मुहावरा—मुहावरा अरबी भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है—’अभ्यास’। हिन्दी में यह शब्द रूढ़ हो गया है, जिसका अर्थ है—“लक्षणा या व्यंजना द्वारा सिद्ध वाक्य, जो किसी एक ही बोली या लिखी जानेवाली भाषा में प्रचलित हो और जिसका अर्थ प्रत्यक्ष अर्थ से विलक्षण हो।”

संक्षेप में ऐसा वाक्यांश, जो अपने साधारण अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ को व्यक्त करे, मुहावरा कहलाता है। इसे ‘वाग्धारा’ भी कहते हैं।

अपना हाथ जगन्नाथ

अपनी बाइक के पंचर टायर को बदलने के लिए मैकेनिक की राह देखते रवि ने समय बचाने के लिए स्वयं टायर बदल लिया और कहा अपना हाथ जगन्नाथ ।

अपनी ढपली अपना राग

नेतृत्व की अनुपस्थिति में अभियान से जुड़े लोग अपने मन की करते देख उसने कहा यहाँ तो सभी अपनी ढपली अपना राग अलाप रहे हैं।

अपना सा मुँह लेकर रह जाना
जैसे ही उसके वकील ने साक्ष्य प्रस्तुत किए आरोपी पक्ष अपना सा मुँह लेकर रह गया।

अपनी खिचड़ी अलग पकाना
घर के अन्य लोग जहां समस्या को समाप्त करने की कोशिश कर रहे थे वहीं वह अपनी खिचड़ी अलग पका रहा था ।

अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता
आख़िरकार उसे भी व्यवस्था के सामने घुटने टेकने पड़े, अकेला चना भाड़ नही फोड़ सकता।

अन्धे की लाठी / लकड़ी.होना

बुढ़ापे में पेंशन ही रिटायर्ड लोगों के लिए अंधे की लकड़ी/ लाठी है।

अन्धे के आगे रोना अपने दीदे खोना

एक छुट्टी पर तनख़्वाह काटने वाले सुपरवाइज़र के सामने पैसे की कमी की शिकायत करना अंधे के आगे रोना अपने दीदे खोना है।

अम्बर के तारे गिनना


आने वाली ख़ुशी के बारे में सोचसोचकर वह रातभर अम्बर के तारे गिनता रहा।

अन्धे के हाथ बटेर लगना


बिना पढ़े प्रथम श्रेणी आने पर उसके पिता ने कहा ,” पढ़ाई में मन लगाओ , इस बार अंधे के हाथों बटेर लग गई है।”

अन्धों में काना राजा

अशिक्षित गाँववालों के बीच दसवीं पास सुरेश अंधों में काना राजा बन गया।

अक्ल का अंधा

माँ के लाख समझाने पर वो अक़्ल का अंधा पड़ोसी से लड़ता रहा।

अक्ल के घोड़े दौड़ाना

चारों ओर से डाकुओं ने घेरा तो उसने बचाव के लिए अक़्ल के घोड़े दौड़ाने शुरू कर दिये।

अक्ल चरने जाना


दुर्योधन की तो मानो अक्ल चरने चली गई थी, जो कि उसने श्रीकृष्ण के सन्धि-प्रस्ताव को स्वीकार न करके उन्हें ही बन्दी बनाने की ठान ली।

अक्ल पर पत्थर पड़ना

मंथरा की बात सुनकर केकैयी की अक़्ल पर पत्थर पड़ गये और उन्होंने किसी की नहीं सुनी ।

अक्ल के पीछे लाठी लिये फिरना

तुम स्वयं तो अक्ल के पीछे लाठी लिये फिरते हो, हम तुम्हारी क्या सहायता करें।

अगर मगर करना


अब ये अगर-मगर करना बन्द करो और चुपचाप स्थानान्तण पर चले जाओ, गोपाल को उसके अधिकारी ने फटकार लगाते हुए यह कहा।

अटका बनिया देय उधार


जब बहू ने हठ पकड़ ली कि यदि मुझे हार बनवाकर नहीं दिया तो वह देवर के विवाह में एक भी गहना नहीं देने देगी, बेचारी सास क्या करे! अटका बनिया देय उधार और उसने बहू को हार बनवा दिया।

अधजल गगरी छलकत जाए


आठवीं फेल कोमल अपनी विद्वत्ता की बड़ी-बड़ी बातें करती है। आखिर करे भी क्यों नहीं, अधजल गगरी छलकत जाए।

अन्त न पाना

वो कब क्या दाँव चलेगा कोई नहीं जानता, उसका अंत पाना मुश्किल है।

अन्त बिगाड़ना


लाला मनीराम को बुढ़ापे में भी घटतौली करते देखकर गोविन्द ने उससे कहा कि लाला कम-से-कम अपना अन्त तो न बिगाड़ो।

अन्न-जल उठना


रामेश्वर की माँ की हालत बड़ी गम्भीर है, लगता है कि अब उसका अन्न-जल उठ गया है।

अपना उल्लू सीधा करना


कुछ लोग अपना उल्लू सीधा करने के लिए दूसरों को हानि पहुँचाने से भी नहीं चूकते।

अपना राग अलापना


कुछ व्यक्ति सदैव अपना ही राग अलापते रहते हैं, दूसरों के कष्ट को नहीं देखते।

अपने मुँह मियाँ मिट्ठ बनना


अपने मुँह मियाँ मिट्ठ बननेवाले का सम्मान धीरे-धीरे कम हो जाता है।

अपना-सा मुँह लेकर रह जाना


अपने बल का गुणगान करने वाले राजा जब शिव धनुष को हिला भी नहीं पाये तो अपना सा मुँह लेकर बैठ गये।

अपने पैरों पर खड़ा होना


जब तक लड़का अपने पैरों पर खड़ा न हो जाए, तब तक उसकी शादी करना उचित नहीं है।

अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना


तुमने अपने मन की बात प्रकट करके अपने पाँव में स्वयं कुल्हाड़ी मारी।

आम के आम गुठलियों के दाम

आसमान से गिरे खजूर में अटके

आमदनी अठन्नी ख़र्चा रूपैय्या

अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना

अं

1. अँगारे बरसना—अत्यधिक गर्मी पड़ना।
जून मास की दोपहरी में अंगारे बरसते प्रतीत होते हैं।

2. अंगारों पर पैर रखना-कठिन कार्य करना।
युद्ध के मैदान में हमारे सैनिकों ने अंगारों पर पैर रखकर विजय प्राप्त की।

3. अँगारे सिर पर धरना—विपत्ति मोल लेना।
सोच-समझकर काम करना चाहिए। उससे झगड़ा लेकर व्यर्थ ही अंगारे सिर पर मत धरो।

4. अँगूठा चूसना-बड़े होकर भी बच्चों की तरह नासमझी की बात करना।
कभी तो समझदारी की बात किया करो। कब तक अंगूठा चूसते रहोगे?

5. अँगूठा दिखाना-इनकार करना।
जब कृष्णगोपाल मन्त्री बने थे तो उन्होंने किशोरी को आश्वासन दिया था कि जब उसका बेटा इण्टर कर लेगा तो वह उसकी नौकरी लगवा देंगे। बेटे के प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने पर किशोरी ने उन्हें याद दिलाई तो उन्होंने उसे अँगूठा दिखा दिया।

6. अँगूठी का नगीना-अत्यधिक सम्मानित व्यक्ति अथवा वस्तु।
अकबर के नवरत्नों में बीरबल तो जैसे अंगूठी का नगीना थे।

7. अंग-अंग फूले न समाना-अत्यधिक प्रसन्न होना। राम के अभिषेक की बात सुनकर कौशल्या का अंग-अंग फूले नहीं समाया।

8. अंगद का पैर होना-अति दुष्कर/असम्भव कार्य होना।
यह पहाड़ी कोई अंगद का पैर तो है नहीं, जिसे हटाकर रेल की पटरी न बिछाई जा सके।

कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना

ख़ाक छानना (भटकना)- नौकरी की खोज में वह खाक छानता रहा।

खून-पसीना एक करना (अधिक परिश्रम करना)- खून पसीना एक करके विद्यार्थी अपने जीवन में सफल होते है। 

खरी-खोटी सुनाना (भला-बुरा कहना)- कितनी खरी-खोटी सुना चुका हुँ, मगर बेकहा माने तब तो ?

खून खौलना (क्रोधित होना)- झूठ बातें सुनते ही मेरा खून खौलने लगता है। 

खून का प्यासा (जानी दुश्मन होना)- उसकी क्या बात कर रहे हो, वह तो मेरे खून का प्यासा हो गया है। 

खेत रहना या आना (वीरगति पाना)- पानीपत की तीसरी लड़ाई में इतने मराठे आये कि मराठा-भूमि जवानों से खाली हो गयी। 

खटाई में पड़ना (झमेले में पड़ना, रुक जाना)- बात तय थी, लेकिन ऐन मौके पर उसके मुकर जाने से सारा काम खटाई में पड़ गया। 

खेल खेलाना (परेशान करना)- खेल खेलाना छोड़ो और साफ-साफ कहो कि तुम्हारा इरादा क्या है। 

खटाई में डालना (किसी काम को लटकाना)- उसनेतो मेरा काम खटाई में डाल दिया। अब किसी और से कराना पड़ेगा।

खबर लेना (सजा देना या किसी के विरुद्ध कार्यवाई करना)- उसने मेरा काम करने से इनकार किया हैं, मुझे उसकी खबर लेनी पड़ेगी।

खाई से निकलकर खंदक में कूदना (एक परेशानी या मुसीबत से निकलकर दूसरी में जाना)- मुझे ज्ञात नहीं था कि मैं खाई से निकलकर खंदक में कूदने जा रहा हूँ। 

खाक फाँकना (मारा-मारा फिरना)- पहले तो उसने नौकरी छोड़ दी, अब नौकरी की तलाश में खाक फाँक रहा हैं। 

खाक में मिलना (सब कुछ नष्ट हो जाना)- बाढ़ आने पर उसका सब कुछ खाक में मिल गया।

खाना न पचना (बेचैन या परेशान होना)- जब तक श्यामा अपने मन की बात मुझे बताएगी नहीं, उसका खाना नहीं पचेगा। 

खा-पी डालना (खर्च कर डालना)- उसने अपना पूरा वेतन यार-दोस्तों में खा-पी डाला, अब उधार माँग रहा हैं। 

खाने को दौड़ना (बहुत क्रोध में होना)- मैं अपने ताऊजी के पास नहीं जाऊँगा, वे तो हर किसी को खाने को दौड़ते हैं। 

खार खाना (ईर्ष्या करना)- वह तो मुझसे खार खाए बैठा हैं, वह मेरा काम नहीं करेगा।

खिचड़ी पकाना (गुप्त बात या कोई षड्यंत्र करना)- छात्रों को खिचड़ी पकाते देख अध्यापक ने उन्हें डाँट दिया। 

खीरे-ककड़ी की तरह काटना (अंधाधुंध मारना-काटना)- 1857 की लड़ाई में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को खीरे-ककड़ी की तरह काट दिया था। 

खुदा-खुदा करके (बहुत मुश्किल से)- रामू खुदा-खुदा करके दसवीं में उत्तीर्ण हुआ हैं। 

खुशामदी टट्टू (खुशामद करने वाला)- वह तो खुशामदी टट्टू हैं, खुशामद करके अपना काम निकाल लेता हैं। 

खूँटा गाड़ना (रहने का स्थान निर्धारित करना)- उसने तो यहीं पर खूँटा गाड़ लिया हैं, लगता हैं जीवन भर यहीं रहेगा। 

खून-पसीना एक करना (बहुत कठिन परिश्रम करना)- रामू खून-पसीना एक करके दो पैसे कमाता हैं। 

खून के आँसू रुलाना (बहुत सताना या परेशान करना)- रामू कलियुगी पुत्र हैं, वह अपने माता-पिता को खून के आँसू रुला रहा हैं। 

खून के आँसू रोना (बहुत दुःखी या परेशान होना)- व्यापार में घाटा होने पर सेठजी खून के आँसू रो रहे हैं। 

खून-खच्चर होना (बहुत मारपीट या झगड़ा होना)- सुबह-सुबह दोनों भाइयों में खून-खच्चर हो गया।

खून सवार होना (बहुत क्रोध आना)- उसके ऊपर खून सवार हैं, आज वह कुछ भी कर सकता हैं।

खून पीना (शोषण करना)- सेठ रामलाल जी अपने कर्मचारियों का बहुत खून चूसते हैं। 

ख्याली पुलाव पकाना (असंभव बातें करना)- अरे भाई! ख्याली पुलाव पकाने से कुछ नहीं होगा, कुछ काम करो। 

खून ठण्डा होना (उत्साह से रहित होना या भयभीत होना)- आतंकवादियों को देखकर मेरा तो खून ठण्डा पड़ गया। 

खेल बिगड़ना (काम बिगड़ना)- अगर पिताजी ने साथ नहीं दिया तो हमारा सारा खेल बिगड़ जाएगा। 

खेल बिगाड़ना (काम बिगाड़ना)- यदि हमने मोहन की बात नहीं मानी तो वह बना-बनाया खेल बिगाड़ देगा। 

खोटा पैसा (अयोग्य पुत्र)- कभी-कभी खोटा पैसा भी काम आ जाता हैं। 

खोपड़ी खाना या खोपड़ी चाटना (बहुत बातें करके परेशान करना)- अरे भाई! मेरी खोपड़ी मत खाओ, जाओ यहाँ से। 

खोपड़ी खाली होना (श्रम करके दिमाग का थक जाना)- उसे पढ़ाकर तो मेरी खोपड़ी खाली हो गई, फिर भी उसे कुछ समझ नहीं आया। 

खोपड़ी गंजी करना (बहुत मारना-पीटना)- लोगों ने मार-मार कर चोर की खोपड़ी गंजी कर दी। 

खोपड़ी पर लादना (किसी के जिम्मे जबरन काम मढ़ना)- अधिकतर कर्मचारियों के छुट्टी पर जाने के कारण एक या दो कर्मचारियों की खोपड़ी पर काम लादना पड़ा। 

खोलकर कहना (स्पष्ट कहना)- मित्र, जो कहना हैं, खोलकर कहो, मुझसे कुछ भी मत छिपाओ। 

खोज खबर लेना (समाचार मिलना)- मदन के दादा जी घर छोड़कर चले गए। बहुत से लोगों ने उनकी खोज खबर ली तो भी उनका पता नहीं चला। 

खोद-खोद कर पूछना (अनेकानेक प्रश्न पूछना)- खोद-खोद कर पूछना बंद करो, मैं इस तरह के सवालों के जबाब नहीं दूँगा।

खून सूखना- (अधिक डर जाना)

खून सफेद हो जाना- (बहुत डर जाना)

खम खाना- (दबना, नष्ट होना)

खटिया सेना- (बीमार होना)

खा-पका जाना- (बर्बाद करना)

खूँटे के बल कूदना- (किसी के भरोसे पर जोर या जोश दिखाना)

( ग ) 

गले का हार होना (बहुत प्यारा)- लक्ष्मण राम के गले का हर थे।

गर्दन पर सवार होना (पीछा ना छोड़ना )- जब देखो, तुम मेरी गर्दन पर सवार रहते हो।

गला छूटना (पिंड छोड़ना)- उस कंजूस की दोस्ती टूट ही जाती, तो गला छूटता।

गर्दन पर छुरी चलाना (नुकसान पहुचाना)- मुझे पता चल गया कि विरोधियों से मिलकर किस तरह मेरे गले पर छुरी चला रहे थेो। 

गड़े मुर्दे उखाड़ना (दबी हुई बात फिर से उभारना)- जो हुआ सो हुआ, अब गड़े मुर्दे उखारने से क्या लाभ ?

गागर में सागर भरना (एक रंग -ढंग पर न रहना)- उसका क्या भरोसा वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता है।

गुल खिलना (नयी बात का भेद खुलना, विचित्र बातें होना)- सुनते रहिये, देखिये अभी क्या गुल खिलेगा।

गिरगिट की तरह रंग बदलना (बातें बदलना)- गिरगिट की तरह रंग बदलने से तुम्हारी कोई इज्जत नहीं करेगा।

गाल बजाना (डींग हाँकना)- जो करता है, वही जानता है। गाल बजानेवाले क्या जानें ?

गिन-गिनकर पैर रखना (सुस्त चलना, हद से ज्यादा सावधानी बरतना)- माना कि थक गये हो, मगर गिन-गिनकर पैर क्या रख रहे हो ? शाम के पहले घर पहुँचना है या नहीं ?

गुस्सा पीना (क्रोध दबाना)- गुस्सा पीकर रह गया। चाचा का वह मुँहलगा न होता, तो उसकी गत बना छोड़ता। 

गूलर का फूल होना (लापता होना)- वह तो ऐसा गूलर का फूल हो गया है कि उसके बारे में कुछ कहना मुश्किल है। 

गुदड़ी का लाल (गरीब के घर में गुणवान का उत्पत्र होना)- अपने वंश में प्रेमचन्द सचमुच गुदड़ी के लाल थे। 

गाँठ में बाँधना (खूब याद रखना )- यह बात गाँठ में बाँध लो, तन्दुरुस्ती रही तो सब रहेगा।

गुड़ गोबर करना (बनाया काम बिगाड़ना)- वीरू ने जरा-सा बोलकर सब गुड़-गोबर कर दिया।

गुरू घंटाल(दुष्टों का नेता या सरदार)- अरे भाई, मोनू तो गुरू घंटाल है, उससे बचकर रहना। 

गंगा नहाना (अपना कर्तव्य पूरा करके निश्चिन्त होना)- रमेश अपनी बेटी की शादी करके गंगा नहा गए।

गच्चा खाना (धोखा खाना)- रामू गच्चा खा गया, वरना उसका कारोबार चला जाता।

गजब ढाना (कमाल करना)- लता मंगेशकर ने तो गायकी में गजब ढा दिया हैं।

गज भर की छाती होना- (अत्यधिक साहसी होना)- उसकी गज भर की छाती है तभी तो अकेले ने ही चार-चार आतंकवादियों को मार दिया।

गढ़ फतह करना (कठिन काम करना)- आई.ए.एस. पास करके शंकर ने सचमुच गढ़ फतह कर लिया।

गधा बनाना (मूर्ख बनाना) अप्रैल फूल डे वाले दिन मैंने रामू को खूब गधा बनाया।

गधे को बाप बनाना (काम निकालने के लिए मूर्ख की खुशामद करना)- रामू गधे को बाप बनाना अच्छी तरह जानता हैं।

गर्दन ऐंठी रहना (घमंड या अकड़ में रहना)- सरकारी नौकरी लगने के बाद तो उसकी गर्दन ऐंठी ही रहती हैं।

गर्दन फँसना (झंझट या परेशानी में फँसना)- उसे रुपया उधार देकर मेरी तो गर्दन फँस गई हैं।

गरम होना (क्रोधित होना)- अंजू की दादी जरा-जरा सी बात पर गरम हो जाती हैं।

गला काटना (किसी की ठगना)- कल अध्यापक ने बताया कि किसी का गला काटना बुरी बात हैं।

गला पकड़ना (किसी को जिम्मेदार ठहराना)- गलती चाहे किसी की हो, पिताजी मेरा ही गला पकड़ते हैं।

गला फँसाना (मुसीबत में फँसाना)- अपराध उसने किया हैं और गला मेरा फँसा दिया हैं। बहुत चतुर है वो!

गला फाड़ना (जोर से चिल्लाना)- राजू कब से गला फाड़ रहा है कि चाय पिला दो, पर कोई सुनता ही नहीं।

गले पड़ना (पीछे पड़ना)- मैंने उसे एक बार पैसे उधार क्या दे दिए, वह तो गले ही पड़ गया।

गले पर छुरी चलाना (अत्यधिक हानि पहुँचाना)- उसने मुझे नौकरी से बेदखल करा के मेरे गले पर छुरी चला दी।

गले न उतरना (पसन्द नहीं आना)- मुझे उसका काम गले हीं उतरता, वह हर काम उल्टा करता हैं।

गाँठ का पूरा, आँख का अंधा (धनी, किन्तु मूर्ख व्यक्ति)- सेठ जी गाँठ के पूरे, आँख के अंधे हैं तभी रामू का कहना मानकर अनाड़ी मोहन को नौकरी पर रख लिया हैं।

गाजर-मूली समझना (तुच्छ समझना)- मोहन ने कहा कि उसे कोई गाजर-मूली न समझे, वह बहुत कुछ कर सकता है।

गाढ़ी कमाई (मेहनत की कमाई)- ये मेरी गाढ़ी कमाई है, अंधाधुंध खर्च मत करो।

गाढ़े दिन (संकट का समय)- रमेश गाढ़े दिनों में भी खुश रहता है।

गाल फुलाना (रूठना)- अंशु सुबह से ही गाल फुलाकर बैठी हुई है।

गुजर जाना (मर जाना)- मेरे दादाजी तो एक साल पहले ही गुजर गए और तुम आज पूछ रहे हो।

गुल खिलाना (बखेड़ा खड़ा करना)- यह लड़का जरूर कोई गुल खिला कर आया है तभी चुप बैठा है।

गुलछर्रे उड़ाना (मौजमस्ती करना)- मित्र, परीक्षाएँ नजदीक हैं और तुम गुलछर्रे उड़ा रहे हो।

गूँगे का गुड़ (वर्णनातीत अर्थात जिसका वर्णन न किया जा सके)- दादाजी कहते हैं कि ईश्वर के ध्यान में जो आनंद मिलता है, वह तो गूँगे का गुड़ है।

गोता मारना (गायब या अनुपस्थित होना)- अरे मित्र! तुमने दो दिन कहाँ गोता मारा, नजर नहीं आए।

गोली मारना (त्याग देना या ठुकरा देना)- रंजीत ने कहा कि बस को गोली मारो, हम तो पैदल जायेंगे।

गौं का यार (मतलब का साथी)- रमेश तो गौं का यार है, वो बेमतलब तुम्हारा काम नहीं करेगा।

गोद भरना (संतान होना, विवाह से पूर्व कन्या के आँचल में नारियल आदि सामान देकर विवाह पक्का करना)- सुरेश की बहन का गोद भर गई है, अब अगले माह शादी होनी है। 

गोद लेना (दत्तक बनाना, अपना पुत्र न होने पर किसी बच्चे को विधिवत अपना पुत्र बनाना)- महिमा दीदी के जब कोई संतान नहीं हुई तो उन्होंने एक बच्चा गोद लिया। 

गोद सूनी होना (संतानहीन होना)- जब तुम्हारी गोद सूनी है तो किसी बच्चे को गोद क्यों नहीं ले लेते ?

गोबर गणेश (मूर्ख)- वह तो एकदम गोबर गणेश है, उसकी समझ में कुछ नहीं आता। 

गोलमाल करना (काम बिगाड़ना/गड़बड़ करना)- मुंशी जी ने सेठ जी का सारे हिसाब-किताब का गोलमाल कर दिया। 

गंगाजली उठाना (हाथ में गंगाजल से भरा पात्र लेकर शपथपूर्वक कहना)- मैंने गंगाजली उठा ली तो भी उसे मेरी बात पर यकीन नहीं हुआ।

गाल बजाना- (डींग मारना)

काल के गाल में जाना- (मृत्यु के मुख में पड़ना)

गंगा लाभ होना- (मर जाना)

गीदड़भभकी- (मन में डरते हुए भी ऊपर से दिखावटी क्रोध करना)

गुड़ियों का खेल- (सहज काम)

गतालखाते में जाना-(नष्ट होना)

गाढ़े में पड़ना- (संकट में पड़ना)

गोटी लाल होना- (लाभ होना)

गढ़ा खोदना- (हानि पहुँचाने का उपाय करना)

गूलर का कीड़ा- (सीमित दायरे में भटकना)

( घ )

घर का न घाट का (कहीं का नहीं)- कोई काम आता नही और न लगन ही है कि कुछ सीखे-पढ़े। ऐसा घर का न घाट का जिये तो कैसे जिये।

घाव पर नमक छिड़कना (दुःख में दुःख देना)- राम वैसे ही दुखी है, तुम उसे परेशान करके घाव पर नमक छिड़क रहे हो।

घोड़े बेचकर सोना (बेफिक्र होना)- बेटी तो ब्याह दी। अब क्या, घोड़े बेचकर सोओ।

घड़ो पानी पड़ जाना (अत्यन्त लज्जित होना )- वह हमेशा फस्ट क्लास लेता था मगर इस बार परीक्षा में चोरी करते समय रँगे हाथ पकड़े जाने पर बच्चू पर घोड़े पड़ गया।

घी के दीए जलाना (अप्रत्याशित लाभ पर प्रसत्रता)- जिससे तुम्हारी बराबर ठनती रही, वह बेचारा कल शाम कूच कर गया। अब क्या है, घी के दीये जलाओ। 

घर बसाना (विवाह करना)- उसने घर क्या बसाया, बाहर निकलता ही नहीं। 

घात लगाना (मौका ताकना)- वह चोर दरवान इसी दिन के लिए तो घात लगाये था, वर्ना विश्र्वास का ऐसा रँगीला नाटक खेलकर सेठ की तिजोरी-चाबी तक कैसे समझे रहता ?

घाट-घाट का पानी पीना (हर प्रकार का अनुभव होना)- मुन्ना घाट-घाट का पानी पिए हुए है, उसे कौन धोखा दे सकता है।

घर आबाद करना (विवाह करना)- देर से ही सही, रामू ने अपना घर आबाद कर लिया। 

घर का उजाला (सुपुत्र अथवा इकलौता पुत्र)- सब जानते हैं कि मोहन अपने घर का उजाला हैं। 

घर काट खाने दौड़ना (सुनसान घर)- घर में कोई नहीं है इसलिए मुझे घर काट खाने को दौड़ रहा है। 

घर का चिराग गुल होना (पुत्र की मृत्यु होना)- यह सुनकर बड़ा दुःख हुआ कि मेरे मित्र के घर का चिराग गुल हो गया।

घर का बोझ उठाना (घर का खर्च चलाना या देखभाल करना)- बचपन में ही अपने पिता के मरने के बाद राकेश घर का बोझ उठा रहा है।

घर का नाम डुबोना (परिवार या कुल को कलंकित करना)- रामू ने चोरी के जुर्म में जेल जाकर घर का नाम डुबो दिया।

घर घाट एक करना (कठिन परिश्रम करना)- नौकरी के लिए संजय ने घर घाट एक कर दिया।

घर फूँककर तमाशा देखना (अपना घर स्वयं उजाड़ना या अपना नुकसान खुद करना)- जुए में सब कुछ बर्बाद करके राजू अब घर फूँक के तमाशा देख रहा है।

घर में आग लगाना (परिवार में झगड़ा कराना)- वह तो सबके घर में आग लगाता फिरता हैं इसलिए उसे कोई अपने पास नहीं बैठने देता।

घर में भुंजी भाँग न होना (बहुत गरीब होना)- रामू के घर में भुंजी भाँग नहीं हैं और बातें करता है नवाबों की।

घाव पर मरहम लगाना (सांत्वना या तसल्ली देना)- दादी पहले तो मारती है, फिर घाव पर मरहम लगाती है।

घाव हरा होना (भूला हुआ दुःख पुनः याद आना)- राजा ने अपने मित्र के मरने की खबर सुनी तो उसके अपने घाव हरे हो गए।

घास खोदना (तुच्छ काम करना)- अच्छी नौकरी छोड़ के राजू अब घास खोद रहा है।

घास न डालना (सहायता न करना या बात तक न करना)- मैनेजर बनने के बाद राजू अब मुझे घास नहीं डालता।

घी-दूध की नदियाँ बहना (समृद्ध होना)- श्रीकृष्ण के युग में हमारे देश में घी-दूध की नदियाँ बहती थीं।

घुटने टेकना (हार या पराजय स्वीकार करना)- संजू इतनी जल्दी घुटने टेकने वाला नहीं है, वह अंतिम साँस तक प्रयास करेगा।

घोड़े पर सवार होना (वापस जाने की जल्दी में होना)- अरे मित्र, तुम तो सदैव घोड़े पर सवार होकर आते हो, जरा हमारे पास भी बैठो।

घोलकर पी जाना (कंठस्थ याद करना)- रामू दसवीं में गणित को घोलकर पी गया था तब उसके 90 प्रतिशत अंक आए हैं।

घनचक्कर (मूर्ख/आवारागर्द)- किस घनचक्कर को मेरे पास लाए हो, इसे तो बात करने की भी तमीज नहीं है। 

घपले में पड़ना (किसी काम का खटाई में पड़ना)- लोन के कागज पूरे न होने के कारण लोन स्वीकृति का मामला घपले में पड़ गया है। 

घर उजड़ना (गृहस्थी चौपट हो जाना)- रामनायक की दुर्घटना में मृत्यु क्या हुई, दो महीने में ही उसका सारा घर उजड़ गया। 

घिग्घी बँध जाना (डर के कारण आवाज न निकलना)- वैसे तो रोहन अपनी बहादुरी की बहुत डींगे मारता है पर कल रात एक चोर को देखकर उसकी घिग्घी बँध गई। 

घुट-घुट कर मरना (असहय कष्ट सहते हुए मरना)- गरीबों पर अत्याचार करने वाले घुट-घुट कर मरेंगे। 

घुटा हुआ (छँटा हुआ बदमाश)- प्रमोद पर विश्वास मत करना एकदम घुटा हुआ है। 

घर का मर्द- (बाहर डरपोक)

घर का आदमी-(कुटुम्ब, इष्ट-मित्र)

घातपर चढ़ना- (तत्पर रहना)

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