तुझमें साँस लेती हूँ मैं
तुझमें साँस लेती हूँ मैं
तुझसे बिछुड़कर भी तुझमें साँस लेती हूँ मैं
होंठों पर तेरा नाम बार बार लेती हूँ मैं
नफ़रतें तुमने की होंगी हज़ारों मुझसे
पर ज़िंदगी में अपनी तुझपे जान देती हूँ मैं
अदावत रख तू इतनी, मिलें तो हंसकर मिलें
मोहब्बत में तेरी सब कुछ हार देती हूँ मैं
किये हज़ारों करम ए ख़ुदाया तूने मुझ पर
दुआ मिले गर दामन में, उसे ख़ुदा मान लेती हूँ मैं
हम भी किसी से कम नहीं
है साज़िशों का दौर तो क्या, हम भी किसी से कम नहीं
गर ज़िंदगी मुक़ाबिल है, तो पीछे हटने वाले हम भी नहीं
नई सहर, नई ज़िंदगी, ग़म का बसर अब बिल्कुल नहीं
ख़्वाब टूटेज़रूर हैं मगर टूट कर बिखरे हम भी नहीं
रंग जुदा अपने जीने का, ढंग जुदा अपनी ज़िंदगानी का
जो भी पाया खोया, उसका रंज सहने वाले हम भी नहीं
मंज़िलों की चाहत थी तो चले कांटों के सफ़र पर भी
घबरा कर बैठ गए मुश्किलों से, ऐसे दिलवाले हम भी नहीं
जो लिखा है किस्मत में, मिलेगा एक दिन हमको ज़रूर
ऐसा सोचकर किस्मत के सहारे बैठने वाले हम भी नहीं
ना आरज़ू है ना उल्फ़त है अब कोई
ना आरज़ू है ना उल्फ़त है अब कोई
तुझे मुझसे शायद अब मौहब्बत भी न कोई
दिल का शीशा जो टूटा तो चकनाचूर हुआ
अब दिल के टूटे आईने में तसवीर भी न कोई
समंदर सा बसा है आंखों के कोर तले
अचानक ही बरस पड़ता है छुपा हुआ सावन कोई
दिन भी काले शामें भी तन्हा रात गहरी उदासी सी
नहीं सजाता अब इस तन्हा दिल में महफ़िल कोई
एक हूक एक कसक सी उठती है दिल में जैसे
ना आएगी अब लौट के ख़ुशी कोई
क्यों दिल लगाया जवानी के पागलपन में
काश लौटा दे अब मेरा वो मासूम सा बचपन कोई
ख़्वाबों की रंगोली
रात के आँगन में ख़्वाबों की रंगोली है
बिखरती है चाँदनी, किरणों की होली है
जगमगाता है चन्द्रमा, चाँद फूलों के साथ
सुरमई सी ख़ुशबू है, रात की हंसी-ठिठोली है
मग़रूर से तारे हैं, बरसता सा आकाश है
सावन के मौसम में, भीगती प्रेम की मौली है
छटा है निराली बूंदों की, भीगता क्यों मन है
बरसता है अम्बर से प्रेम, महकती सी रोली है
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Very very nice post aapne likhi hai
Tujhme saas leti hu mai bahut hi achchi likhi gai hai …
Maine is par dhun bhi banaa liyaa hai
Ham bhi kisi se kam nahi bhi kisi se kam nahi hai …….very very nice post….is par bhi dhun banane ki koshish karungi..
Naa aarju hai……
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Bhi bahut hi achchi likhi gai hai
Khawaabo ki rangoli bhi bahut achchi likhi gai hai
…….is par bhi maine dhun taiyaar kar li hai
उत्तम रचना