अनुजा और विपुल की दोस्ती उतनी ही पुरानी है जितना पुराना है सेंट थॉमस स्कूल। नए स्कूल में दोनों ने ही एक साथ एडमिशन लिया था। उनके माता-पिता एडमीशन की कार्यवाही पूरी कर रहे थे, इस बीच अनुजा और विपुल झूले पर झूलते हुए दोस्त बन चुके थे।
केजी से लेकर दसवीं तक दोनों की दोस्ती उसी तरह बनी रही। एक दिन विपुल ने अपने पॉकेट मनी से बचाए पैसों से एक रिंग खरीदी और अनुजा को प्रपोज़ किया। अनुजा ने रिंग पहन ली। दोनों ने अपना ये प्रेम सीक्रेट रखा।
अनुजा और विपुल ने दसवीं पास कर एक ही कालेज में एडमीशन लिया, तभी अनुजा के पिता को दो साल के कान्टेक्ट पर विदेश जाने का ऑफर मिला। उन्होंने परिवार सहित विदेश जाने की तैयारी शुरू की।
विपुल को जब ये पता लगा, तो वो बहुत परेशान हो गया। इधर अनुजा का भी यही हाल था। बचपन में जुड़े इस रिश्ते में इतनी दूरी बर्दाश्त करना दोनों के लिए मुश्किल हो रहा था। आखि़र उन दोनों ने ही एक दूसरे से वायदा किया कि वो अपने रिश्ते को कभी टूटने नहीं देंगे।
अनुजा चली गई और विपुल अकेला रह गया, पर कंप्यूटर युग में इतनी दूरी सिर्फ़ देखने की थी। दिल से अनुजा और विपुल अभी भी पास थे। दोनों रोज़ नेट पर मिलते,चैट करते। अनुजा उसे विदेश के स्कूल और अपने सहपाठियों के बारे में बताती और विपुल उसे लड़कों से दूर रहने की सलाह देता।
देखते ही देखते दो साल गुज़र गये। अनुजा का परिवार भारत लौट आया। लौटते ही अनुजा ने विपुल को फोन किया और उसे घर बुलाया। अनुजा के घर में सब जानते थे कि दोनों बचपन के दोस्त हैं।
अनुजा की माँ ने विपुल का स्वागत किया। अनुजा उसे उपहार दिखाने लगी, जो वो विदेश से उसके लिए लाई थी, पर विपुल के चेहरे पर वो ख़ु़शी नहीं थी, जो अनुजा देखना चाहती थी। अनुजा ने उससे पूछा भी, तो उसने सिर्फ़ यही कहा कि अनुजा काफी बदल गई है।
वाकई, अनुजा में काफी परिवर्तन आया था। विदेश प्रवास के चिन्ह उसके व्यक्तित्व और व्यवहार में साफ़ नज़र आ रहे थे। अब वो पहले जैसी झिझक उसके अन्दर नज़र ही नहीं आ रही थी।
विपुल ने अनुजा के हाथों की ओर देखा। उसकी दी हुई रिंग अभी भी उसी उंगली में मौजूद थी। विपुल को देखते देख अनुजा ने मुस्कुराकर कहा, ’देखा, बाहर जो भी बदला हो, पर अन्दर से अनुजा आज भी वही है, जो दो साल पहले थी।’
उस दिन विपुल और अनुजा काफी देर बातें करते रहे। अनुजा ने विपुल से कहा कि वो काफी बदला हुआ लग रहा है, तो विपुल ने कहा कि उम्र के साथ वो थोड़ा गंभीर हो गया है, और कोई बात नहीं। फिर पढ़ाई का ज़िक्र हुआ। अनुजा ने बताया कि वो आगे क्या करना चाहती है।
विपुल घर लौटा, तो उसने देखा कि उसके मोबाइल पर 15 मिस काल आईं थी। विपुल ने वो नंबर डायल किया और उधर से बातें होने लगीं। लौटकर आने के बाद विपुल के कालेज में एडमीशन लेने के बजाय अनुजा ने एक कोर्स ज्वाइन कर लिया।
दो साल पहले जो साथ पढ़ने का सिलसिला टूट गया था, वो दोबारा जुड़ा तो नहीं, पर अनुजा और विपुल की दोस्ती बरकरार रही। हालांकि अब वो दोनों रोज़ नहीं मिलते, पर फोन पर बातें होती रहतीं।
कॉलेज समाप्त करने के बाद विपुल ने काल सेंटर ज्वाइन किया, तो अनुजा को अपनी विदेशी पढ़ाई के बलबूते एक अच्छी नौकरी मिल गई।
एक दिन अनुजा अचानक विपुल के ऑफिस पहुच गई। विपुल उस समय मीटिंग रूम में था। समय बिताने के लिए अनुजा कुछ ढूंढ रही थी कि उसे विपुल का लैपटॉप दिख गया। शायद विपुल ’लॉग इन’ करके भूल गया था। अनुजा ’लॉग ऑफ़’ करने वाली थी की अचानक उसकी नज़र ’डार्लिंग’ वाले एक ’पोस्ट’ पर पड़ी।
उत्सुकतावश अनुजा ने उसे खोलकर पूरा पढ़ा। किसी सुमन का पोस्ट था, जो विपुल के साथ अपनी पिछली ’डेट’ आज तक नहीं भूली थी। आगे कई ऐसे मेल थे, जिनमें लड़कियों के नाम बदले थे, पर किसी में जल्द मिलने की इच्छा ज़ाहिर की गई थी, तो कोई शादी के लिए अपने घर आने का अनुरोध कर रही थी।
अनुजा हैरानी से देखती रही। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि ये सब लड़कियां विपुल को इतने नज़दीक से जानती हैं। अनुजा का मन कड़वा हो गया। वो विपुल से मिले बिना लौट आई। उसके बाद विपुल ने कई बार फोन किया, लेकिन अनुजा ने नहीं उठाया। वो घर मिलने आया, तो बहाना बना दिया।
पर एक दिन जब विपुल को अनुजा की शादी का कार्ड मिला, तो उससे रहा नहीं गया, वो सीधे अनुजा के घर पंहुचा। उसने अनुजा को शादी का कार्ड दिखाते हुए सवाल किया, तो अनुजा ने उसके ’फेसबुक’ का ज़िक्र करते हुए कहा कि वो उसके बारे में सब कुछ जान गई है। वो सोच भी नहीं सकती थी कि विपुल अनुजा के साथ ही इतनी सारी लड़कियों को धोखा दे रहा है।
विपुल बोला, ’ये झूठ है। वो पोस्ट मेरे नहीं थे।’ अनुजा ने कहा, ’वो खुद उसके लैपटॉप में देखकर आई है।’ ये सुनकर विपुल चुप हो गया।
अनुजा ने कहा, ’ये हमारी आखि़री मुलाक़ात है। ये मत समझना कि मैं विपुल को भूल जाऊँगी। ’वो विपुल’ तो हमेशा मेरी यादों में रहेगा, जो मेरे बचपन का साथी और मेरे सोलहवंे साल का आकर्षण था, पर ’ये विपुल’ जो अभी मेरे सामने खड़ा है, वो मेरे लिए अजनबी है और अगर ये दोबारा ज़िन्दगी में सामने आया भी, तो मैं उसे पहचानंूगी नहीं।’
ये कहकर अनुजा ने विपुल की दी अंगूठी उसके हाथ में रखी और दरवाज़ा बंद कर लिया। विपुल अपने हाथ में रखे उस सपने को देख रहा था, जो हमेशा के लिए अधूरा रह गया था।