Saawan Geet : Pramila Bharti
मुक्तक अंबर से छत की मुंडेर पर आते हो जन-जन को सावन के गीत सुनते हो सच कहती हूँ बहुत...
मुक्तक अंबर से छत की मुंडेर पर आते हो जन-जन को सावन के गीत सुनते हो सच कहती हूँ बहुत...
ये जो तबस्सुम है तबस्सुम भी एक शादाबी का निशाँ होती है, कभी मौजूं-ए-गुफ़्तगू, कभी दिल का सामां होती...
सुगना हरियाला देख सुनहरी किरणें दूर जब निकल गया मोम का खिलौना था धूप में पिघल गया ।...
मृगजळ मन वेडे गुणगुणते हे आयुष्याचे गाणे। त्या समजावू मी कैसे , मृगजळ आहे, नव्हे तराणे ।।धृ।। तू येता...
पुलकित है क्षितिज देख सावन की छाँव पुलकित है क्षितिज देख सावन की छाँव रोका रथ ऋतुओं ने फूलों...
एडवांस हो गया गांव तुमने कब से नहीं देखी अपने गांव में लुहार की धौंकनी और लाल हुए लोहे पर...
दोस्त बनकर तुम मेरी ज़िन्दगी में आये थे हर एक सिम्त उदासी के घने साये थे ...
सन्मार्ग पर है वह वह भटकेगा नहीं, थकेगा नहीं डिगेगा नहीं, डरेगा भी नहीं आतताइयों को जीतकर निकला है चिंतित...
मौन ज़िंदगी के बीतते पल बचपन से बुढ़ापे तक का सफ़र देखा है पल पल का दृश्य, समाज और घटती...
પાણી રે પાણી પાણી રે પાણી રૂપ તારું કેવું? ગિરિશખરે હિમાચ્છાદિત સફેદ શીતળતાનું શિવલિંગ ભોળા અમરનાથ સ્વરુપ, પાણી રે પાણી...