कवि और कविता

कवि: पवन कुमार जैन

हकीकत नहीं हम वादे और कसमें बेचते हैं, दुश्मनी नहीं हम प्यार की रसमें बेचते हैं, पत्थर को पिघला देने...

कवयित्री: संतोष श्रीवास्तव

आत्म निरीक्षण अकेलापन अकाट्य ,अभेद्य अंतरात्मा की गहराई से अनुभव किया उसने सब कुछ के बावजूद सब कुछ की समाप्ति...

कवयित्री: रूपेन्द्र राज

मणिकर्णिका का रास महोत्सव जहाँ जलाया जा रहा था देहों को वही सजा कर अपनी देह वो नाचती रहीं… रातभर...

कवयित्री: सुमीता प्रवीण केशवा

प्रेम कर चुकी औरतें  प्रेम कर चुकी औरतें  बहुत कठोर होती हैं नहीं देने देती फिर से  अपने दिल में...

कवयित्री: चंदा प्रहलादका

आओ मिलकर दीप जलाये सघन तिमिर के बादल आये, घनघोर काली घटा छाये, झिलमिल तारों की किरणों से, इंद्रधनुष सा...

एक शब्द भाव अनेक

भोपाल की वरिष्ठ साहित्यकार संतोष श्रीवास्तव ने मंच पर एक शब्द दिया “अंतर्नाद“ , जिसके प्रवाह में सम्मिलित हुई ये...

शायर: काशिफ़ अदीब मकनपुरी

हक़ीक़त क्या है ये समझा चुकी है हक़ीक़त क्या है ये समझा चुकी है तेरी तस्वीर सब बतला चुकी है...