राष्ट्रीय पुस्तक मेला लखनऊ : 12 वां दिन 

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सत्रहवां राष्ट्रीय पुस्तक मेला लखनऊ
12 वां दिन 

‘पढ़ो लखनऊ- बढ़ो लखनऊ’ अभियान का हिस्सा बना बुक फेयर

65 लाख की किताबें खरीद चुके लखनवी लोग

किस्से-कहानियों, चर्चाओं से गुलजार रहा मोतीमहल लान, गांधी जयंती आखिरी दिन

राष्ट्रीय पुस्तक मेले की ये खासियत है कि यहां खास-खास प्रकाशक अपने नयी-पुरानी किताबों और उनके सवंर्धित संस्करणों के साथ मिलते हैं तो महिलाओ-बच्चों आम समझ के लोगों को उनके पसंद के हर तरह के विषयों की किताबें मिल जाती हैं। ये कहना राजधानी के ग्रामीण इलाके के सुनील त्रिवेदी का है।

सत्रहवां राष्ट्रीय पुस्तक मेला राणाप्रताप मार्ग मोतीमहल वाटिका लान में 20 सितम्बर से चल रहा है। पुस्तक मेला राष्ट्रपिता को समर्पित ये मेला कल सिमट जायेगा। कल अंतिम दिन कला वसुधा के विशेषांक व गीत गायें गुनगुनाएं शृंखला के विमोचन के साथ ही कार्यक्रमों का दौर चलेगा। अंतिम दिन भारी भीड़ की उम्मीद है।

पुस्तक मेला आज ‘पढ़ो लखनऊ- बढ़ो लखनऊ’ अभियान का हिस्सा बना। मेले के अनेक प्रकाशकों, कर्मियों व पुस्तक प्रेमियों ने सुबह 11 बजे यहां प्रवेश द्वार के निकट इकट्ठा होकर पुस्तकें पढ़ीं। कल यहां 11 बजे राष्ट्रपिता को फिर याद किया जायेगा।


निःशुल्क प्रवेश और रोज सुबह 11 से रात नौ बजे तक चलने वाले इस मेले में आज भी पुस्तक प्रेमियों की आमद अच्छी रही। लोगों ने बड़ी तादाद में यहां लगे आई चेकअप कैम्प में आंखें टेस्ट कराईं। साहित्य प्रेमी बड़ी तादाद में आ रहे हैं। आचार्य श्रीराम शर्मा के साहित्य को जन-जन में पहुँचाने में लगे गायत्री ज्ञान मंदिर के उमानन्द शर्मा कहते हैं- नफा-नुकसान हमारे उद्देश्यों के लिये कभी मायने नहीं रखता। ये मेला यहां की एक परम्परा बन गया है।

बारिश ने इस साल खलल जरूर डाला पर मेला बहुत अच्छा रहा। होली ट्रिनिटी पब्लिकेशन के स्टाल पर बच्चों की शुरुआती पढ़ाई की पाठ्य पुस्तकें बरबस ही अभिभावकों का ध्यान खींच रही हैं। स्टाल पर किताबें बिक्री नहीं लोगों की प्रतिक्रिया के लिये प्रदर्शित की गई हैं और लोगों की सराहना मिल रही है।


मेला संयोजक मनोज सिंह चंदेल ने बताया कि बिक्री की नज़र से देखा जाये तो आज तक की बिक्री 65 लाख रुपये के क़रीब होगी। स्थगित हुए कार्यक्रमों को कल और अंतिम दिन सुविधा के हिसाब से तय किया जा रहा है।

आज सुबह मेला मंच पर तुलसी-मीर फाउण्डेशन की ओर से कवि सम्मेलन में कविताओं-कलामों का दौर चला। गांधी जयंती की पूर्व वेला पर सुराज, स्वदेशी और महात्मा गांधी विषय पर वसुंधरा फाउण्डेशन की ओर से रामकिशोर की अध्यक्षता में संगोष्ठी हुई। यहां अखिलेश चमन, शीला पाण्डेय, ओपी सिन्हा, मीनू श्रीवास्तव व संयोजक राकेश श्रीवास्तव ने विचार रखे और अनपढ़ को पढ़ाने के अपने नये अभियान की शुरुआत की।

नवरात्र के तीसरे दिन मंच पर गुजरात के गरबा की धूम रत्ना अस्थाना के निर्देशन में भारतीयम के कलाकारों ने मचायी। आज की शाम प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद व शिवानी की कहानियों के नाम रही। कथाकथन की ओर से नूतन वशिष्ठ, पुनीता, अनुपमा, कनिका, मालविका, शालिनी, सोम, सत्या, आयुष, आदित्य व विक्रम जैसे कलाकारों द्वारा लाल हवेली, कर्ज, छोटा जादूगर व बूढ़ी काकी जैसी कहानियों का वाचन कर सजीव कर दिया। यहीं आज डा.अमिता दुबे के कथा संग्रह ‘सीढ़ी’ के विमोचन हुआ। इससे पहले वागीश्वरी प्रसाद की पुस्तक बहका हुआ हूं बार-बार का लोकार्पण किया गया।

कल सुबह 11 बजे से मेले में कवितालोक की ओर से काव्यगोष्ठी का आयोजन है तो उसके बाद ढाई बजे से गांधी चिंतन पर चर्चा होगी। अपराह्न सवा तीन बजे से फलक फाउण्डेशन का सम्मान समारोह होगा। वसुंधरा फाउण्डेशन के तत्वावधान में साहित्कि संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। इसी क्रम में आगे शाम साढ़े पांच बजे कला वसुधा पत्रिका व बाल गीतिकाओं की पुस्तकों गीत गाएं गुनगुनाएं का विमोचन तय है।

गांधी जयंती के 150 वर्ष पूर्ण होने की हार्दिक बधाई । खादी वस्त्र नही विचार है। गांधी जी के इस विचार के साथ खादी वस्त्रो को पहने  और मनाए गांधी जयंती ।


 


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