Kavi Aur Kavita – Dr Roma Smart Joseph
ये जो तबस्सुम है तबस्सुम भी एक शादाबी का निशाँ होती है, कभी मौजूं-ए-गुफ़्तगू, कभी दिल का सामां होती...
ये जो तबस्सुम है तबस्सुम भी एक शादाबी का निशाँ होती है, कभी मौजूं-ए-गुफ़्तगू, कभी दिल का सामां होती...
सन्मार्ग पर है वह वह भटकेगा नहीं, थकेगा नहीं डिगेगा नहीं, डरेगा भी नहीं आतताइयों को जीतकर निकला है चिंतित...