कवि और कविता काव्य / गीत - ग़ज़ल हिन्दी कवयित्री:सरस दरबारी ashokhamrahi 8th January 2021 1 शीशा एक अंतराल के बाद देखा… मांग के करीब सफेदी उभर आई है आँखें गहरा गयी हैं, दिखाई भी कम... Read More