तुम जहां महफ़ूज़ हो रहो वहीं – अशोक हमराही
अब तुम्हारा हमको इंतिज़ार नहीं तुम जहां महफ़ूज़ हो रहो वहीं राह देखते रहे हैं आज तक पर कहेंगे तुमको...
अब तुम्हारा हमको इंतिज़ार नहीं तुम जहां महफ़ूज़ हो रहो वहीं राह देखते रहे हैं आज तक पर कहेंगे तुमको...