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मैं बरस-बरस बरसूं रोज़-रोज़ : आशा चंपानेरी

मैं बरस-बरस बरसूं रोज़-रोज़   मैं बरस-बरस बरसूं रोज़-रोज़ नित नवीन रंग-ढंग से तुम पर हर रोज़ आसमां से ......

Bachpan : બાળપણ – દીપા દેસાઈ

બાળપણ હિંચકાને ઠેસ મારી, ઉપર નીચે.. આવર્તન, કૂદકો મારી "કોઈ" સાથે બેઠું. આગળ પાછળ આંદોલન, અમે..તો પુરજોશમાં ઝૂલતાં'તા... કલાત્મક કડાં...

दिन बचपन के : कवि और कविता : सुधा त्रिपाठी शुक्ला

दिन बचपन के   दिन लौटा दे मेरे बचपन के कोई याद आते हैं दिन बचपन के दिन बचपन के...

पुलकित है क्षितिज देख सावन की छाँव : राजुल

पुलकित है क्षितिज देख सावन की छाँव   पुलकित है क्षितिज देख सावन की छाँव रोका रथ ऋतुओं ने फूलों...

कवि और कविता : पाऊसकाळी – कांचन प्रकाश संगीत kaanchan prakash sangeet

पाऊसकाळी कधी पाखरू उदास होते मन भिंगुळते क्वचित उसवते, फांदीवरती ठाव मिळुनही स्थिरावया घाबरते श्याम धवळ तळमळते. तेच पाखरू आनंदुनि...