17वां राष्ट्रीय पुस्तक मेला लखनऊ : छठा दिन
सत्रहवां राष्ट्रीय पुस्तक मेला लखनऊ
छठा दिन –
मोतीमहल लान में चल रहा राष्ट्रीय पुस्तक मेला
किताबों में छाये कश्मीर के कई पहलू
भगवान स्वरूप कटियार की रचना ‘जनता का अर्थशास्त्र’ का हुआ लोकार्पण
हमारे कश्मीर की जमीन ने साहित्य को कई नजरिये से समृद्ध किया है। लेकिन पिछले कुछ दशकों में कश्मीर में जो कुछ भी हुआ है उससे कश्मीर के साहित्य, भाषा और संस्कृति को बहुत नुकसान हुआ है। हाल में यहां से धारा 370 समाप्त की गई है। रचनाकारों ने हमेशा ये उम्मीद जगाई हैं कि धरती का स्वर्ग कही जाने वाली इस भूमि पर जल्द ही अमन चैन लौटेगा। यहां राणाप्रताप मार्ग मोतीमहल वाटिका लान में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले की बहुत सी किताबें कुछ ऐसा ही बोलती हैं।
पुस्तक मेले में कश्मीर पर बहुत सी किताबें हैं। प्रभात प्रकाशन में आशीष कौल की ‘रिफ्यूजी कैम्प’ में विस्थापित कश्मीरी हिन्दुओं की व्यथा को औपन्यासिक कलेवर में बांधकर प्रस्तुत किया गया है। सत्य घटनाओं पर आधारित यह किताब इंसानी जूझारूपन की एक ऐसी कहानी है जो हर भारतीय के दिल में शांति इंसानियत और न्याय के सहअस्तित्व के प्रति विश्वास को बल प्रदान करती है। यहां डा.कुलदीप चन्द्र अग्निहोत्री की दो किताबें जम्मू कश्मीर का विस्तृत इतिहास व जम्मू कश्मीर की अनकही कहानी भी हैं।
राजपाल के स्टाल पर अशोककुमार पाण्डेय की कश्मीरनामाः इतिहास और समकाल में कश्मीर के इतिहास, समाज और राजनीति के आइने में कश्मीर समस्या की पड़ताल की गई है। स्टाल के अशोक शुक्ला बताते हैं कि दो साल में पुस्तक के चार संस्करण आ चुके हैं और नये एडीशन में धारा 370 मसले को परिमार्जित कर प्रस्तुत किया गया है।
किताबघर स्टाल पर प्रखर राजनीतिज्ञ प्रकाशवीर शास्त्री की कश्मीर और भारत पाक सम्बंध एक विवेचनात्मक पुस्तक है। श्री शास्त्री ने कश्मीर समस्या के स्थायी समाधान पर बल देते हुए कश्मीर की वेदी पर और धधकता कश्मीर जैसी किताबें भी रची हैं। अन्य कई स्टालों पर डोगरी कविताओं और कथा साहित्य की किताबें उपलब्ध हैं।
सुबह 11 बजे से रात नौ बजे तक 29 सितम्बर तक जारी निःशुल्क प्रवेश वाले किताबों के इस मेले के बारे में संयोजक आकर्षण जैन कहते हैं कि मेला अब उत्तार्ध में पहुंच गया है। लगातार वर्षा के दौरान भी पुस्तक प्रेमियों की बड़ी तादाद ने मेरे साथ मेले में लगे हर व्यक्ति का उत्साह बढ़ाया है। हमें इस वर्ष मेले में अच्छी रिकार्ड बिक्री होने की उम्मीद है। निःशुल्क नेत्र परीक्षण कैम्प में आज खासी भीड़ रही।
गांधी बाल एवं युवा मंच पर आज साफ भारत सुंदर भारत विषय पर हिंदी पत्र लेखन प्रतियोगिता की प्रविष्टियां जमा हुईं। लोक आंगन व ज्वाइन हैण्ड्स फाउण्डेशन की लोकनृत्य कार्यशाला में आज सुबोध पाण्डेय, लक्ष्मी जोशी व ज्योति किरन रतन ने प्रतिभागियों को राजस्थान के घूमर इत्यादि नृत्य विधा की भंगिमाओं, गतियों व शैली से परिचित कराते हुए अभ्यास कराया। यहां मिथिका द्विवेदी, संस्कृति, अविका व आरती जैसे अनेक बच्चों व नवयुवाओं ने गायन-नृत्य प्रतिभा का प्रदर्शन किया। यहां अविका, मिथिका आरती, अदिति गुप्ता, यशस्वी पोरवाल, ईशी शर्मा ने दर्शनीय नृत्य प्रस्तुतियां दीं।
साहित्यिक मंच पर आज के कार्यक्रमों का आगाज मेधा विकास परिषद की विचार गोष्ठी से हुआ। इसके उपरांत यहां काव्य रचनाओं के स्वर वात्सल्य क्रियेशन्स द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में उठे। इसी क्रम में भगवानस्वरूप कटियार की पुस्तक जनता का अर्थशास्त्र का लोकार्पण प्रो.रमेश दीक्षित की अध्यक्षता व लेखक के संग कौशल किशोर, वीरेन्द्र यादव, सिद्वार्थ कलहंस की मौजूदगी में वैचारिक आदान-प्रदान के साथ हुआ। उन्स फाउण्डेशन के शाहबाज तालिब की अध्यक्ष्ता व पुष्पेन्द्र श्रीवास्तव के संचालन में चले साहित्यिक समारोह में सुनीत बाजपेयी, ओम शर्मा, शशि शर्मा, गोमा थापा इत्यादि कवियों की बड़ी तादाद मंच पर उतरी। शाम को संुदरम साहित्यिक संस्था के काव्य समारोह में अखिलेश सिन्हा गैब, प्रख्यात मिश्रा व मानसी द्विवेदी का सम्मान हुआ और कवियों ने विविध पक्षों पर रचनाएं पढ़ीं।
गुरुवार 26 सितम्बर 2019 के कार्यक्रम
-: मुख्य साहित्यिक मंच :-
पूर्वाह्न 11.00 बजे
काव्यगोष्ठी- अगीत परिषद
लोकार्पण- डा.रजनी पाठक की काव्यकृति नेह का झूला
अपराह्न 2.00 बजे
सहज योग कार्यक्रम
अपराह्न 3.00 बजे
पुस्तक चर्चा- अखिलेश सिन्हा व हर्षाश्री का कथा संग्रह- अनुभूति
अपराह्न 3.30 बजे
कवि सम्मेलन व पुस्तक चर्चा- रामानुज त्रिपाठी सृजन संस्थान
साक्षी साहित्य संवाद समिति सुल्तानपुर
शाम 7.15 बजे
कहानी पाठ- कथाकथन संस्था
लोकार्पण- डा.अमिता दुबे की पुस्तक ‘सीढ़ी’
-: बाल एवं युवा मंच :-
शाम 3.30 बजे
लोकनृत्य कार्यशाला
शाम 5.30 बजे
बच्चों की प्रस्तुतियां
शम्म 6.30 बजे
परवरिश संस्था का कार्यक्रम
अदिति-रूबल जैन नृत्य
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बहुत अच्छी रिपोर्टिंग है ज्योति किरण की ।
नव सृजन, कला, साहित्य सब एक मंच र अदभुत. मौसम की फुहार जारी है फिर आप सबके जोश, मेहनत और लगन की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। ईस्वर ऐसे ही सोच सबकी बनाये रखें