हर ओर कलियुग के चरण – कवि भारत भूषण अग्रवाल

0

हर ओर कलियुग के चरण

हर ओर कलियुग के चरण

मन स्मरणकर अशरण शरण।

धरती रंभाती गाय सी

अन्तोन्मुखी की हाय सी

संवेदना असहाय सी

आतंकमय वातावरण।

प्रत्येक क्षण विष दंश है

हर दिवस अधिक नृशंस है

व्याकुल परम् मनु वंश है

जीवन हुआ जाता मरण।

सब धर्म गंधक हो गये

सब लक्ष्य तन तक हो गये

सद्भाव बन्धक हो गये

असमाप्त तम का अवतरण।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *