सुगना हरियाला : प्रमिला भारती
सुगना हरियाला देख सुनहरी किरणें दूर जब निकल गया मोम का खिलौना था धूप में पिघल गया ।...
सुगना हरियाला देख सुनहरी किरणें दूर जब निकल गया मोम का खिलौना था धूप में पिघल गया ।...
मृगजळ मन वेडे गुणगुणते हे आयुष्याचे गाणे। त्या समजावू मी कैसे , मृगजळ आहे, नव्हे तराणे ।।धृ।। तू येता...
एडवांस हो गया गांव तुमने कब से नहीं देखी अपने गांव में लुहार की धौंकनी और लाल हुए लोहे पर...
दोस्त बनकर तुम मेरी ज़िन्दगी में आये थे हर एक सिम्त उदासी के घने साये थे ...
सन्मार्ग पर है वह वह भटकेगा नहीं, थकेगा नहीं डिगेगा नहीं, डरेगा भी नहीं आतताइयों को जीतकर निकला है चिंतित...
मौन ज़िंदगी के बीतते पल बचपन से बुढ़ापे तक का सफ़र देखा है पल पल का दृश्य, समाज और घटती...
दुआओं की निगहबानी कभी ख़ाली नही जाती दुआओं की निगहबानी कभी ख़ाली नही जाती बुजुर्गों की परेशानी अगर सम्हाल ले...
ख़ुशी गर जो होगी तो ग़म भी तो होंगे ख़ुशी गर जो होगी तो ग़म भी तो होंगे तुम्हारे फ़साने...
दिल में रहते हो और दिल को दुखा देते हो दिल में रहते हो और दिल को दुखा देते हो ...
जो दिल के आईने में सच न देख पायेगा जो दिल के आईने में सच न देख पायेगा ...