सत्य या भ्रम

अर्ध सुप्त सी लिए अवस्था,

कब तक जागृति भान करोगे?

चन्द घरों को बना व्यवस्थित,

कब तक उन्नति गान करोगे?

 

है किसका अभाव जो अब तक,

मिली नही प्रेरणा उदय की,

तुम स्वतन्त्र होकर भी अब तक,

त्याग न सके भावना भय की।

सत्य भ्रम में पड़कर कब तक

अपने पर अभिमान करोगे?

 

 

निष्फल है साहित्य कला सब,

बेकार है कवि की भी रचना,

समता भाव न बढ़ा देश में,

तो असफल सारी संरचना।

देश प्रेम के बिना तुम बोलो,

कैसे अपना राष्ट्र गान करोगे?

 

 

हे  प्रबुद्ध हिन्द प्रेमियों !

जागो कठिन समय है आया,

सूख रहा है प्रेम हृदय का,

हिंसा का तम है गहराया।

इस अलगाववाद राक्षस को,

कब तक क्षमा प्रदान करोगे?

 

 

अपनी ढपली अपना राग,

अब तक तुमने बहुत बजाया,

देश का रक्षक होकर भी,

भक्षक का क्यों धर्म निभाया।

रक्त की नदियाँ गर बहीं तो,

शांति का कैसे ऐलान करोगे?

 

अर्ध सुप्त सी लिए अवस्था

कैसे जागृति गान करोगे?

 

 

हिंदी साहित्य की जानी-मानी लेखिका-कवियित्री रत्ना बापूली

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *