मैं बरस-बरस बरसूं रोज़-रोज़ : आशा चंपानेरी
मैं बरस-बरस बरसूं रोज़-रोज़ मैं बरस-बरस बरसूं रोज़-रोज़ नित नवीन रंग-ढंग से तुम पर हर रोज़ आसमां से ......
मैं बरस-बरस बरसूं रोज़-रोज़ मैं बरस-बरस बरसूं रोज़-रोज़ नित नवीन रंग-ढंग से तुम पर हर रोज़ आसमां से ......
सत्य या भ्रम अर्ध सुप्त सी लिए अवस्था, कब तक जागृति भान करोगे? चन्द घरों को बना व्यवस्थित, कब तक...
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બાળપણ હિંચકાને ઠેસ મારી, ઉપર નીચે.. આવર્તન, કૂદકો મારી "કોઈ" સાથે બેઠું. આગળ પાછળ આંદોલન, અમે..તો પુરજોશમાં ઝૂલતાં'તા... કલાત્મક કડાં...
दिन बचपन के दिन लौटा दे मेरे बचपन के कोई याद आते हैं दिन बचपन के दिन बचपन के...
नदियों का जल प्रतिक्षण प्रतिपल, करता कल कल, हो चिर चंचल बहता निश्छल, नदियों का जल। हिम अंचल से, निकल...
सावन की मन मानी है ये सावन की मन मानी है ये आग भरा इक पानी है ये बारिश...
ज़िन्दगी के पन्नों से ... ग़म और ख़ुशी या ख़ुदा! ज़िन्दगी इतने ग़मों से न भर देना जो हम अपनों...
मुक्तक अंबर से छत की मुंडेर पर आते हो जन-जन को सावन के गीत सुनते हो सच कहती हूँ बहुत...
ये जो तबस्सुम है तबस्सुम भी एक शादाबी का निशाँ होती है, कभी मौजूं-ए-गुफ़्तगू, कभी दिल का सामां होती...