बंद हथेली क्यों रखते हो – अशोक हमराही
मेरे दिल में तुम रहते हो फिर भी इतने गुम रहते हो मेरे दिल में तुम रहते हो फिर...
मेरे दिल में तुम रहते हो फिर भी इतने गुम रहते हो मेरे दिल में तुम रहते हो फिर...
दिल के रिश्तों को, अजनबी होते देखा है सब बदलते देखा है, छलते देखा है, दिल के रिश्तों...
निःशब्द से तुम, शब्द सी मैं निःशब्द से तुम, शब्द सी मैं ख़ामोश से तुम, चीखती सी मैं हवा से...
जो दिल के आईने में सच न देख पायेगा जो दिल के आईने में सच न देख पायेगा ...