कवि: पवन कुमार जैन
हकीकत नहीं हम वादे और कसमें बेचते हैं, दुश्मनी नहीं हम प्यार की रसमें बेचते हैं, पत्थर को पिघला देने...
हकीकत नहीं हम वादे और कसमें बेचते हैं, दुश्मनी नहीं हम प्यार की रसमें बेचते हैं, पत्थर को पिघला देने...
मन इस कदर बढ़ गई है उदासियां, इधर उधर , बड़ी से बड़ी खुशी अब, छोटी नजर आने लगी है...
आत्म निरीक्षण अकेलापन अकाट्य ,अभेद्य अंतरात्मा की गहराई से अनुभव किया उसने सब कुछ के बावजूद सब कुछ की समाप्ति...
मणिकर्णिका का रास महोत्सव जहाँ जलाया जा रहा था देहों को वही सजा कर अपनी देह वो नाचती रहीं… रातभर...
प्रेम कर चुकी औरतें प्रेम कर चुकी औरतें बहुत कठोर होती हैं नहीं देने देती फिर से अपने दिल में...
रात फूलों में जैसे बसी रह गई रात फूलों में जैसे बसी रह गई दिल में तस्वीर यूँ आप की...
आओ मिलकर दीप जलाये सघन तिमिर के बादल आये, घनघोर काली घटा छाये, झिलमिल तारों की किरणों से, इंद्रधनुष सा...
गोरी हैं चकोरी गोरी हैं चकोरी काहे फिरें इत ओरी हैं तो बहुत ही भोरी काहे इत चली आई...
भोपाल की वरिष्ठ साहित्यकार संतोष श्रीवास्तव ने मंच पर एक शब्द दिया “अंतर्नाद“ , जिसके प्रवाह में सम्मिलित हुई ये...
हक़ीक़त क्या है ये समझा चुकी है हक़ीक़त क्या है ये समझा चुकी है तेरी तस्वीर सब बतला चुकी है...