कहानी : दूरबीन – पूनम अहमद
दूरबीन
सुबह 9 बजे नंदिनी ने खाने की मेज पर अपने पति विपिन और युवाबच्चों सोनी और राहुल को आवाज दी, ‘‘जल्दी आ जाओ सब, नाश्ता लग गया है.’’
नंदिनी तीनों के टिफिन भी पैक करती जा रही थी. तीनों लंच ले जातेथे. सुबह निकल कर शाम को ही लौटते थे. विपिन ने नाश्ता शुरूकिया. साथ ही न्यूजपेपर पर भी नजर डालते जा रहे थे. सोनी औरराहुल अपनेअपने मोबाइल पर नजरें गड़ाए नाश्ता करने लगे. नंदिनीतीनों के जाने के बाद ही आराम से बैठ कर नाश्ता करना पसंद करतीथी.
सोनी और राहुल को फोन में व्यस्त देख कर नंदिनी झुंझला गई, ‘‘क्या आराम से नाश्ता नहीं कर सकते? पूरा दिन बाहर ही रहना है न, आराम से फोन का शौक पूरा करते रहना.’’
विपिन शायद डिस्टर्ब हुए. माथे पर त्योरियां डाल कर बोले, ‘‘क्योंसुबहसुबह गुस्सा करने लगती हो? कर रहे होंगे फोन पर कुछ.’’
नंदिनी चिढ़ गई, ‘‘तीनों अब शाम को ही आएंगे… क्या शांति सेनाश्ता नहीं कर सकते?’’
विपिन ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘हम तो शांति से ही नाश्ता कर रहे हें. शोर तो तुम मचा रही हो.’’
बच्चों को पिता की यह बात बहुत पसंद आई. दोनों एकसाथ बोले, ‘‘वाह पापा, क्या बात कही है.’’
नंदिनी ने तीनों के टिफिन टेबल पर रखे और चुपचाप उदास मन सेवहां से हट गई. सोचने लगी कि पूरा दिन अब अकेले ही रहना है…इन तीनों को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि कुछ देर हंसबोल लें. शाम को सब थके आएंगे और फिर बस टीवी और फोन. किसी केपास क्यों आजकल कोई बात नहीं रहती करने के लिए?
बच्चों के हर समय फोन पर रहने ने तो घर में ऐसी नीरसता भर दी हैकि खत्म होने को नाम ही नहीं लेती है. अगर मैं तीनों से अपनामोबाइल, टीवी, लैपटौप बंद कर के थोड़ा सा समय अपने लिएचाहती हूं, तो तीनों को लगता है पता नहीं मुझे क्या हो गया है.
जबरदस्ती दोस्त बनाने में, सोशल नैटवर्किंग के पागलपन में समयबिताने में, पड़ोसिनों से निरर्थक गप्पें मारने में अगर मेरा मन नहींलगता तो क्या यह मेरी गलती है? ये तीनों अपने फेसबुक मित्रों कीतो छोटी से छोटी जानकारी भी रखते हैं पर इन के पास मेरे लिए कोईसमय नहीं.
तीनों चले गए. घर में फिर अजीब सी खामोशी फैल गई, मन फिरउदास सा था. नाश्ता करते हुए नंदिनी को जीवन बहुत नीरस औरबोझिल सा लगा. थोड़ी देर में काम करने वाली मेड श्यामा आ गई. नंदिनी फिर रूटीन में व्यस्त हो गई.
उस के जाने के बाद नंदिनी इधरउधर घूमती हुई घर ठीक करती रही. सोचती रही कि वह कितनी खुशमिजाज हुआ करती थी, कहेकहेलगाती रोमानी सपनों में रहती थी और अब रोज शाम को टीवी, फोनऔर लैपटौप के बीच घुटघुट कर जीने की कोशिश करती रह जातीहै.
पता नहीं क्याक्या सोचती वह अपने फ्लैट की अपनी प्रिय जगहबालकनी में आ खड़ी हुई. उसे लखनऊ से यहां मुंबई आए 1 ही सालहुआ था. यहां दादर में ही विपिन का औफिस और बच्चों का कालेजहै, इसलिए यह फ्लैट उन्होंने दादर में ही लिया था.
रजनीगंधा की बेलों से ढकी हुई बालकनी में वह कल्पनाओं मेंविचरती रहती. यहां इन तीनों में से कोई नहीं आता. यह उस काअपना कोना था. फिर वह यों ही अपने छोटे से स्टोररूम में जा करसामान ठीक करने लगी. काफी दिन हो गए थे यहां का सामानसंभाले. वह सब कुछ ठीक से रखने लगी. अचानक उस ने बच्चों केखिलौनों का एक बड़ा डब्बा यों ही खोल लिया. ऐसे ही हाथ डाल करखिलौने इधरउधर कर देखने लगी. 3 साल पहले चारों नैनीताल घूमनेगए थे, वहीं बच्चों ने यह दूरबीन खरीदी थी.
वह दूरबीन ले कर डब्बा वापस रख कर अपनी बालकनी में आ करखड़ी हो गई. सोचा ऐसे खड़े हो कर देखना अच्छा नहीं लगेगा. कोईदेखेगा तो गड़बड़ हो जाएगी. अत: फूलों की बेलों के पीछे स्टूल रखकर अपनी दूरबीन संभाले आराम से बैठ गई.
आंखों पर दूरबीन रख कर देखा. थोड़ी दूर स्थित बिल्डिंग बने ज्यादासमय नहीं हुआ था, यह वह जानती ही थी. अभी काफी फ्लैट्स मेंकाम हो रहा था. एक फ्लैट की बालकनी और ड्राइंगरूम उसे साफदिखाई दे रहा था. उस की उम्र की एक महिला ड्राइंगरूम में दिखाईदी.
उस घर में शायद म्यूजिक चल रहा था. वह महिला काम करतेकरतेसिर को जोरजोर से हिला रही थी.
अचानक उस की बेटी भी आ गई. दोनों मिल कर किसी गाने परथिरकीं और फिर खिलखिलाईं. नंदिनी भी मुसकरा उठी. मांबेटी केस्टैप से नंदिनी को लगा शायद ‘बेबी डौल’ गाना चल रहा है. नंदिनीअकेली ही खिलखिला दी. अचानक उस ने मन में ताजगी सी महसूसहुई. आसपास फूलों की खुशबू और सामने मांबेटी के क्रियाकलापदेख कर नंदिनी बिलकुल मस्ती के मूड में आ गई और गुनगुनाने लगी. फिर मांबेटी शायद घर के दूसरे हिस्से में चली गईं.
नंदिनी ने अंदर जा कर घड़ी देखी. 12 बज रहे थे. आज टाइम कापता ही नहीं चला. वह वापस स्टूल पर आ बैठी. दूरबीन से इधरउधरदेखती रही. कहीं कुछ खास नहीं दिखा. ज्यादातर फ्लैट्स बंद थे याफिर परदे खिंचे थे.
फिर अचानक उस की नजर एक फ्लैट की बालकनी पर अटक गई. झटका सा लगा. दूरबीन उस के हाथों से गिरतेगिरते बची.
एक लंबाचौड़ा, जिम में तराशी सुगठित देह वाला हैंडसम लड़कातौलिए से अपने बाल पोंछ रहा था. शायद नहा कर निकला था. बसशौर्ट्स पहले तौलिया तार पर टांग ही रहा था कि उस की खूबसूरतनवविवाहिता पत्नी उस लड़के की कमर में पीछे से हाथ डाल दिया. लड़के ने पलट कर उसे वहीं किस कर लिया और फिर उस की कमरमें हाथ डाल कर अंदर जा कर ड्राइंगरूम में सोफे पर लेट सा गया.
एकदूसरे का भरपूर चुंबन लेते दोनों साफ दिख रहे थे. नंदिनी कीकनपटियां तक लाल हो गईं. उस का दिल तेज धड़कने लगा. ठंडेपसीने से पूरा शरीर भीग गया. बहुत दिनों बाद तनमन की यह हालतहुई थी. नंदिनी ने देखा फिर वह जोड़ा सोफे से उठ कर घर के किसीऔर हिस्से में चला गया. शायद बैडरूम में. नंदिनी यह सोच कर हंसपड़ी.
अब 1 बज रहा था. नंदिनी ने लंच किया. आज लंच करतेकरते वहअकेली मुसकराती रही. आज अचानक उसे पता नहीं क्याक्या यादआने लगा. सालों पुरानी अपनी लाल चूडि़यां याद आने लगीं. मनहुआ शुरुआती दिनों की तरह खूब सजधज कर विपिन के साथ कुछसमय बिताए. लंच कर के उस ने फिर दूरबीन उठा ली. फिर कुछ नहींदिखा. वह भी जा कर सो गई. फिर उठ कर घर के कुछ कामनिबटाए.
4 बजे चाय का कप ले कर फिर दूरबीन उठा कर स्टूल पर बैठ गई. मांबेटी वाले घर में तो कोई हलचल नहीं दिखी, पर नवविवाहित जोड़ाघर की सैटिंग में व्यस्त था. दोनों मिल कर सामान ठीक कर रहे थे. शायद नएनए आए थे फ्लैट में. बीचबीच में दोनों का रोमांस भी चलरहा था. लड़के ने पत्नी को गोद में उठा कर घुमा दिया. आकर्षकजोड़ा था.
नंदिनी ने हंस कर अपनी दूरबीन को चूम लिया. आज उसे एक नयारोमांच महसूस हो रहा था. पूरा दिन कब बीत गया, पता ही नहीं चला. सब से बड़ी बात उसे पति और बच्चों की कोई बात याद कर के गुस्सानहीं आया. आज कोई झुंझलाहट नहीं थी मन में. एकदमखिलाखिला था मन.
5 बज रहे थे. नंदिता अपनी शाम की सैर पर जाने के लिए तैयार होनेलगी. वह शाम को रोज 1 घंटा सोसायटी के पार्क में सैर करती थी. आज उस के कदमों में गजब की तेजी थी. मन में स्फूर्ति थी. सैर करतेहुए सोच रही थी कि इस दूरबीन का किस्सा घर में किसी को नहींबताऊंगी.
वह जानती है यह हरकत अच्छी नहीं है पर उसे तो आज पूरा दिनमजा आया, सहीगलत के चक्कर में नहीं पड़ेगी वह. 6 बजे आ करवह किचन में व्यस्त हो गई. शाम को सब के आने के समय नंदिनी नेदूरबीन अपनी साडि़यों की तह में छिपा दी.
विपिन राहुल और सोनी के आने के बाद नंदिनी नाश्ते के बाद डिनरकी तैयारी में व्यस्त हो गई. वह बच्चों से बीचबीच में दिन भर की बातेंपूछती रही. कालेज के कुछ और सवाल पूछने पर फोन में व्यस्तराहुल झुंझला गया, ‘‘मां, कितने सवाल करती हो?’’
आज नंदिनी खुद ही अपने ऊपर हैरान रह गई. उसे राहुल की इस बातपर जरा भी गुस्सा नहीं आया. वह गुनगुनाती हुई अपने काम करतीरही. डिनर के बाद विपिन न्यूज देखने लगे. बच्चे अपने रूम में चलेगए. नंदिनी का मन हुआ अपनी दूरबीन उठा ले पर नहीं, यह तोअसंभव था. वह घर में किसी को भनक नहीं लगने देगी. उस ने फिरबड़े ही रोमांटिक अंदाज में विपिन के गले में बांहें डाल दीं, ‘‘चलो, बाहर टहल कर आते हैं.’’
विपिन को हैरत का एक तेज झटका लगा. नंदिनी को ध्यान से देखकर पूछा, ‘‘तुम्हें क्या हुआ है?’’
नंदिनी हंस पड़ी, ‘‘बस यही पूछते रहते हो तुम्हें क्या हुआ है, कभीकुछ और भी तो कहो.’’
विपिन ने मुसकराते हुए टीवी बंद कर दिया.
दोनों टहल आए. नंदिनी का मूड बहुत अच्छा था1 उस नवविवाहितजोड़े की प्रणयलीला याद कर एक भूलीभटकी सी रोमानियत उस केमन में भी उतरती जा रही थी. उस रात उस ने अपने और विपिन केप्रणयपलों को बड़ी उमंग से जीया.
सुबह नंदिनी तीनों के जाते ही जल्दी से दूरबीन उठा कर स्टूल पर बैठगई. मांबेटी वाले फ्लैट में मां शायद कामकाजी थी, वह साड़ी पहनेतैयार थी. बेटी शायद कालेज में होगी. दोनों साथ ही निकलती थीं. घर में कोई और नहीं था. कल शायद लेट गई थीं. तभी तो नाचगा रहीथीं. दोनों बहुत फ्रैश और खुश लग रही थीं.
फिर नंदिनी ने दूरबीन दूसरे फ्लैट की ओर घुमाई कि क्या कर रहे होंगेये हीरोहीरोइन. वह खुद ही जोर से हंस दी. देखा, शायद हीरोऔफिस के लिए तैयार था. हीरोइन अपने हाथ से उसे नाश्ता करा रहीथी. वाह, रोमांस चल रहा है. हां, यही तो दिन हैं भई… चार दिन कीचांदनी फिर अंधेरी रात. वह खुद ही सब सोच कर मुसकराती रही. तभी श्यामा आ गई तो नंदिनी ने दूरबीन छिपा दी.
आज एक अरसे बाद नंदिनी ने विपिन को व्हाट्सऐप पर मैसेज किया, ‘आई लव यू.’
विपिन की हैरानी वाली बात स्माइली आई और ‘सेम टू ये, डियर’ काजवाब. नंदिनी विचित्र सी अनुभूतियों में घिरी घर के काम निबटातीरही. फिर वह दोपहर में ब्यूटीपार्लर गई. बढि़या फेशियल, मैनीक्योर, पैडीक्योर, एक मौडर्न हेयरकट करवाया, खुद को आईने में देख करखुश हुई. फिर अपने लिए नई कुरती खरीदी.
घर आते ही दूरबीन उठाई पर कुछ नहीं दिखा. मांबेटी शायद शाम कोही वापस आती थीं. हीरोइन एकाधबार बालकनी में दिखाई दी. फिरशाम के समय एकदम सजीसंवरी हीरो का इंतजार करती. नंदिनी भीशाम के समय आज कुछ अलग ढंग से तैयार हुई.
शाम को सोनीराहुल आए तो नंदिनी को देखते ही सोनी बोली, ‘‘वाह, मां, कितनी अच्छी लग रही हो. वाह, नया हेयरकट, बहुत अच्छा है.’’
राहुल ने भी कहा, ‘‘ऐसे ही रहा करो मां, लुकिंग गुड.’’
विपिन तो कल से ही नंदिनी में आए परिवर्तन पर हैरान थे. नंदिनी कोऊपर से नीचे तक देखते हुए बोले, ‘‘वाह, क्या बात है. भई, क्याइरादा है?’’
नंदिनी हंसतेह हुए बोली, ‘‘अच्छा ही है.’’
‘‘तो चलो, आज इस मेकओवर पर आइसक्रीम तो बनती है, डिनर केबाद सब ‘कूल कैंप’ चलेंगे.’’
‘‘वाह पापा, वैरी गुड.’’
चारों हंसीखुशी आइसक्रीम खा कर घर लौटे. नंदिनी हैरान थी. अपनेमन के बदलाव
पर, पहले वह तीनों की हर बात पर चिढ़ती, झुंझलाती रहती थी. परअब कल से उसे सब कुछ कितना अच्छा लग रहा था. यह क्या होगया? उस के खुश रहते ही घर में भी एक अलग माहौल था. तो क्यासिर्फ उस के कुढ़ते रहने से, शिकायत करते रहने से माहौल मेंउदासीनता आती जा रही थी? अपने मन की उदासी, जीवन में आईनीरसता के लिए वह स्वयं दोषी थी?
अपने जीवन में फैली बोझिलता के लिए उस का मन उसे ही जिम्मेदारठहरा रहा था. वह क्यों इन तीनों से शिकायतों में ही अपनी ऊर्जा नष्टकरती रहती? वह खुश रहने के लिए किसी पर निर्भर क्यों है? पतानहीं क्याक्या सोचते हुए घर आ गया.
अब नंदिनी का यही रूटीन रहने लगा. मौका मिलते ही वह दूरबीनउठा लेती. फूलों की मोहक खुशबू की आड़ में दूरबीन की आंखों सेदेखती. उस हीरोहीरोइन के नएनए मादक रोमांस की साक्षी थी वह. उन का नयानया प्यार उसे भी पुराने दिनों में ले गया था, जब उस नेविपिन के साथ नया जीवन शुरू किया था. वह उन के वर्तमान को देखकर अपना अतीत फिर जीने लगी थी.
वह अचानक अपने दिल में वही उत्साह, वही रोमांच, वही रोमांसमहसूस करने लगी थी. विपिन के टूर पर जाने पर अब वह कलपतीनहीं थी, विपिन के टूर पर जाने पर कभी सोनी के साथ मूवी देखआती, कभी दोनों बच्चों के साथ लंच पर चली जाती थी.
मांबेटी वाले फ्लैट में मांबेटी को खुश देख उसे बहुत अच्छा लगता. अंदाजा लगाती पता नहीं दोनों का कोई भी या नहीं. क्यों अकेली हैंदोनों? इन के साथ क्या हुआ होगा? उन के बारे में बहुत कुछ सोचतीनंदिनी. अब उस का दिन कब बीत जाता था उसे पता ही नहीं चलताथा.
अब सामने वाली बिल्डिंग में और लोग भी आ रहे थे. खाली फ्लैट्सधीरेधीरे भर रहे थे. दूरबीन आंखों पर लगाए अब टाइमपास करतेनंदिनी को 4 महीने हो रहे थे. हीरोहीरोइन के रोमांस में तो उसे जीवनका सारा थ्रिल लगता, उन्हें देखदेख कर ही तो वह बदलती चली गई.
मगर एक दिन सुबह 11 बजे ही उसे बहुत बड़ा झटका लगा. वह जैसेअपने सपनों की दुनिया से यथार्थ के कठोर धरातल पर आ गिरी. दूरबीन पकड़े हाथ कांप से गए. हीरोहीरोइन फ्लैट खाली कर रहे थे. नीचे रोड पर खड़ा ट्रक भी उसे दिखाई दे गया. सामान पैक करनेवालों की ड्राइंगरूम में बहुत हलचल थी, जो साफ दिख रही थी.
यह क्या? नंदिनी को अपनी आंखों की नमी दिल में उतरती महसूसहुई. वह कितना जुड़ गई थी उन से. वे दोनों तो कभी जान भी नहींजाएंगे कि कोई उन्हें खुश देख कर खुश रहने लगा था. उफ अब ये जारहे हैं. फिर वही उदासी, वही बोरिंग रूटीन. नंदिनी को पूरा दिन चैननहीं आया. वह दूरबीन लिए अंदरबाहर बेचैन सी चक्कर काटती रही.
शाम होतेहोते ट्रक सामान भर कर चला गया. उस के हीरोहीरोइन भीकार से चले गए. नंदिनी दूरबीन अपनी गोद में रख कर सिर दीवार सेटिका कर गुमसुम बैठी रह गई.
शाम को नंदिनी का उतरा चेहरा घर में सब ने नोट किया. वह खराबतबीयत का बहाना बन कर बिस्तर में जल्दी लेट गई. उस के 3-4 दिनबेहद उदास बीते. सामने वाली मांबेटी सुबह की गईं शाम को ही आतीथीं. प्रणयलीला में डूबे हीरोहीरोइन याद आते. अब उस के जीवन मेंफिर वही नीरसता थी, फिर वही बोझिलता. 15 दिन उस ने दूरबीनको हाथ भी नहीं लगाया.
फिर एक दिन नंदिनी स्टूल पर बैठी सामने वाले फ्लैट्स पर अपनीदूरबीन दौड़ा रही थी. अधिकतर घरों के परदे खिंचे थे. अचानक उसका मन झूम उठा. हीरोहीरोइन वाला फ्लैट शायद 2-3 लड़कों ने शेयरकर के ले लिया था.
3 हैंडसम लड़के घर ठीक करने में व्यस्त थे. एक परदे टांग रहा था. एक के हाथ में शायद कोई कपड़ा था. वह शायद डस्टिंग कर रहा था. तीसरा सफेद टीशर्ट और ब्लैक शौर्ट्स पहने बालकनी में कपड़े सुखारहा था और उस के बराबर वाले फ्लैट की बालकनी में एक युवालड़की पौधों में पानी डाल रही थी. वह बारबार उस कपड़े सुखातेलड़के को देख रही थी.
नंदिनी मुसकरा उठी. उस ने लड़के को ध्यान से देखा. वह भी उसलड़की को देख कर मुसकरा उठा था. वाह, यहां तो एक लवस्टोरी भीशुरू हो गई. अब तो मजा आएगा, वाह, दोनों एकदूसरे को देख रहे हैं. मतलब शिफ्ट करते ही रोमांस शुरू.
तभी अचानक एक वृद्ध महिला ने बालकनी में आ कर लड़की से कुछकहा. यह शायद उस की नानी, या दादी होंगी. लड़की ने फौरन लड़केकी तरफ पीठ कर ली. लड़का भी फौरन अंदर चला गया. महिलाकुछ देर पौधों को देखती रही, फिर वे भी अंदर चली गईं. काफी दिनोंबाद दूरबीन अपनी अलमारी में रखते हुए नंदिनी फिर गुनगुना रही थी.