Year: 2021

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (41)

विकेश निझावन जी का आग्रह रहता है कि मैं अधिक से अधिक रचनाएं पुष्पगंधा के लिए भेजूं। अंबाला में मेरे...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (39)

इन दिनों कविता के प्रति रुझान तेजी से हो रहा था। कहानी दिमाग में आती ही नहीं थी।सुबह घूमने जाती...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (38)

भोपाल के आईसेक्ट विश्वविद्यालय द्वारा अविभाजित मध्यप्रदेश के कथाकारों की कहानियों के 6 खंड प्रकाशित किए गए हैं। यह प्रोजेक्ट...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (37)

इतनी लंबी साहित्यिक यात्राओं के बाद मुझे काफी समय खुश रहना चाहिए था पर मेले की समाप्ति का सूनापन मेरे...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (36)

दिल्ली में मौलिक काव्य सृजन द्वारा कृष्ण काव्य सम्मान 20 अक्टूबर को मिलना था । कार्यक्रम के आयोजक सागर सुमन...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (35)

सूने घर का पाहुना ज्यूँ आया त्यूँ जाव औरंगाबाद पहुंचकर प्रमिला से लिपट खूब रोई ।सब कुछ खत्म ।हेमंत...... मुंबई...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (34)

स्टोरी मिरर से मिलने वाले पुरस्कार की बात धीरे-धीरे फैल रही थी। मुंबई की साहित्यिक संस्थाओं द्वारा मेरे सम्मान में...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (33)

मुंबई की बारिश जितनी खूबसूरत होती है उतनी ही डराती भी है। महानगर को पानी पानी होते देर नहीं लगती।...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (32)

किसी से मिलना बातें करना,बातें करना अच्छा लगता है। लेकिन ज़िंदगी इतनी आसान कहाँ! वह तो वीराने में फैला हुआ...