नमस्कार से संस्कार की होती है पहचान – अशोक हमराही
नमस्कार से संस्कार की होती है पहचान नमस्कार से संस्कार की होती है पहचान नमस्कार जब ह्रदय से...
नमस्कार से संस्कार की होती है पहचान नमस्कार से संस्कार की होती है पहचान नमस्कार जब ह्रदय से...
स्वप्रश्नावली हूं किसी अहंकार में या, किसी प्रतिकार में हूं? हूं किसी घमंड में या, फिर किसी दंभ में...
बिन तेरे मैं नहीं नहीं मैं कुछ नहीं कहीं नहीं। बस यूं ही जब भी तू पुकार ले मुझे...
चाहत सुनहरी धूप रूपहली चाँदनी हवाओं का मदिर-मदिर स्पंदन फूलों की दहकती क्यारियाँ बादलों की नीली किलकारियाँ खेतों में...
पानी पानी-पानी ज़िंदगी नहीं कोई रवानी ज़िंदगी रहिमन पानी रख न सका पानी सी बह निकली यह आनी-जानी...
बसंत उसकी दुधिया हँसी और फेनिल बातों में छिपी है बसंत की मीठी गुनगुनाहट उसकी प्यारी गदबदी उपस्थिति ने...
पिता पिता के खुरदुरे रौबीले चेहरे के पीछे छिपा है एक कोमल चेहरा जिसे सिर्फ बेटियाँ ही पहचान...
कहां हूं मैं ? कहां हूं मैं ? सुनो, जानते हो तुम... मैं रोज आती हूं। खुद को ढूंढती...
बोलो मेरे वीर जवानों मिट गए कई जवान हमारे, क्या वैलेंटाइन मनाऊं मैं ? खत में लपेटूं फूल कोई...
स्त्री : रोज़ भरती है हौसलों की उड़ान रोज़ आंगन में वो जगा देती है सुबह को और...