तुम जहां महफूज़ हो रहो वहीं – गायिका – दीपशिखा चंद्रा
21 दिन 21 गाने
गीत संख्या – 21
तुम जहां महफूज़ हो रहो वहीं
अब तुम्हारा हमको इंतिज़ार नहीं
तुम जहां महफूज़ हो रहो वहीं
राह देखते रहे हैं आज तक
पर कहेंगे तुमको बेवफ़ा नहीं
पहले हर आहट पे नज़र थी मगर
अब किसी आहट की इल्तिज़ा नहीं
थम गई है ज़िन्दगी तो क्या हुआ
सांस की तो है अभी रफ़्तार वही
आज सारा विश्व एक साथ हैं
हम अकेले होके भी तन्हा नहीं
फिर मिलेंगे हम वफ़ा की राह पे
दूरियां हैं पर ये फ़ासला नहीं
- गीतकार – अशोक हमराही
21 Din 21 Gane : Ghar par rahen – Ghar par sunen Song No. – 21. Ghazal – Ab tumhara hamko intizar nahin … Singer : Deepshikha Lyrics : Ashok Hamrahi Music : Kewal Kumar
बनारस में जन्मीं दीपशिखा को बचपन से ही संगीत में रूचि थी। संगीत से उनका लगाव देखते हुए उन्हें विशिषठ गुरुओं से संगीत की शिक्षा दिलवायी गयी। सबसे पहली गुरू श्रीमती ऋचा कुमार, फिर पद्मविभूषन छंनू लाल मिश्रा से ख्याल तथा ठुमरी गायकी की शिक्षा प्राप्त की। शास्त्रीय संगीत और सुगम संगीत की शिक्षा उन्होंने श्रीमती रुना डे तथा पं. सरवेश कुमार शर्मा से प्राप्त की। आजकल वह यशभारती से सम्मानित गायक-संगीतकार केवल कुमार से मार्गदर्शन प्राप्त कर रही हैं।