नमस्कार से संस्कार की होती है पहचान – अशोक हमराही
नमस्कार से संस्कार की होती है पहचान
नमस्कार से संस्कार की होती है पहचान
नमस्कार जब ह्रदय से निकले मिल जाते भगवान
विनय से बनता मनुज महान
विनय ही मानव की पहचान
विनयशील जो होते हैं वो हर सुख पाते हैं
अहंकार से दूर सभी के प्रिय बन जाते हैं
करते हैं जो मान सभी का उन्हें मिले सम्मान
विनय से बनता मनुज महान
विनय ही मानव की पहचान
हाथ जोड़कर विनत भाव से जो भी करे प्रणाम
उसे मिले आशीष सभी का बन जाये हर काम
मन हो नम तो मन को मिलता मनचाहा वरदान
विनय से बनता मनुज महान
विनय ही मानव की पहचान
करते जो सम्मान, बड़ों को शीश नवाते हैं
मानव क्या प्रभु तक उनके आगे झुक जाते हैं
नत होने से ही मिलता है उन्नति का वरदान
विनय से बनता मनुज महान
विनय ही मानव की पहचान
- अशोक हमराही
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