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नमस्कार से संस्कार की होती है पहचान – अशोक हमराही

  नमस्कार से संस्कार की होती है पहचान   नमस्कार से संस्कार की होती है पहचान नमस्कार जब ह्रदय से...

स्वप्रश्नावली – दिव्या त्रिवेदी

स्वप्रश्नावली   हूं किसी अहंकार में या, किसी प्रतिकार में हूं? हूं किसी घमंड में या, फिर किसी दंभ में...

बिन तेरे – दिव्या त्रिवेदी

बिन तेरे   मैं नहीं नहीं मैं कुछ नहीं कहीं नहीं। बस यूं ही जब भी तू पुकार ले मुझे...

चाहत – अनिता रश्मि

चाहत   सुनहरी धूप रूपहली चाँदनी हवाओं का मदिर-मदिर स्पंदन फूलों की दहकती क्यारियाँ बादलों की नीली किलकारियाँ खेतों में...

पानी – अनिता रश्मि

  पानी   पानी-पानी ज़िंदगी नहीं कोई रवानी ज़िंदगी रहिमन पानी रख न सका पानी सी बह निकली यह आनी-जानी...

बसंत – अनिता रश्मि

बसंत   उसकी दुधिया हँसी और फेनिल बातों में छिपी है बसंत की मीठी गुनगुनाहट उसकी प्यारी गदबदी उपस्थिति ने...

पिता – अनिता रश्मि

  पिता   पिता के खुरदुरे रौबीले चेहरे के पीछे छिपा है एक कोमल चेहरा जिसे सिर्फ बेटियाँ ही पहचान...

कहां हूं मैं ? – दिव्या त्रिवेदी

  कहां हूं मैं ? कहां हूं मैं ? सुनो, जानते हो तुम... मैं रोज आती हूं। खुद को ढूंढती...

बोलो मेरे वीर जवानों – दिव्या त्रिवेदी

बोलो मेरे वीर जवानों   मिट गए कई जवान हमारे, क्या वैलेंटाइन मनाऊं मैं ? खत में लपेटूं फूल कोई...

स्त्री : रोज़ भरती है हौसलों की उड़ान – राजुल

  स्त्री : रोज़ भरती है हौसलों की उड़ान   रोज़ आंगन में वो जगा देती है सुबह को और...