नानी कहती थीं

 

नानी कहती थीं कि शबनम अमृत है
पूनो का चाँद , मस्त चाँदनी
शीतल मंद बयार, पारिजात का झरना ,
रजनीगंधा की ख़ुशबू ,
नदी की लहरें , आँखों की ख़ुमारी
बदन का अलस, तिमिर की ख़ामोशी
पहाड़ों की ऊँचाई , सागर की गहराई ,
विरही की आँखों में तिर आई
भूखे बच्चे की आँखों में डबडबाई
सागर की गहराई , आइने में लहराई
सुबह सख़्त पत्थर पर उतर आई
सरलता इतनी कहीं ना पाई
सात रंगों को समेटे
मोती सी धवल छहराई
मेरे उठाने से सिहराई
हाथों से उठ आँखों में सिमटाई
नानी कहती थीं कि शबनम अमृत है …

 

बहुमुखी प्रतिभावान मनोज  चतुर्वेदी जाने माने निर्देशक – संगीतज्ञ – कवि और लेखक हैं 


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2 thoughts on “नानी कहती थीं – मनोज  चतुर्वेदी

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