दिन कटा तो रात भी कट जाएगी : कवि पं. जगत नारायण शर्मा
दिन कटा तो रात भी कट जाएगी देखकर बदले हुए नभ को कहीं, हारकर हिम्मत अरे रुकना नहीं,...
दिन कटा तो रात भी कट जाएगी देखकर बदले हुए नभ को कहीं, हारकर हिम्मत अरे रुकना नहीं,...
ममता की देहरी पर जाने क्यों पहरे ममता की देहरी पर जाने क्यों पहरे, सहमे सिसके हम बस...
SANSMARAN: नौकरी के अनुभव और चाय पीने की आदत ने दिलाई मुफ़्त में एक नई कार पाठकों, आपको...
रिश्ते नाते वो बेवफ़ा समझता रहा ...
माँ डर मुझे बहुत लगता है अब डर मुझे बहुत लगता है । माँ डर मुझे बहुत लगता है ।...
मैं बरस-बरस बरसूं रोज़-रोज़ मैं बरस-बरस बरसूं रोज़-रोज़ नित नवीन रंग-ढंग से तुम पर हर रोज़ आसमां से ......
सत्य या भ्रम अर्ध सुप्त सी लिए अवस्था, कब तक जागृति भान करोगे? चन्द घरों को बना व्यवस्थित, कब तक...
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बचपन गांव में पैदा हुआ था...बहुत बड़ा घर था.मोटी मोटी मिट्टी की दीवारों पर भारी भारी लकड़ियों और पटरों पर...
બાળપણ હિંચકાને ઠેસ મારી, ઉપર નીચે.. આવર્તન, કૂદકો મારી "કોઈ" સાથે બેઠું. આગળ પાછળ આંદોલન, અમે..તો પુરજોશમાં ઝૂલતાં'તા... કલાત્મક કડાં...