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अब मुझे फ़र्क नहीं पड़ता- डॉ अनिल त्रिपाठी

  अब मुझे फ़र्क नहीं पड़ता अब मुझे फ़र्क नहीं पड़ता प्यार या मनुहार से नफ़रतों के वार से जीत...

 ख़ाली हो तो जर्जर मन पैबन्दों को सिया करो – डॉ अनिल त्रिपाठी

   ख़ाली हो तो जर्जर मन  के पैबन्दों को सिया करो ख़ाली हो तो जर्जर मन  के पैबन्दों को सिया...

और कुछ देर में ये धूप भी ढल जायेगी – डॉ अनिल त्रिपाठी

और कुछ देर में ये धूप भी ढल जायेगी   और कुछ देर में ये धूप भी ढल जायेगी शाम...

सभी के हाथ मे ख़ंजर बचे कैसे कहाँ जाएँ : डॉ अनिल त्रिपाठी

सभी के हाथ मे ख़ंजर बचे कैसे कहाँ जाएँ   सभी के हाथ मे ख़ंजर बचे कैसे कहाँ जाएँ अभी...

ग़ज़ल Ghazal : कवि और कविता Kavi Aur Kavita – डॉ0 अनिल त्रिपाठी की चार रचनाएँ

दुआओं  की निगहबानी  कभी ख़ाली नही जाती दुआओं  की निगहबानी कभी ख़ाली नही जाती बुजुर्गों की परेशानी अगर सम्हाल ले...