आत्मकथा

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (34)

स्टोरी मिरर से मिलने वाले पुरस्कार की बात धीरे-धीरे फैल रही थी। मुंबई की साहित्यिक संस्थाओं द्वारा मेरे सम्मान में...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (33)

मुंबई की बारिश जितनी खूबसूरत होती है उतनी ही डराती भी है। महानगर को पानी पानी होते देर नहीं लगती।...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (32)

किसी से मिलना बातें करना,बातें करना अच्छा लगता है। लेकिन ज़िंदगी इतनी आसान कहाँ! वह तो वीराने में फैला हुआ...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (30)

जगदलपुर बस्तर से आमंत्रण था। कादम्बरी संस्था की मोहनी ठाकुर और उर्मिला आचार्य ने मेरे लिए एक सम्मेलन आयोजित किया...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (29)

मध्यप्रदेश में जबलपुर मेरी जन्मभूमि है। मेरी स्मृतियों के कोष छलछल बहती नर्मदा ,सतपुड़ा के घने जंगल और विंध्याचल की...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (28)

मुंबई में बारिश का मौसम चल रहा था। इंदौर से कृष्णा अग्निहोत्री जी की घबराई हुई आवाज " अरे संतोष...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (27)

जब राजस्थानी सेवा संघ की स्वर्ण जयंती भाईदास हॉल में मनाई जा रही थी तब माया गोविंद और गोविंद जी...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (26)

वर्ष 2015 में मेरे साहित्य पर केंद्रित दो विशेषांक निकले।  विकेश निझावन के संपादन में अंबाला से निकलने वाली त्रैमासिक...

आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (25)

नौकरी छोड़ दी थी और मेरे पास समय ही समय था ।हालांकि यूनिवर्सिटी से जुड़ाव बना रहा। हफ्ते में दो...