बाल कहानी : हाथी का गुस्सा – अलका प्रमोद

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Hathi ka Gussa copy

सक्षम आज बहुत खुश था आज उसकी टीचर ने बताया था कि अगले रविवार को उसकी कक्षा के बच्चों को पिकनिक पर ले जाया जाएगा।वह स्कूल से लौट कर घर आते ही सीधे ‘मम्मी मम्मी’पुकारता हुआ रसोई में पहुंचा, जहाँ मम्मी उसके लिये नाश्ता बना ही थीं।

मम्मी ने उसे देख कर पूछा ‘‘ क्या बात है मेरा बेटा बड़ा खुश लग रहा है ’’?

‘‘मम्मी आप को पता है, टीचर ने बताया है कि रविवार को हम सब बच्चे पिकनिक पर जाएंगे’’सक्षम ने खुश हो कर कहा।

’’अच्छा तो इसीलिये इतना खुश है मेरा बेटा’’मम्मी ने उसे प्यार करते हुए कहा।

‘‘मम्मी उस दिन हम खूब सारी चाकलेट,पिट्जा और चाउमीन ले जाएंगे’’ सक्षम ने उत्साह से कहा।

मम्मी ने हँस कर कहा ‘‘ ठीक है मैं अपने बेटे को ढेर सारी चीजें पिकनिक के लिये दूंगी’’।

रविवार को सक्षम सुबहपाँच बजे ही उठ गया।उसने मम्मी के कमरे में जा कर कहा‘‘ मम्मी जल्दी उठो आज हमे पिकनिक जाना है आप नाश्ता नही बनाएंगी क्या?’’

मम्मी ने घड़ी देखी तो उसमें पाँच ही बजे थे उन्होने कहा ‘‘अरे अभी बहुत जल्दी है बेटा, कुछ देर बाद उठना’’।

पर सक्षम को नींद कहा आती वह मम्मी को जगा कर ही माना।टीचर ने नौ बजे स्कूल पहुँचने को कहा था ।रोज तो बड़ी मुश्किल से सक्षम स्कूल के टाइम पर पहुँच पाता था, पर पिकनिक वाले दिन वहनौ बजने में पन्द्रह मिनट पर ही स्कूल पहुँच गया।जब सब बच्चे और टीचर आ गये तो,वह सब एक बस में बैठ कर ज़़ू गये।

टीचर ने पहले ही कह दिया था कि कोई बच्चा जू़ के जानवरों को परेशान नही करेगा और न ही वहाँ गंदगी करेगा।

जानवरों को देख कर बच्चों को तो मज़ा ही आ गया।सक्षम अपने दोस्त अंशुमान, शलभ,मयंक और ललित के साथ घूम रहा था।तभी मयंक ने कहा ‘‘ अरे वाह वो देखो कुक्कू बन्दर’’ ।

सब बच्चे कुक्कू बन्दर के कटघरे के सामने दौड़ कर पहुँच गये।शलभ ने जोर से कहा‘‘ हू……..’’ तो बन्दर  एक जगह से दूसरी जगह कूदते हुए चिल्लाया ‘‘ हू….’’

बच्चों को तो मजा आ गया,सभी बच्चे हू हू हू कह कर कुक्कू बन्दर को छेड़ने लगे।कुछ देर तो बन्दर नकल करता रहा फिर वह गुस्सा हो कर उनके ऊपर झपटने लगा।पर वो तो जाली के कटघरे में बन्द था, बाहर नही आ सकता था।अतःअन्दर से ही अपना गुस्सा दिखाता रहा।

तभी उनकी टीचर आ गई ,उन्होने जब बच्चों को कुक्कू बन्दर को परेशान करते देखा तो मना किया और समझाया कि अगर सभी लोग उन्हे इस तरह परेशान करेंगे तो वो बीमार पड़ जाएंगे। टीचर को देख कर सब बच्चे सज़ा के डर से चुप हो गये ।

तभीसक्षम ने अपने दोस्तों से कहा ‘‘ चलो टीचर से दूर चलो तो एक मजे़दार चीज दिखाऊं’’। उसके चारों दोस्त आगे तेज तेज चलते हुए टीचर की आँखों से दूर चले गये।सक्षम पिकनिक के लिये सबसे छिपा कर कुछ दीवाली के बचे पटाखे लाया था ।उसने शलभ को बताया तो उसे तो मज़ा ही आ गया।

उन्होने एक तेज आवाज करने वाला बम जलाया। उसके तेज धमाके से पूरा ज़ू गूँज उठा ।सारे जानवर डर गये। चिड़ियां तोते डर से उड़ने लगे और चिल्लाने लगे।कुछ जानवर अपने दड़बे में दुबक गये।जानवरों को डरते देख कर बच्चों को मजा आ गया,इससे पहले कि कोई उनको रोकता उन्होने दूसरा बम जला दिया।वहीं थेाड़ा आगे एक हाथी घूम रहा था।बमों की आवाज से वह भड़क गया और गुस्से से इधर उधर दौड़ने लगा उसने कुछ पेड़ तोड़ दिये और फिर अपना बाड़ा तोड़ कर लोगों के बीच में आ गया। गुस्साए हाथी को देख कर लोगों में दहशत फैल गई सब डर के मारे भागने लगे।इस भगदड़ में छोटे बच्चे गिर गये।किसी के चोट लगी तो कुछ छोटे बच्चे अपने मम्मी पापा से अलग हो गये।सक्षम का  दोस्त मयंक दौड़ते दौड़ते गिर गया । उसके पीछेही हाथी दौड़ता आ रहा था, वहउसके बिल्कुल पास आ गया।हाथी उसको अपने पैर से कुचलने जा ही रहा था कि ज़ू के कर्मचारियों नेउसे खंीच कर बचा लियाऔर किसी तरह हाथी को इंजेक्शन लगा कर वश में किया।तब भी इस खंीचातानी में मयंक गिर पड़ा, उसका सिर फट गया और वह बेहोश हो गया।

उसे तुरंत सब लोग अस्पताल ले गये।सभी लोग भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि मयंक ठीक होजाये।

जब मयंक को होश आया तो सबने चैन की साँस ली ।सक्षम डर के मारे सहमा एक कोने में दुबका खड़ा था उसने तो सोचा भी न था कि उसके इस खेल का यह परिणाम होगा।

अब टीचर ने पूछा ‘‘ पटाखा कौन लाया था?’’

यह सुन कर सब बच्चे सक्षम की ओर देखने लगे।सक्षम घबरा कर सिरझुका कर ,खड़ा हो गया। टीचर ने कहा ‘‘ मैने कहा था न कि किसी जानवर को परेशान मत करना,अब देखा तुमने कि जानवरों को परेशान करने का क्या परिणाम हुआ’’?

‘‘ तुम्हे पता नही है कि हाथी शोर सुन कर गुस्सा हो जाता है और जबवह गुस्सा हो जाता है तो वह अपनी ताकत से तबाही मचा देता है।’’

शलभ ने कहा ‘‘ जीमैम वो तो आज देख लिया’’।

‘‘अगर तुम्हे ऐसे कोई परेशान करे तो तुम्हे कैसा लगेगा,आज तुम लोगों कीशरारत से तुम्हारे दोस्त की जान भी जा सकती थी’’?टीचर ने कहा।

सक्षम ने कहा ‘‘ टीचर जी सॅारी, अब मैं सबकी बात मानूंगा अब किसी जानवर को परेशान नही करूँगा’’।

टीचर ने कहा ‘‘तुम्हे अपनी  गलती का अनुभव हो गया है इसलिये हम तुम्हे माफ कर रहे हैं पर वादा करो कि कभी ऐसी गलती नही करोगे’’।

टीचर के माफ करने से सक्षम की जान में जान आई, उसनेकान पकड़ कर उठक बैठक करते हुए कहा ‘‘ कभी नही कभी नही’’।

उसकी इस हरकत पर सब हँस पड़े और सब बच्चों ने वादा किया कि वो कभी किसी जानवर को परेशान नही करेंगे।

अलका प्रमोद
5/41 विराम खण्ड ,
गोमती नगर,लखनऊ-226010
मो0 सं0 09839022552

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