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 ख़ाली हो तो जर्जर मन पैबन्दों को सिया करो – डॉ अनिल त्रिपाठी

   ख़ाली हो तो जर्जर मन  के पैबन्दों को सिया करो ख़ाली हो तो जर्जर मन  के पैबन्दों को सिया...

ग़ज़ल Ghazal : कवि और कविता Kavi Aur Kavita – डॉ0 अनिल त्रिपाठी की चार रचनाएँ

दुआओं  की निगहबानी  कभी ख़ाली नही जाती दुआओं  की निगहबानी कभी ख़ाली नही जाती बुजुर्गों की परेशानी अगर सम्हाल ले...