कवि और कविता : कवयित्री रेवा अग्रवाल
धनुष का किया है खंडन कि राम तेरा प्यारा है नाम रघुनंदन धनुष का किया है खंडन कि राम तेरा...
धनुष का किया है खंडन कि राम तेरा प्यारा है नाम रघुनंदन धनुष का किया है खंडन कि राम तेरा...
कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय काव्य गोष्ठी संपन्न काव्य सृजन महिला मंच के तत्वावधान में और टेन न्यूज़...
तुम्हारी पसंद के रंग के काग़ज़ में यादें लपेट कर भेजी हैं ... फ़ुरसत से देखना कभी, शायद बचपन...
तुम बोलो तो होती जो उलझन है तुमको, बोलो तो मैं सब सुलझाऊं। शब्द मेरे चुभते हैं तुमको, बोलो तो...
बिन तेरे मैं नहीं नहीं मैं कुछ नहीं कहीं नहीं। बस यूं ही जब भी तू पुकार ले मुझे...
चाहत सुनहरी धूप रूपहली चाँदनी हवाओं का मदिर-मदिर स्पंदन फूलों की दहकती क्यारियाँ बादलों की नीली किलकारियाँ खेतों में...
पानी पानी-पानी ज़िंदगी नहीं कोई रवानी ज़िंदगी रहिमन पानी रख न सका पानी सी बह निकली यह आनी-जानी...
बसंत उसकी दुधिया हँसी और फेनिल बातों में छिपी है बसंत की मीठी गुनगुनाहट उसकी प्यारी गदबदी उपस्थिति ने...
पिता पिता के खुरदुरे रौबीले चेहरे के पीछे छिपा है एक कोमल चेहरा जिसे सिर्फ बेटियाँ ही पहचान...
मेरे दिल में तुम रहते हो फिर भी इतने गुम रहते हो मेरे दिल में तुम रहते हो फिर...