आत्मकथा

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (43)

कबीर तन पँछी भया ,जहाँ मन तहाँ उडि जाय भोपाल बिल्कुल अनजाना शहर। रिश्तेदारों में बस विजयकांत जीजाजी। सभी की...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (42)

मॉस्को से दिल्ली लौटे तो महानगर डेरा सच्चा सौदा के राम रहीम के कारनामों के विरोध में हिंसा पर उतर...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (41)

विकेश निझावन जी का आग्रह रहता है कि मैं अधिक से अधिक रचनाएं पुष्पगंधा के लिए भेजूं। अंबाला में मेरे...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (39)

इन दिनों कविता के प्रति रुझान तेजी से हो रहा था। कहानी दिमाग में आती ही नहीं थी।सुबह घूमने जाती...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (38)

भोपाल के आईसेक्ट विश्वविद्यालय द्वारा अविभाजित मध्यप्रदेश के कथाकारों की कहानियों के 6 खंड प्रकाशित किए गए हैं। यह प्रोजेक्ट...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (37)

इतनी लंबी साहित्यिक यात्राओं के बाद मुझे काफी समय खुश रहना चाहिए था पर मेले की समाप्ति का सूनापन मेरे...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (36)

दिल्ली में मौलिक काव्य सृजन द्वारा कृष्ण काव्य सम्मान 20 अक्टूबर को मिलना था । कार्यक्रम के आयोजक सागर सुमन...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (35)

सूने घर का पाहुना ज्यूँ आया त्यूँ जाव औरंगाबाद पहुंचकर प्रमिला से लिपट खूब रोई ।सब कुछ खत्म ।हेमंत...... मुंबई...