। मैसी से रवि ने पहले दिन से ही बात करनी शुरू की थी।
मैसी को अपना ये नया साथी अच्छा लगता। वो उसकी हमेशा मदद करती। ऑफ़िस में नया सर्कुलर आता तो जल्दी से उसे बताती। रवि थका हुआ दिखता, तो उसकी सीट का काम ख़ुद कर देती। दोनों के बीच ख़ामोशी थी, पर वो एक दूसरे के मन को समझते थे।
धीरे-धीरे रवि मैसी से खुलने लगा। उसने बताया कि उसका बचपन बेहद अभाव में गुज़रा है। उसे दूसरे बच्चों जैसी सुविधाएं नहीं मिलीं, पर वो ज़िन्दगी में बहुत आगे जाना चाहता है। वो इतनी तरक्क़ी करना चाहता है कि दुनिया देखती रह जाए।
मैसी को उसके अन्दर एक होनहार नौजवान नज़र आता और वो दिल से उसकी तारीफ़ करती, पर जब उसके अनाथ होने की ख़बर आम हुई, तो मैसी को भी झटका लगा।
रवि ने अपना ये सच उसे भी नहीं बताया था, पर लोगों ने बाकायदा मैसी से सवाल करने शुरू कर दिए कि क्या उसे पता है रवि के बारे में? क्या उसने कभी पता लगाने की कोशिश की कि वो किस जाति का है? कैसे अनाथ हुआ? क्या वाक़ई उसे अपने माता-पिता की ख़बर नहीं है? या वो जान चुका है कि उसे जन्म देने वाले कौन थे और उन्होंने उसे क्यों त्याग दिया? कई लोग तो उसे बाक़ायदा नाजायज़ कहते।
उसे देखने दूसरे सेक्शन से भी लोग आते, पर उससे बात करने या कुछ पूछने की हिम्मत किसी के अन्दर नहीं थी। लोग बस चटखारे लेने के लिए उसके बारे जानने की कोशिश करते और जब कुछ पता न लगा तो धीरे-धीर कहानियाँ बनाने लगे। कोई कहता उसकी माँ धंधा करती थी, तो कोई उसे बिन ब्याही माँ की संतान बताता, जिसे कचरे में फेंक दिया गया था, लेकिन मैसी को इन बातों से कोई मतलब नहीं था। वो इस तरह की चर्चाओं में कभी भाग नहीं लेती थी।
जब ऑफ़िस के लोगों ने उसके बारे में अफ़वाहें फैलानी शुरू की तो एक दिन मैसी उलझ पड़ी। उसे सीधे-सादे रवि पर तरस आता था। वो अनाथ है तो इसमें उस बेचारे की क्या ग़लती। अगर उसे अपने जन्म का इतिहास मालूम भी हो तो उसे कुरेदने से क्या फ़ायदा।
मैसी की ये हमदर्दी देख लोगों ने उसका भी मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया, पर मैसी को कोई फ़र्क नहीं पड़ा। उसने रवि के बारे में कभी कोई उलटी सीधी बात नहीं की, बल्कि अब तो वो बाकायदा रवि का पक्ष खुलकर लेती। वो रवि का हर तरह से ख़याल रखने की कोशिश करती।
एक दिन उसने ऑफ़िस में रवि के घर का पता माँगा और रविवार को उसके घर जा पहुंची। साथ में मैसी की छोटी बहन भी थी। बस इतना ही बड़ा था मैसी का परिवार। रवि ने उसे देखा तो हैरान रह गया, पर मैसी निसंकोच चाय बनाने चल पड़ी और रवि को बाहर भेजकर खाने की चीज़ें मंगवाईं। रवि जब घर लौटा तो पहचान नहीं पाया। उसके घर की काया ही पलट चुकी थी।
उस दिन रवि, मैसी और उसकी छोटी बहन ने साथ मिलकर ख़ूब जोक्स सुनाये। वो तीनों साथ-साथ हंसे और जी भरकर बातें की। उस दिन मैसी ने पहली बार रवि को हँसते देखा। उसे रवि बहुत प्यारा लगा। उस रविवार कब शाम आई और कब रात में बदल गई, मैसी को पता ही नहीं लगा। रवि उन दोनों को घर तक छोड़ कर आया।
मैसी रात में भी रवि के बारे में सोचती रही। उस दिन के बाद उनकी दोस्ती काफी गहरी हो गई। अब अक्सर ही वो मिलते। जब मैसी की बहन घर पर नहीं होती, तो रवि उसका अकेलापन बांटने आ जाता। ऐसे ही एक शाम तन्हाई में रवि ने भावावेश में मैसी को गले लगाया, तो मैसी अपना सब कुछ उसे सौंप बैठी।
फिर तो ये सिलसिला चलता रहा। ऑफ़िस में मैसी मीठी नज़रों से रवि को देखती रहती और रवि कभी मुस्कुराकर, तो कभी मौका मिलने पर उसका हाथ पकड़कर अपना प्यार जता देता। वो दोनों साथ खाना खाते। ये देख ऑफिस में लोग बातें बनाते, पर मैसी ध्यान ही नहीं देती।
रवि ने मैसी की बर्थडे पर उसे एक सुन्दर ड्रेस उपहार में दी। मैसी फूली नहीं समाई। ’वैलेंटाइन डे’ पर उसे फूलों के साथ एक कीमती अंगूठी दी। मैसी को ख़ुशी हुई, लेकिन वो रवि के मुंह से शादी का प्रस्ताव सुनने का इंतज़ार कर रही थी, इसलिए सिर्फ़ उपहार देख मायूस भी हुई।
दिन बीतते रहे। रवि और मैसी साथ रहे, पर शादी की बात नहीं हो पाई। तभी उनके ऑफ़िस में बड़े बाबू का ट्रांसफर हुआ और नई महिला अधिकारी ने ज्वाइन किया। उनका नाम मीना चावला था और वो एक निसंतान विधवा थी। उन्होंने अपनी भतीजी को पाला था, जो अब भी उन के साथ रह रही थी।
मैसी को ये देखकर अच्छा लगा कि रवि की पृष्ठभूमि के बारे में जानते हुए भी वो उससे अच्छा व्यवहार करती थी। वो रवि को पास बैठाती, उससे बातें करती। कई बार वह रवि कोे अपने घर खाने पर भी बुला चुकी थी।
अब अक्सर मैसी इंतिज़ार करती रहती और रवि मीना की कार में बैठकर उनके घर चला जाता। मैसी को लगने लगा कि रवि उससे दूर जा रहा है। एक दिन उसने रवि से शादी की बात कह दी। रवि उस दिन तो कुछ नहीं बोला, पर मैसी ने महसूस किया कि अब वो उसे पहले की तरह मुस्कुराकर नहीं देखता है, वो अब उसके घर भी नहीं आता, यहाँ तक कि दोनों ऑफिस में भी बहुत कम बातें करते हैं।
मैसी के दिल को ये देख बहुत चोट लगी। एक रविवार वो सीधे रवि के घर जा पहुंची। लेकिन बाहर मीना की कार खड़ी थी। मैसी चुपचाप लौट आई। अगले दिन मौका पाकर उसने रवि से फिर बात करनी चाही, पर रवि बड़ी रुखाई से पेश आया। उसने सिर्फ़ ये बताया कि वो एक और अच्छी नौकरी ज्वाइन कर रहा है और आज इस्तीफ़ा देकर जा रहा है।
मैसी को हैरान छोड़कर रवि चला गया, पर रवि के इस बदलाव की वजह जल्द ही मैसी के सामने आ गई। ऑफ़िस में रवि और मीनाजी की भतीजी की शादी का कार्ड बँट रहा था।
मैसी की दुनिया लुट चुकी थी। उसने रवि से एक बार फिर बात करने की कोशिश की। वो उसके घर गई। रवि अपना घर शिफ्ट कर रहा था। उसने सिर्फ़ इतना कहा कि वो बचपन से परिवार के लिए तरसा है। उसे मीनाजी के रूप में एक माँ मिल रही हैं, उसे आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है, बड़े घर से रिश्ता जोड़कर एक नाम और रुतबा मिल रहा है। उसने ये भी कहा कि मैसी और वो दोनों अनाथ हैं। एक दूसरे को एक परिवार की ख़ुशी कभी नहीं दे पाएंगे।
मैसी ने मीना से बात करने की कोशिश की, तो उन्होंने ये कहकर बात ही उड़ा दी कि उन्हें रवि और मैसी की दोस्ती के बारे में पता है।
रवि की शादी हो गई। मैसी का दिल कांच की तरह टूटकर बिखर गया। टूटी किरचों को अपने दामन में समेटे मैसी आज तक सोचती है कि क्यों उसने रवि को अपना सब कुछ सौंप दिया? क्यों अपनी सीमाएं तोड़ दीं? क्यों उसे पहचानने में ग़लती कर गयी?