और कुछ देर में ये धूप भी ढल जायेगी – डॉ अनिल त्रिपाठी

0

और कुछ देर में ये धूप भी ढल जायेगी

 

और कुछ देर में ये धूप भी ढल जायेगी
शाम सिन्दूरी तेरी याद ले के आयेगी

मन जो इक फूल सा महकता है
और कुछ देर में खुशबू भी बिखर जायेगी

मुझसे मत पूँछ वो सवाल जो पैदा ही नहीं
उन जबाबों में तेरी उम्र गुज़र जायेगी

ये जो अफ़साना छलक आया है आंसू की तरह
बात निकली है तो फिर दूर तलक जायेगी

बात का क्या है जिधर चाहे उधर चल देगी
मैं संभालूँगा तो कुछ और बिगड़ जायेगी

बाद तेरे मेरी तस्वीर में बचा क्या है
उम्र जिसमे से कोई रंग चुरा लाएगी

 

डॉ0 अनिल त्रिपाठी हिंदी भाषा के

जाने माने पत्रकार एवं कवि होने के साथ – साथ

गायक और संगीतकार भी हैं


  • पढ़ने के बाद Post के बारे में Comment अवश्य लिखिए .

विशेष :- यदि आपने website को subscribe नहीं किया है तो, कृपया अभी free subscribe करें; जिससे आप हमेशा हमसे जुड़े रहें. ..धन्यवाद!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *