आत्मकथा : मेरे घर आना ज़िन्दगी (14)
मेरा ज्यादातर समय समीक्षाएं लिखने में व्यतीत होने लगा। उस दौरान कई किताबों की समीक्षाएं और भूमिकाएं लिखीं। पढ़ा भी...
मेरा ज्यादातर समय समीक्षाएं लिखने में व्यतीत होने लगा। उस दौरान कई किताबों की समीक्षाएं और भूमिकाएं लिखीं। पढ़ा भी...
चर्चगेट स्थित इंडियन मर्चेंट चेंबर का सभागार बुक कर लिया ।शैलेंद्र सागर, विभूति नारायण राय, काशीनाथ सिंह, भारत भारद्वाज सब...
मई 2000 में मैं जम्मू घूमने गई। साथ में प्रमिला वर्मा, यामिनी और हेमंत भी थे। भारत भारद्वाज जी की...
विरार के फ्लैट का लोन पटाने में दिक्कतें आ रही थीं इसलिए हमने मीरा रोड सृष्टि कॉन्प्लेक्स में निर्मल टॉवर...
हमने लोन लेकर विरार में टू बेडरूम हॉल किचन का खूबसूरत घर खरीदा। अपनी पसंद का फर्नीचर बनवाया। जहाँ बेडरूम...
समय बीतता गया। एक दिन अचानक श्रीकांत जी (बाबा नागार्जुन के पुत्र जो अब यात्री प्रकाशन संभालते हैं) का फोन...
पत्रकारिता के मेरे अनुभवों ने यह तो समझा दिया था कि पत्रकारिता का भविष्य अनिश्चित है। दुनिया बदल देने और...
मेरे लिए मेरे जीवन में आया एक एक व्यक्ति भविष्य के लिए मेरी आँखें खोलता गया फिर चाहे आँखें उससे...
धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय.......... बताया गया था कि हवाई यात्रा 35 मिनट की होगी। उन 35...
जबलपुर साहित्य का गढ़ माना जाता था ।आए दिन गोष्ठियां ,कवि सम्मेलन, बाहर से आए लेखकों के सम्मान में गोष्ठी।...