जीवन के मधुबन में एक सुमन आपका – अशोक हमराही
जीवन के मधुबन में एक सुमन आपका जीवन के मधुबन में एक सुमन आपका महक उठा मन मेरा...
जीवन के मधुबन में एक सुमन आपका जीवन के मधुबन में एक सुमन आपका महक उठा मन मेरा...
है लबों ने, मौन धारा है लबों ने, मौन धारा मौन मुखरित हो गया है कर लिया करती हैं...
हारी हूं मैं.. हारी हूं मैं.. हां देख लो तुम आज हारी हूं मैं तुमसे, तुम्हारे प्रेम से सहज...
सन्मार्ग पर है वह वह भटकेगा नहीं, थकेगा नहीं डिगेगा नहीं, डरेगा भी नहीं आतताइयों को जीतकर निकला है चिंतित...