कॉलम

लुप्त-सुप्त व नूतन विधाओं की महिमा – 2

आज हम एक लुप्त-प्राय रचना विधा 'मुकरी' या 'कह मुकरी' लेकर आये हैं। इस बारे में जानकारी इस प्रकार है:...

हिंदी

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र \निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल। अंग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन। उन्नति पूरी है तबहिं जब घर उन्नति होय निज शरीर उन्नति किये, रहत मूढ़ सब कोय। निज भाषा उन्नति बिना, कबहुं न ह्यैहैं सोय लाख उपाय अनेक यों भले करे किन कोय। इक भाषा इक जीव इक मति सब घर के लोग तबै बनत है सबन सों, मिटत मूढ़ता सोग। और एक अति लाभ यह, या में प्रगट लखात निज भाषा में कीजिए, जो विद्या की बात। तेहि सुनि पावै लाभ सब, बात सुनै जो कोय यह गुन भाषा और महं, कबहूं नाहीं होय। विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार। भारत में सब भिन्न अति, ताहीं सों उत्पात विविध देस मतहू विविध, भाषा विविध लखात।...

लुप्त-सुप्त-व-नूतन विधाओं की महिमा

हिंदी दिवस विशेष प्रकाशक के मंच पर हिंदी दिवस विशेष के उपलक्ष्य में हिंदी सेवी और सुप्रसिद्ध रचनाकार सुश्री महिमा...

जब मृत घोषित व्यक्ति जीवित मिले

रोचक संस्मरण  :- जब मृत घोषित व्यक्ति जीवित मिले यह सत्यकथा है और इसके पात्र का सम्बन्ध आकाशवाणी गोरखपुर से...

यादें : युववाणी की

यादें : आकाशवाणी गोरखपुर के कार्यक्रम युववाणी की आकाशवाणी गोरखपुर के युववाणी (आगे चलकर युवा जगत ) कार्यक्रम से मैं...

चुनाव का कुरुक्षेत्र : वरिष्ठ पत्रकार अशोक हमराही की कलम से

बात निकलेगी तो ... चुनाव का कुरुक्षेत्र लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव इस बार 'कुरुक्षेत्र का मैदान' बन गया। महाभारत...