बाल कहानी : रेनी डे – अलका प्रमोद
रेनी-डे
आज सुबह से ही खूब पानी बरस रहा था। अक्षत ने कहा मम्मा मेरा स्कूल जाने का मन नहीं है । ’’
मम्मा ने कहा ‘‘ बेटा आज तुम्हारा टेस्ट है आज तो जाना जरूरी है ।’’
‘‘ पर मम्मा मैं जाऊँगा कैसे भीग गया तो बीमार पड़ जाऊँगा।’’
मम्मा ने कहा ‘‘ पापा तुम्हे कार से छोड़ देंगे।’’
मन मार कर अक्षत को स्कूल के लिये तैयार होना ही पड़ा।
स्कूल पहुँचा तो गेट के बाहर ही उसका सहपाठी रजत मिल गया उसने कहा ‘‘ अक्षत अन्दर मत जाओ नहीं आज स्कूल में छुट्टी हो गयी , रेनी-डे हो गया। ’’
अक्षत ने मुड़ कर पापा को रोकने चला पर रजत ने उसे रोक दिया। उसने धीरे से कहा ‘‘ पापा को जाने दो हम लोग मस्ती करेंगे। ’’
अक्षत ने कहा ‘‘ पर मैं घर कैसे जाऊँगा ,आज रिक्शे वाले अंकल आये नहीं और पापा को स्कूल की छुट्टी के समय ही लेने आयेंगे न।’’
रजत ने कहा ‘‘तभी तो कह रहा हूँ अच्छा हुआ हम लोग तब तक मस्ती करेंगे।’’
अक्षत ने कहा ‘‘ पर हम मस्ती कैसे करेंगे।’’
रजत बोला ‘‘ अरे चलो सामने वाले पार्क में चलते हैं खूब खेलेंगे और पानी में नहाएंगे।’’
अक्षत को यह आइडिया अच्छा लगा । उसने कहा ‘‘ यह तो मजा आ गया ,मुझे पानी में नहाना बहुत अच्छा लगता है पर मम्मी रोक देती हैं । कहती हैं अक्षत बेटा अंदर आओ भीगोगे तो बुखार आ जाएगा।’’
दोनो बच्चे पार्क की ओर चल दिये।उन्होने वहाँ पानी में खूब कूद-कूद कर नहाये। थोड़ी देर में उन्हे भूख लग आयी। अक्षत ने कहा ‘‘चलो हम लोग अपना-अपना टिफिन खायें।’’
रजत आलू के पराठे लाया था और अक्षत की मम्मी ने उसे पनीर सैंडविच बना कर दिये थे।
रजत को सैडविच देख कर लालच आयी उसने कहा ‘‘ अक्षत मेरे पराठे तुम खा लो मुझे संैडविच दे दो।’’
अक्षत ने मुँह बना कर कहा ‘‘ मुझे पराठे बिल्कुल अच्छे नहीं लगते ,इसी लिये तो मम्मा मुझे सैंडविच देती हैं। जिस दिन मम्मा पराठे देती हैं मैं खाना ही नहीं खाता।’’
रजत को अक्षत के मना करने पर गुस्सा आ गया ,उसने अक्षत का टिफिन गिरा दिया । इस पर अक्षत को भी गुस्सा आ गया उसने रजत को घूंसा मार दिया । तभी वहाँ एक कुत्ता आ गया वह दोनो लड़ाई में लगे थे और उसने पराठा खा लिया।दोनो लड़ाई करके थक गये तो वहीं बैठ गये। दोनो को बहुत तेज भूख लग रही थी, वह दुखी हो कर पार्क के बाहर आ गये ,वहाँ एक दुकान थी जिसमें पैटीज केक आदि मिल रहा था। उसे देख कर दोनो को और तेज भूख लग आयी।अक्षत ने रजत से पूछा ‘‘तुम्हारे पास कुछ पैसे हैं ?’’
रजत ने कहा ‘‘नहीं ।’’
अक्षत ने कहा ‘‘मेरे पास भी पैसे नहीं हैंें।’’
दोनो ललचायी दृष्टि से दुकान पर देखने लगे। दुकानदार ने उनके स्कूल के कपड़े और बस्ता देख कर पूछा ‘‘ बच्चो तुम लोग स्कूल नहीं गये?’’
रजत ने कहता ‘‘ अंकल आज हमारे स्कूल में रेनी-डे हो गया और मेरे पापा हमें छोड़ कर चले गये। ’’
दुकानदार को उन पर दया आ गयी ,उसने कहा अरे यह तो बहुत बुरा हुआ पापा को मोबाइल नम्बर दो ,मैं उन्हे बुला देता हूँ ।’’
अक्षत ने कहा ‘‘ हमने उन्हे बता दिया है पर वह कहीं बिजीं हैं थोड़ी देर में आ जाएंगे।’’
रजत बोला ‘‘ असल में अंकल हमारा खाना कुत्ता खा गया हमको भूख लगी है।’’
दुकान वाले अंकल ने उन दोनो को एक-एक पैटीज खाने को दी । रजत ने कहा ‘‘ अंकल हमारे पास पैसे नहीं हैं ,हम आपको कल दे देंगे।’’
दुकानदार अंकल ने कहा ‘‘ कोई बात नहीं बच्चो आज तुम मेरी तरफ से खा लो।’’
दोनो खुश हो गये। अक्षत ने रजत से धीरे से कहा ‘‘ वैसे तुमने मेरा सैंडविच गिरा दिया पर अच्छा ही हुआ ,हमने पैटीज खायी नहीं तो हम लोग बोरिंग सा टिफिन ही खाते। ’’
रजत बोला ‘‘ चुप रहो नहीं तो अंकल सुन लेंगे।’’
दोनो पैटीज खा कर चलने लगे तो दुकानदार अंकल ने कहा ‘‘ बच्चो यहीं बैठो जब पापा आयेंगे तब चले जाना। अब दोनो बच्चे फँस गये, वह तो अभी पानी में और मजे करना चाहते थे।तभी एक कार आ कर रुकी तो अक्षत ने झूठ ही कहा ‘‘ अंकल मेरे पापा आ गये ।’’
दोनो जल्दी से दुकान से बाहर आये और कार के पास चले गये। उन्होने सोचा था कि कार के पीछे से छिप कर वह दूसरी ओर चले जाएंगे पर जब वह कार के पास गये तो देखा वह तो प्रिंसिपल सर की कार थी। सर ने उन बच्चों को देख कर पूछा ‘‘ बच्चो आज तो छुट्टी हो गयी तुम लोग घर नहीं गये।’’
रजत ने कहा ‘‘ सर हम दोनो के पापा छोड़ कर चले गये तब हमको पता चला कि रेनी-डे है।’’
प्रिसिपन सर ने कहा ‘‘ यह तो गलत बात है मैं ने शर्मा सर से कहा था कि सब बच्चों को जो छोड़ने आये उसी के साथ वापस भेज दो। कल मैं उनसे बात करूँगा, वह तो अच्छा हुआ मैं इधर से जा रहा था चलो तुम लोगों को घर छोड़ दूं।’’
अब दोनो बच्चे डर गये । शर्मा सर को पता चल गया कि वह दोनो स्कूल के अन्दर पहँुचे ही नहीं और झूठ बोला तो वह तो सारी क्लास के सामने सजा देंगे, पर क्या करते दोनो चुपचाप कार में बैठ गये।
घर पहुँच कर अक्षत को पानी में भीगने के कारण जोर-जोर से छींक आने लगी और कुछ ही देर में ठंड लग कर बुखार आ गया।
उस दिन पापा ने उसे आइसक्रीम खिलाने और ड्रीम-वर्ड चलने का प्रॅामिस किया था। अब तो उसे दवा दे कर बिस्तर पर लिटा दिया गया। लेटे-लेटे उसे यह सोच कर और भी डर लब रहा था कि कल शर्मा सर उसे सजा देंगे।
उसने कान पकड़ा कि अब वह रेनी-डे में सीधे घर आयेगा।