अब मुझे फ़र्क नहीं पड़ता- डॉ अनिल त्रिपाठी
अब मुझे फ़र्क नहीं पड़ता अब मुझे फ़र्क नहीं पड़ता प्यार या मनुहार से नफ़रतों के वार से जीत...
अब मुझे फ़र्क नहीं पड़ता अब मुझे फ़र्क नहीं पड़ता प्यार या मनुहार से नफ़रतों के वार से जीत...
ख़ाली हो तो जर्जर मन के पैबन्दों को सिया करो ख़ाली हो तो जर्जर मन के पैबन्दों को सिया...
और कुछ देर में ये धूप भी ढल जायेगी और कुछ देर में ये धूप भी ढल जायेगी शाम...
सभी के हाथ मे ख़ंजर बचे कैसे कहाँ जाएँ सभी के हाथ मे ख़ंजर बचे कैसे कहाँ जाएँ अभी...
सावन की मन मानी है ये सावन की मन मानी है ये आग भरा इक पानी है ये बारिश...
दुआओं की निगहबानी कभी ख़ाली नही जाती दुआओं की निगहबानी कभी ख़ाली नही जाती बुजुर्गों की परेशानी अगर सम्हाल ले...