निर्भया! तुम कभी माफ़ न करना – दिव्या त्रिवेदी
निर्भया! तुम कभी माफ़ न करना
निर्भया! तुम कभी माफ़ न करना
नहीं तेरे लिए यहां कोई शर्मिंदा हैं।
सब मतलब की रोटी सेंक रहे बस
तभी तो तेरे दोषी दरिंदे ज़िंदा हैं।
बलात्कारी सारी कानून व्यवस्था
दोषी ये कोर्ट वकील जज नेता हैं।
मिला दयाहीन को अधिकार क्यों
जो वो याचिका दया की लगाते हैं।
फुटबॉल समान ये न्याय प्रणाली
वो बारी – बारी से उछाले जाते हैं।
थक गई है तारीख़ भी अब तो
स्वर्णिम इतिहास बना ना पाती है।
देखो हुई है लहूलुहान विधि भी
ये भी बलात्कारी से लूटी जाती है।
शर्म अब नहीं आती किसी को
बस रोज तारीख़ बढ़ाते जाते हैं।
उन सब ने खाई थी एक निर्भया
ये कितनी निर्भया खाए जाते हैं।
निर्भया! तुम कभी माफ़ न करना
नहीं तेरे लिए यहां कोई शर्मिंदा है।
सब मतलब की रोटी सेंक रहे बस
तभी तो तेरे दोषी दरिंदे ज़िंदा हैं।
दिव्या त्रिवेदी हिंदी भाषा की जानी-मानी कवियित्री हैं
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और भी ना जाने कितनी निर्भया इसी हादसे से गुजरती हैं और उनकी आवाज़ दबा दी जाती है। ये particular केस तो भारतवर्ष में मीडिया / सोशल मीडिया पर छाया रहा तब ये हाल है हमारी न्यायिक और राजनीतिक प्रणाली का।
बहुत ही ख़ूबसूरती से वर्णन किया इस भ्रष्ट व्यवस्था का 🙏🙏🙏
चन्द्र जी कानून सच में अंधा है, ये ही साबित करती है ऐसी नीति व्यवस्था… 🙏🙏
सच जी बहुत दुखी हो जाता है ..दिव्या आपने व्यवस्था के झोल को बड़ी अच्छी तरह व्यक्त किया है .. काश इन दरिंदों के वकीलों क़ो ईश्वर अक़्ल दें ।
राजुल दीदी अक्ल होती तो इनका केस लेते ही क्यूं,, इन दोषियों के साथ ये सब भी बराबर के दोषी हैं,, मेरी नजर से…. । 🙏🙏