बाल कहानी : वादा – अलका प्रमोद
बाल कहानी
राघव स्कूल जा रहा था। उसे रास्ते में एक ढेला पड़ा हुआ दिखाई दिया उसने उसे पैर से उछाल दिया, ढेला आगे लुढ़क गया। राघव को मजा आ गया वह उसे गेंद के समान पैर से मारता हुआ अपने साथ साथ आगे लुढ़काता रहा। उसने जब ढेले को पैर से उछाला तो अचानक वह ढेला आगे के बजाए उसके बांए ओर उछल कर सड़क पर जा गिरा और सामने से जा रही एक साइकिल के आगे आ गया । जिससे साइकिल सवार गिर गया । यह देख कर राघव डर गया उसने सोचा कि अब तो साइकिल सवार अवश्य ही उसे मारेगा। इसीलिये वह सड़क के दूसरी ओर जाने लगा। सड़क पर तेजी से गाड़ियां आ रही थीं ,पर वह उन्ही के बीच से निकलने लगा। तभी एक तेजी से आती गाड़ी ने उसे टक्कर मारी और वह ऊपर की ओर उछल कर सड़क पर गिरा। फिर क्या हुआ उसे कुछ पता नही क्यों कि उसे तो होष ही नही था।
जब उसकी आंख खुली तो उसे समझ न आया कि वह कहां है। वहां सफेद कोट पहने एक अंकल खड़े थे। उसकी आंख खेालते ही उन्होने कहा ‘‘ कैसे हो राघव?’’
राघव चैंक उठा ,इन अंकल का मेरा नाम कैसे पता? उसने कहा ‘‘मुझे मम्मी के पास जाना है’’।
तभी मम्मी और पापा वहां आ गये ।पापा ने कहा ‘‘ तुम कहीं नही जाओगे यहीं रहोगे क्यों कि तुम्हे बहुत चोट लगी है।’’
राघव ने उठने की कोशिश की तो उसके पूरे बदन में तेज दर्द हुआ वह चीख पड़ा। मम्मी ने उसे पकड़ कर लिटाते हुए कहा ‘‘बेटे तुम्हारे पैर में प्लास्टर चढ़ा है ,तुम उठ नही सकते’’।
‘‘पर मम्मी मुझे घर जाना है ’’राघव ने ठुनकते हुए कहा।
‘‘ नही बेटा तुम्हारे पैर की हड्डी टूट गई है इस लिये कम से कम डेढ़ महीने तुम्हारे पैर में प्लास्टर चढ़ा रहेगा और तुम चल नही सकते’’मम्मी ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।
डेढ़ महीने? यह सेाच कर ही राघव को रोना आने लगा।वह कहने लगा ‘‘ पर मम्मी परसों मेरे दोस्त की बर्थडे है मुझे उसमें जाना है ,चाहे जो हो जाए’’।
तब पापा ने कहा ’’बेटा अगर तुम चल सकते हो तो चलो’’।
राघव ने उठना चाहा तो उसे इतना दर्द हुआ कि उसे रोना आ गया और वह चुपचाप बिस्तर पर लेट गया।
मम्मी ने उसका सिर सहलाते हुए कहा ‘‘ बेटा पापा ने तुम्हे बताया था न कि सड़क सदा जेबरा क्रासिंग से ही पार करनी चाहिये और वो भी जब उस पर जाने वाली गाड़ियां रुकी हों और लाल बत्ती या रुकने का सिग्नल हो’’?
राघव ने सिर हिला कर कहा ‘‘ हां’’।
मम्मी ने पूछा ‘‘फिर तुम बिना सिग्नल देखे रास्ता क्यों पार करने लगे’’?
‘‘ वो हम डर गये थे’’ राघव ने बताया।
‘‘किससे डर गये थे बेटा’’?मम्मी ने पूछा।
तब राघव ने डरते डरते बताया कि कैसे उसकी वजह से एक आदमी साइकिल से गिर गया।
यह सुन कर मम्मी ने कहा ‘‘ देखा इसी लिये कहते हैं कि रास्ते में चलते समय सदा ही रास्ते में चलने के नियमों का पालन करना चाहिये’’।
‘‘ पर मम्मी मैं तो फुटपाथ पर चल रहा था।’’ राघव ने भेालेपन से कहा।
‘‘ पर बेटा फुटपाथ चलने के लिये होता है फुटबाल खेलने के लिये नही’’ मम्मी ने राघव को प्यार से चपत मारते हुए कहा।
तभी पापा ढेर सारी चाकलेट ले कर अन्दर आये। उन्होने कहा ‘‘ अरे भाई हमारे राघव को अब समझाने की कोई जरूरत नही है ,इतनी चोट खा कर उसे स्वयं ही समझ में आ गया होगा कि सड़क पर ध्यान से चलना चाहिये और सड़क पर चलने के नियमों का पालन करना चाहिये, ’’?
उन्होने कहा ‘‘ राघव बेटा तुम्हे अपनी गलती की सजा मिल चुकी है। तुम्हे इतनी चोट लग गई, इसी लिये मैं तुम्हारे लिये चाकलेट लाया हंू‘‘।
राघव चाकलेट देख कर ख़ुशी से चिल्लाया ‘‘ अरे वाह पापा मेरीे मनपसन्द चाकलेट, अब तो मैं और चोट लगाऊंगा जिससे आप मेरे लिये इत्ती सारी चाकलेट लायें’’।
पापा ने कहा‘‘ क्या? चलो सारी चाकलेट वापस करो’’।
राघव हंसने लगा ‘‘ पापा मैं तो मजाक कर रहा था ,मैं वादा करता हूं कि अब मैं सदा फुटपाथ पर ठीक से चलूंगा सड़क जेबरा क्रासिंग पर ही पार करूंगा और चैराहे पर लाल बत्ती होने पर ही सड़क पार करूंगा ’’।
‘‘ और मैं वादा करता हूं कि अपने बेटे को उसके मन पसन्द चाकलेट दूंगा’’ पापा ने उसे प्यार करते हुए कहा।
उन दोनो की बात सुन कर मम्मी ने कहा ‘‘तुम दोनो अपना वादा याद रखना।’’
सभी बाल कहानियां बहुत ही सरल भाषा में और बच्चों को जीवन मूल्य सिखाती और सच्चाई को बयां करती है 🙏🏻
बाल स्वभाव छल कपट से दूर होता है इसकी झलक हर बार कहानी में मिलती है