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कवयित्री : सुधा त्रिपाठी शुक्ला

जय मां शारदे विद्या दायिनी कल्मष हारिणी वीणा वादिनि वर दायिनी  माता । वर दो ऐसा काव्य पथिक कहाऊं। नित नवीन  भावों को गूंथूं शब्दों की माला पहनाऊं । शब्दों से अपने  सबको सुख पहुचाऊं ऐसी कर दो कृपा  मां तुम विश्व रचयिता त्रय ताप नाशिनी जगत तारिणी मातु  कालिका जगत पालिका क्लेश हारिणी  लेखन हो मेरा मां तेरे जैसा ...