बाल कहानी : एक वादा – अलका प्रमोद

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एक वादा

                  

अमायरा और रेयान कार से निकल कर स्कूल तक जाने में ही थक गये । उनकी पीठ पर इतना भारी आक्सीजन सिलेंडर जो था। उन्होने अपनी कक्षा का कम्प्यूटर आन किया । वो अभी लेक्चर सुन ही रहे थे कि वर्धन हाँफता हुआ आया कक्षा में बैठते ही हाँफने लगा । अमायरा बोली ‘आ गया लेट लतीफ’।

रेयान ने कहा ‘अरे ऐसे मत बोलो देखो वो कितना हाँफ रहा है लगता है उसके सिलेंडर में गैस समाप्त हो गई है’।
अमायरा बोली ‘रेयान तुम्हे पता है हमारे पुरखे कितने सुखी थे , उन्हे न ये भारी सा सिलेंडर उठाना पड़ता था न आक्सीजन खतम होने का झंझट रहता थाए आराम से चलते थे ‘।
‘ वाउ एकितने मजे थे उनकेए पर बिना आक्सीजन एवो साँस कैसे लेते थे’ वर्धन ने आश्चर्य से पूछा ।
‘अरे हवा में ही आक्सीजन होती थी, वो उसी से साँस लेते थे’ अमायरा ने बताया।
‘हूँह ऐसा भी कहीं हो सकता है ‘ रेयान ने अविश्वास से कहा ।
वर्धन बोला ‘अमायरा को तो कहानी सुनाने की आदत है अगर हवा में आक्सीजन थी तो अब कहाँ चली गई’
यह सुन कर अमायरा को गुस्सा आ गया उसने कहा ‘मत मानों लेकिन मैंने नेट पर पढ़ा था’
तभी सामर्थ्य जो उनकी बातें सुन रहा था बोला ‘वैसे माना अमायरा कहानी बहुत बनाती है पर यह शायद सच है क्योंकि एक दिन मेरे पापा ने अपने बचपन की फोटो दिखाई थी एउसमें वो सिलेंडर नही लगाए थे’।
‘तो तुमने अपने पापा से पूछा नहीं’ रेयान को अभी भी विश्वास नही हो रहा था।
‘उस समय मैंने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया मैं तो बस पापा की कपड़े देख कर ही हँसने लगा एबिल्कुल जोकर लग रहे थे ‘ सामर्थ्य ने उस बात को याद करके हँसते हुए कहा । पर इस समय बच्चों को उसके पापा के कपड़ों में कोई रुचि नही थी वो तो ये जानना चाहते थे कि यदि हवा में आक्सीजन थी तो किसने चुरा ली जो उन्हे अब आक्सीजन सिलेंडर ले कर चलना पड़ता है ।
अमायरा ने कम्प्यूटर खोला और उससे पूछा ष् क्या कभी हवा में आक्सीजन भी थी’
कम्प्यूटर ने बताया ‘हाँ हवा में इतनी आक्सीजन थी कि सारे प्राणी उसी से साँस लेते थे’।
‘तो उसे किसने चुरा लिया’ रेयान ने पूछा।
‘तूम्हारे पुरखों ने’ कम्प्यूटर ने थोड़ा गुस्से में कहा।
बच्चों को यह बात अच्छी नहीं लगी । वर्धन ने कहा ‘क्या हमारे पुरखे चोर थे और अगर उन्होने चुराई तो वो गई कहाँ’
तब कम्प्यूटर ने समझाया कि हवा में जो आक्सीजन थी उससे साँस ले कर सभी प्राणी कार्बन डाईआक्साइड छोड़ते थे। फिर पेड़ पौधे सूर्य के प्रकाश में फोटो सिंथेसिस करके उससे पुनः आक्सीजन बना कर हवा को लौटा देते थे।
‘पर ये पेड़ पौधे क्या होते हैं और अब गये कहाँ’
‘वे सब मनुष्य ने काट काट कर घर बना लिये और अब आक्सीजन बनाने का काम मशीनो से होता है और सिलेंडर में भर कर तुम्हे ढोना पड़ता है’ कम्प्यूटर ने बताया।
वधर्न बोल ‘चलो अब फिर से पेड़ लगाएं’
‘पर कैसे हमें मिलेंगे कहाँष् रेयान ने चिन्तित हो कर कहा।
‘और हमें तो पेड़ लगाना भी नहींआता है’ अमायरा ने समस्या रखी।
सामर्थ्य के भैया वैज्ञानिक हैंए सब बच्चों ने तय किया कि अब वो सामर्थ्य के भैया से सहायता ले कर पेड़ लगाएंगे।
वे सब भैया के पास गये । जब भैया ने उनकी बात सुनी तो हँसने लगे वो बोले ‘तुम लोग आगे उन्नति करने के बजाए पिछड़ना चाहते हो’
रेयान ने दुखी होते हुए कहा ‘भैया इस सिलेंडर को उठाते उठाते हमारी पीठ झुक गई है हमें इससे छुटकारा चाहिये’।
यह सुन कर भैया भी गंभीर हो गये ‘उन्होने समझाया कि अब वातावरण इतना खराब हो गया है कि पेड़ पौधे लग ही नही सकते ए बहुत देर हो चुकी हैए अब कुछ नहीं हो सकता ‘
यह सुन कर सारे बच्चे दुखी हो गये और अपना अपना सिलेंडर उठा कर कम्प्यूटर पर गेम खेलने चल दिये क्योंकि वो इतना भार उठा कर अधिक देर खड़े नहीं हो सकते थे।पर आज किसी का मन उसमें नहीं लग रहा था ।तभी वर्धन का सिलेंडर लीक करने लगा उसकी आक्सीजन निकल गई और वह बेहोश हो गया सब बच्चे घबरा गये अमायरा रोने लगी वह बुदबुदाई ‘हमें पेड़ लगाना है पेड़ लगाना है ‘।
तभी किसी ने उसे झझकोरा उसने घबरा कर आंखें खोल दीं । मम्मी पूछ रही थीं ‘तुम सोते सोते रो क्यों रही थी’
मम्मी को देख कर अमायरा ने चैन की साँस लीं /तो यह सपना था ।कल जो मैम ने हवा में कम होती आक्सीजन के बारे में पढ़ाया था शायद उसी का प्रभाव था।पर उसने निश्चय किया कि यदि उसे सपने को सच होने से बचाना है तो आज ही अपने सब दोस्तों से वादा करेगी कि सब एक एक पेड़ लगाएं।

अलका प्रमोद

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