आपसी सौहार्द – अलका प्रमोद
आपसी सौहार्द
आज विनम्र सो कर उठा तो बाहर से शोर सुनायी पड़ा। वह दौड़ कर बाहर गया । रवि हाथ में कुछ आम लिये था और रंजन उससे आम छीनने का प्रयास कर रहा था। रंजन बोला ‘ यह मेरे पेड़ के आम हैं इसलिये इन पर मेरा अधिकार है ।’
रवि कह रहा था ‘पेड़ के फल मेरे आँगन में गिरे हैं इसलिये इन्हे मैं खाऊँगा।’
विनम्र ने कहा ‘ तुम दोनो क्यों लड़ रहे हो दोनो लोग आधे.आधे आम ले लो।’
इस पर दोनो ने उसे गुस्से में घूरा। उन दोनों को ही विनम्र का सुझाव अच्छा नहीं लगा।
रंजन बोला ‘ पेड़ मेरे घर में लगा है उसे खाद पानी मैंने दिया है। अब इसमें आम निकले हैं तो इन्हे केवल में खाऊँगा।’
इस पर रवि बोला ‘पेड़ तुम्हारे आँगन में लगा है तो क्या हुआ उसकी ज्यादातर डालियाँ तो मेरे आँगन में झुकी हैं। मैं तुम्हारे घर तो आम लेने नहीं गयाए पर जो आम मेरे घर में गिरेए वह तो मेरे हुए न ।’
रंजन ने कहा ‘ वाह डालियाँ तुम्हारे आँगन में झुक गयी तो क्या हुआ पेड़ तो मेरा ही है।’
रवि बोला ‘ जब पेड़ की पत्तियाँ मेरे आंगन में गिरती हैं तो सफाई तो मैं ही करता हूँ न ।’
रंजन ने कहा ‘लेकिन पेड़ की छाया भी तो तुम ही लेते हो।’
रवि ने कहा ‘मुझे नहीं चाहिये तुम्हारे पेड़ की छाया तुम कटवा दो पेड़।’
रंजन ने कहा ‘ ठीक है मैं आज ही पापा से कह कर पेड़ कटवा दूंगा।’
विनम्र को यह सुन कर बहुत दुख हुआ कि इन दोनो की लड़ाई में पेड़ ही कट जाएगा।
उसने अन्दर आ कर अपने पापा से कहा ‘पापा रंजन और रवि अपनी लडा़ई में इतना अच्छा आम का पेड़ ही कटवा देंगे।’ पापा ने सुना तो उन्हे भी बहुत दुख हुआ। उन्होने रंजन और रवि के पापा से बात की कि वह दोनो अपने बच्चों को समझायें। पर उनके पापा तो पहले ही आपस में एक दूसरे से नाराज रहते थे। वो भी बच्चों को समझाने के बजाय लड़ने लगे। रवि के पापा राय अंकल ने कहा ‘मेरे घर में एक भी पत्ती नहीं गिरनी चाहिये।’
रंजन के पापा साहू अंकल ने कहा ‘पेड़ मेरे घर के आँगन में पेड़ हैए मैं इसका जो चाहूँ करूँ।’
राय अंकल ने कहा ‘अगर मैं पेड़ की पत्तियाँ साफ करता हूँ तो इधर गिरे आम भी लूँगा।’
इस पर साहू अंकल ने कहा ‘ मैं आपको तो आम नहीं दूँगा । रंजन ठीक कह रहा हैए इससे तो अच्छा है मैं पेड़ ही कटवा दूँगा।’
जब कालोनी के लोगों को पता चला तो सभी को एक हरे.भरे पेड़ को कटवाने की बात से बहुत दुख हो रहा था। सबने साहू अंकल से कहा कि वह पेड़ मत कटवायेंए पर राय अंकल और साहू अंकल समझौता करने को तैयार नहीं थे।उन्होने सबको डांट कर भगा दिया।
रंजन के पापा ने स्कूटर निकाला और पेड़ कटवाने के लिये माली ढूँढने चल दिये। वह स्कूटर से थोड़ा सा आगे बढ़े ही थे कि दूसरी ओर से आ रही ट्राली उनकी स्कूटर से लड़ गयी। वह गिर कर बेहोश हो गये। यह देख कर कालोनी के सब लोग एकत्र हो गये। वर्मा अंकल ने उनके ऊपर से स्कूटर को हटा कर उन्हे सीधा लिटाया ए आहूजा अंकल ने ने तुरंत अपनी गाड़ी निकाली और साहू अंकल को गाड़ी में ले कर अस्पताल गये।साथ में कालोनी के कई लोग अस्पताल गये ।अस्पताल में डाक्टर ने कहा कि साहू अंकल को खून चढ़ाना पडे़गा। वहाँ राय अंकल भी थे । उनका और साहू अंकल का ब्लड ग्रुप एक ही था अतः उन्होने साहू अंकल को अपना खून दिया।
कुछ घंटों में साहू अंकल को होश आ गया। जब उन्हे पता चला कि कालोनी के लोगों के कारण ही उनकी जान बची तो उन्हे अपना व्यवहार याद करके बहुत शर्मिन्दगी हूई।
साहू अंकल अपने आसपास खड़े पड़ोसियों से बोले ‘ आप के कारण ही मेरी जान बच पायी मुझे अपने बुरे व्यवहार के लिये क्षमा करियेगा। मैं आपसे वादा करता हूँ कि आपकी बात मान कर मैं पेड़ नहीं कटवाऊँगा । ‘
उन्होने पास ही खड़े राय अंकल का हाथ पकड़ कर कहा ‘आज से आप और रवि जितने आम चाहें खा सकते हैं।’
इस पर राय अंकल बोले ‘ मैं भी आपसे कभी भी पेड़ की पत्तियाँ गिरने की शिकायत नहीं करूँगा। अरे भाई आम आप न भी दें तो भी मुझे पेड़ की छाया तो मिलती ही है न ।’
इस पर रवि बोला ‘… और पापा पेड़ से हमें आक्सीजन भी तो मिलती है।’
इस पर साहू अंकल ने कहा ‘ बेटा आज मुझे आपसी सौहार्द का अर्थ समझ में आ गया है। हम तुम ही नहीं हम सब कालोनी के लोग मिल बाँट कर आम खाएंगे।’
पापा के कहने पर रंजन ने सब बच्चों को आम दिये। रवि एविनम्र और कालोनी के दूसरे बच्चे आम पा कर खुशी – खुशी आम खाने में जुट गये।