ग़ज़ल GHAZAL – फिर भी अच्छे लगते हो : अशोक हमराही
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फिर भी अच्छे लगते हो
मेरे दिल में रहते हो ख़ुद को तन्हा कहते हो
इसकी-उसकी बातों में उलझे-उलझे रहते हो
जब भी गु़स्सा करते हो बच्चों जैसे दिखते हो
प्यार नहीं है तो फिर क्यों महके-महके रहते हो
झूठे वादे करते हो फिर भी अच्छे लगते हो
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अशोक हमराही 🌹🌷😊👩❤👨
Waah sir hm b apko apni rachnayein bhejenge
Zaroor Bhejiye