तुम जहां महफ़ूज़ हो रहो वहीं – अशोक हमराही
अब तुम्हारा हमको इंतिज़ार नहीं तुम जहां महफ़ूज़ हो रहो वहीं राह देखते रहे हैं आज तक पर कहेंगे तुमको...
अब तुम्हारा हमको इंतिज़ार नहीं तुम जहां महफ़ूज़ हो रहो वहीं राह देखते रहे हैं आज तक पर कहेंगे तुमको...
फागुन की मधुरितु आई फागुन की मधुरितु आई रंगों की बहार लाई सखी री होली आई - सखी री होली...
चलो इस शाम को थोड़ा सा गुलाबी कर लें चलो इस शाम को थोड़ा सा गुलाबी कर लें तेरे...
दुआ क्या और उनकी बद्दुआ क्या दुआ क्या और उनकी बद्दुआ क्या जो रिश्ता ही नहीं उसका गिला...
तुम्हारे बिन है ज़िन्दगी ऐसे तुम्हारे बिन है ज़िन्दगी ऐसे कोई सीलन भरा हो घर जैसे जहाँ न...
ज़िन्दगी कुछ कुछ ख़फ़ा है ज़ख्म देने वालो की कमी नही रही , अपना लिया हर ज़ख्म एक...
सर झुका देते हैं जब हम वक़्त के इसरार पे सर झुका देते हैं जब हम वक़्त के इसरार पे...
निकला करता है रातों में ख़्वाब बेचने सौदागर निकला करता है रातों में ख़्वाब बेचने सौदागर झोली में भर कर...
https://youtu.be/p1I5A7HUYo0 "लता श्री" हिंदी साहित्य की अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवियित्री हैं
मुक्तक अंबर से छत की मुंडेर पर आते हो जन-जन को सावन के गीत सुनते हो सच कहती हूँ बहुत...