बोलो मेरे वीर जवानों – दिव्या त्रिवेदी
बोलो मेरे वीर जवानों
मिट गए कई जवान हमारे,
क्या वैलेंटाइन मनाऊं मैं ?
खत में लपेटूं फूल कोई क्या
मजारों पर इन्हें चढ़ाऊं मैं ?
सूने मांग, कोख भए सूने,
दग्ध हृदय नैन छलकाऊं मैं ।
किए प्राण न्योछावर तुमने
कहो तुम पर क्या लुटाऊं मैं ?
गए हो घर से बन कर प्रहरी,
लौटोगे? प्रश्न यही दोहराऊं मैं।
तुम तो सो गए ओढ़ तिरंगा
पर बोलो कैसे सो पाऊं मैं ?
इश्क करूं मैं भी वतन से ,
इसकी गोदी में सो जाऊं मैं ।
काश कोई ऐसा भी जहां हो
जिस से सीमा सभी मिटाऊं मैं ।
बोलो तुम ही मेरे वीर जवानों
तुम्हें मिटने से कैसे बचाऊं मैं ?
बोलो तुम मेरे वीर जवानों
किससे प्रश्न का उत्तर पाऊं मैं ।
दिव्या त्रिवेदी हिंदी भाषा की जानी-मानी कवियित्री हैं
- पढ़ने के बाद Post के बारे में Comment अवश्य लिखिए .
विशेष :- यदि आपने website को subscribe नहीं किया है तो, कृपया अभी free subscribe करें; जिससे आप हमेशा हमसे जुड़े रहें. ..धन्यवाद!
वीर जवानों को नमन और अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित |