Year: 2020

कुछ दिन घर में रहो ना … अशोक हमराही

इधर उधरअब फिरो ना कुछ दिन घर में रहो ना बुरी नज़र लग जाएगी घूम रहा है कोरोना थोड़ी सी...

बेरंग रंग – स्मृति लाल

  बेरंग रंग कैसे मनाएँ होली कैसे भींगे स्नेह संग जब तक़रार से भरी हो देश की डोली कहाँ करे...

फागुन की मधुरितु आई – अशोक हमराही

फागुन की मधुरितु आई फागुन की मधुरितु आई रंगों की बहार लाई सखी री होली आई - सखी री होली...

Jise dekho wohi insan hai sard sard yahan जिसे देखो वही इंसां है सर्द-सर्द यहां – अशोक हमराही

जिसे देखो वही इंसां है सर्द-सर्द यहां जिसे देखो वही इंसां है सर्द-सर्द यहां सुब्ह की धूप पे जमने लगी...

स्वप्रश्नावली – दिव्या त्रिवेदी

स्वप्रश्नावली   हूं किसी अहंकार में या, किसी प्रतिकार में हूं? हूं किसी घमंड में या, फिर किसी दंभ में...

बिन तेरे – दिव्या त्रिवेदी

बिन तेरे   मैं नहीं नहीं मैं कुछ नहीं कहीं नहीं। बस यूं ही जब भी तू पुकार ले मुझे...

चाहत – अनिता रश्मि

चाहत   सुनहरी धूप रूपहली चाँदनी हवाओं का मदिर-मदिर स्पंदन फूलों की दहकती क्यारियाँ बादलों की नीली किलकारियाँ खेतों में...

पानी – अनिता रश्मि

  पानी   पानी-पानी ज़िंदगी नहीं कोई रवानी ज़िंदगी रहिमन पानी रख न सका पानी सी बह निकली यह आनी-जानी...

बसंत – अनिता रश्मि

बसंत   उसकी दुधिया हँसी और फेनिल बातों में छिपी है बसंत की मीठी गुनगुनाहट उसकी प्यारी गदबदी उपस्थिति ने...